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इंडिया गठबंधन ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए जस्टिस सुदर्शन रेड्डी को चुना, सीपी राधाकृष्णन से होगा मुकाबला

संवाददाता
नई दिल्ली,नवसत्ताः विपक्षी इंडिया (INDIA) गठबंधन ने आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और गोवा के पहले लोकायुक्त जस्टिस (रिटायर्ड) बी. सुदर्शन रेड्डी को गठबंधन ने अपना उम्मीदवार बनाया है। वे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सीपी राधाकृष्णन को कड़ी चुनौती देंगे। इस घोषणा के साथ ही 9 सितंबर को होने वाला उपराष्ट्रपति चुनाव एक रोमांचक और प्रतिष्ठित मुकाबले की ओर बढ़ गया है। नामांकन की अंतिम तारीख 21 अगस्त, यानी बुधवार है। एनडीए ने दो दिन पहले अपने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया था, जबकि आज विपक्षी दलों की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने जस्टिस रेड्डी के नाम की घोषणा की।
बी. सुदर्शन रेड्डी: एक सम्मानित न्यायिक हस्ती
जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी का जन्म 8 जुलाई 1946 को आंध्र प्रदेश के रंगा रेड्डी जिले के आकुला मायलारम गांव में एक किसान परिवार में हुआ। उन्होंने 1971 में उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद से कानून की डिग्री हासिल की और वरिष्ठ अधिवक्ता के. प्रताप रेड्डी के मार्गदर्शन में हैदराबाद में सिविल और संवैधानिक मामलों में वकालत शुरू की। उनकी गहरी कानूनी समझ और निष्पक्षता ने उन्हें जल्द ही पहचान दिलाई। 8 अगस्त 1988 को वे आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में गवर्नमेंट प्लीडर बने और बाद में केंद्र सरकार के लिए एडिशनल स्टैंडिंग काउंसिल की जिम्मेदारी संभाली।1991 में जस्टिस रेड्डी ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में जज के रूप में अपने न्यायिक करियर की शुरुआत की।
इसके बाद वे गुवाहाटी हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त हुए, जहां उन्होंने कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसलों में योगदान दिया। सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होने के बाद उन्हें गोवा का पहला लोकायुक्त नियुक्त किया गया। इस पद पर उन्होंने भ्रष्टाचार के मामलों में बिना किसी दबाव के पारदर्शी और सख्ती से जांच की, जिसने उनकी ईमानदार और निष्पक्ष छवि को और मजबूत किया। उनकी यह पृष्ठभूमि उन्हें उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद के लिए एक मजबूत दावेदार बनाती है।
इंडिया गठबंधन की रणनीति
इंडिया गठबंधन ने जस्टिस सुदर्शन रेड्डी को चुनकर यह स्पष्ट किया है कि वे संविधान, न्यायपालिका और पारदर्शिता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्राथमिकता दे रहे हैं। गठबंधन का मानना है कि रेड्डी की साफ-सुथरी छवि, व्यापक कानूनी अनुभव और निष्पक्षता उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए आदर्श उम्मीदवार बनाती है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, “जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी देश के सबसे सम्मानित और प्रगतिशील न्यायविदों में से एक हैं। उनका लंबा और निष्कलंक न्यायिक करियर उन्हें इस संवैधानिक पद के लिए सर्वथा उपयुक्त बनाता है।
विपक्षी गठबंधन की बैठक में रेड्डी के नाम पर सर्वसम्मति बनी। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की नेता ममता बनर्जी ने गैर-राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार को चुनने की वकालत की थी, और रेड्डी का चयन इस दिशा में एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है। गठबंधन का लक्ष्य न केवल एनडीए को कड़ी टक्कर देना है, बल्कि यह भी दिखाना है कि वे संवैधानिक मूल्यों और लोकतंत्र की रक्षा के लिए एकजुट हैं। रेड्डी की गैर-राजनीतिक छवि और न्यायिक अनुभव इस मुकाबले को एक विचारधारात्मक लड़ाई का रूप देता है।
सीपी राधाकृष्णन: एनडीए का मजबूत दावेदार
इंडिया गठबंधन के सुदर्शन रेड्डी का मुकाबला एनडीए के उम्मीदवार और वर्तमान महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से होगा। 20 अक्टूबर 1957 को तमिलनाडु के तिरुपुर में जन्मे राधाकृष्णन एक अनुभवी राजनेता हैं। वे कोयंबटूर से दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं और भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष भी रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और जनसंघ से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले राधाकृष्णन को उनके संगठनात्मक कौशल और दक्षिण भारत में प्रभाव के कारण चुना गया है।
उनकी उम्मीदवारी को भाजपा की दक्षिण भारत, खासकर तमिलनाडु में अपनी पैठ बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जहां 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं। राधाकृष्णन की बेदाग छवि और ओबीसी समुदाय से संबंध ने भी उनके चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, “सीपी राधाकृष्णन का लंबा राजनीतिक अनुभव और समर्पण उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए उपयुक्त बनाता है।” रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष खरगे और वाईएसआरसीपी नेता जगन मोहन रेड्डी से बात कर उनके समर्थन की मांग की है, जिससे यह संकेत मिलता है कि एनडीए निर्विरोध चुनाव की कोशिश में है।
उपराष्ट्रपति चुनाव: एक विचारधारात्मक मुकाबला
9 सितंबर को होने वाला उपराष्ट्रपति चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण है। एनडीए के पास लोकसभा और राज्यसभा में मजबूत संख्या बल है, जिसके कारण राधाकृष्णन की जीत की संभावना प्रबल मानी जा रही है। वाईएसआरसीपी और जेडीयू ने पहले ही राधाकृष्णन को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। हालांकि, इंडिया गठबंधन ने सुदर्शन रेड्डी के रूप में एक मजबूत और गैर-राजनीतिक उम्मीदवार उतारकर यह स्पष्ट कर दिया है कि वे इस मुकाबले को आसानी से नहीं छोड़ेंगे।विपक्ष का लक्ष्य न केवल एनडीए की जीत को चुनौती देना है, बल्कि यह भी दिखाना है कि वे संवैधानिक मूल्यों और लोकतंत्र की रक्षा के लिए एकजुट होकर लड़ सकते हैं।
रेड्डी की न्यायिक पृष्ठभूमि और निष्पक्ष छवि इस चुनाव को एक विचारधारात्मक लड़ाई का रूप देती है, जबकि राधाकृष्णन की उम्मीदवारी भाजपा की रणनीति और संगठनात्मक ताकत को दर्शाती है।निष्कर्षजस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी और सीपी राधाकृष्णन के बीच यह मुकाबला न केवल दो व्यक्तियों, बल्कि दो अलग-अलग दृष्टिकोणों और रणनीतियों की टक्कर है।
रेड्डी की उम्मीदवारी संवैधानिक मूल्यों और न्यायिक निष्पक्षता का प्रतीक है, जबकि राधाकृष्णन की उम्मीदवारी राजनीतिक अनुभव और संगठनात्मक ताकत को दर्शाती है। 9 सितंबर को होने वाला यह चुनाव न केवल उपराष्ट्रपति के चयन को निर्धारित करेगा, बल्कि भारत की राजनीति में विपक्ष और सत्ता पक्ष की ताकत का भी प्रदर्शन करेगा।

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