नई दिल्ली,नवसत्ता: ईरान और इस्राइल के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के बीच भारत सरकार ने तेहरान में मौजूद अपने नागरिकों के लिए नई और सख्त यात्रा एडवाइजरी जारी की है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि जो भारतीय नागरिक तेहरान छोड़ सकते हैं, वे तुरंत शहर से बाहर निकलें। दूतावास के संपर्क में न होने वाले भारतीयों से तत्काल संपर्क साधने और अपनी लोकेशन व नंबर साझा करने की अपील की गई है।
दूतावास की अपील: जो बाहर जा सकते हैं, तुरंत निकलें
तेहरान स्थित भारतीय दूतावास ने कहा है कि जिन भारतीय नागरिकों और प्रवासी भारतीयों (PIO) के पास संसाधन हैं, वे तेहरान से बाहर सुरक्षित स्थानों की ओर निकलें। जिनके पास यह सुविधा नहीं है, वे घर के भीतर ही रहें और दूतावास के आधिकारिक चैनलों से जुड़ें। इसके लिए एक विशेष टेलीग्राम चैनल भी बनाया गया है जहां छात्र अपना विवरण अपडेट कर सकते हैं।
हेल्पलाइन नंबर जारी
भारतीय नागरिकों के लिए तीन हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं:
+989010144557, +989128109115, +989128109109
इन नंबरों के जरिए सहायता प्राप्त की जा सकती है।
छात्रों की निकासी शुरू, एयरस्पेस बंद होने से आर्मेनिया के रास्ते वापसी
ईरान में करीब 10,000 भारतीय छात्र हैं, जिनमें 1500 से अधिक कश्मीरी छात्र शामिल हैं। अधिकतर छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए ईरान में हैं। ईरान का हवाई क्षेत्र बंद होने के कारण भारतीय छात्रों को ज़मीनी मार्ग से आर्मेनिया के रास्ते निकाला जा रहा है। वहां से उन्हें जॉर्जिया और फिर वेस्ट एशिया होते हुए भारत लाया जाएगा।
पहला दल जिसमें 110 छात्र शामिल हैं, आर्मेनिया सीमा तक पहुंच चुका है। दूतावास ने छात्रों की निकासी के लिए बसों की व्यवस्था की है और स्थानीय प्रशासन से सहयोग लिया जा रहा है।
इन विश्वविद्यालयों से छात्र निकाले जा रहे
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तेहरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज
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ईरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज
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इस्लामिक आज़ाद यूनिवर्सिटी
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शहीद बेहेश्ती यूनिवर्सिटी (यहां से छात्रों को कोम शहर भेजा गया)
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उर्मिया यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज
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शिराज यूनिवर्सिटी और इस्फहान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज (निकासी की योजना मंगलवार सुबह के लिए निर्धारित)
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अराक यूनिवर्सिटी से छात्रों को निकालने के लिए भी कार्रवाई जारी
अंतरराष्ट्रीय मोर्चा: जी-7 देशों का इजराइल को समर्थन, ट्रंप की चेतावनी
तेहरान में स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जी-7 सम्मेलन को बीच में छोड़कर वाशिंगटन लौट गए। सम्मेलन में अमेरिका समेत सभी जी-7 देशों ने इजराइल का खुला समर्थन किया और ईरान को “पश्चिम एशिया में अस्थिरता का मुख्य स्रोत” बताया। साथ ही ईरान से परमाणु हथियार कार्यक्रम बंद करने और तनाव कम करने की अपील की गई।
ट्रंप ने कहा, “तेहरान में मौजूद सभी लोगों को तुरंत बाहर निकलना चाहिए।” उन्होंने चेतावनी दी कि ईरान को 60 दिन दिए गए थे परमाणु कार्यक्रम पर सहमति के लिए, लेकिन वे विफल रहे। ट्रंप ने यह भी कहा कि अब ईरान को बातचीत करनी ही होगी, हालांकि अमेरिका के सैन्य हस्तक्षेप पर उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया।
पृष्ठभूमि: इजराइल ने शुरू किए हवाई हमले, तनाव और गहराया
गौरतलब है कि इजराइल ने चार दिन पहले ईरान के कई सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले शुरू किए थे। यह कार्रवाई ईरान के परमाणु कार्यक्रम के जवाब में की गई थी, जिससे पूरे क्षेत्र में युद्ध जैसे हालात बन गए हैं। विश्लेषकों के अनुसार, यह संकट अब केवल पश्चिम एशिया तक सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक स्तर पर प्रभाव डाल सकता है।
भारत सरकार स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है और नागरिकों की सुरक्षा के लिए हरसंभव कदम उठा रही है। ईरान में रह रहे सभी भारतीयों से अनुरोध है कि वे दूतावास के संपर्क में रहें, अफवाहों से दूर रहें और केवल आधिकारिक सूचना चैनलों पर ही भरोसा करें।