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लिपिक वर्ग ने अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ जमकर किया प्रदर्शन

हरियाणा, नवसत्ताः लिपिक वर्ग किसी भी सरकार, विभाग में रीढ़ की हड्डी के रूप में कार्य करता है। इसके बावजूद भी उसे सम्मानजनक वेतन के लिए उसे संघर्ष का रास्ता अपनाना पड़ रहा है और आज भी हरियाणा के करनाल में लिपिक वर्ग ने जमकर धरना प्रदर्शन किया। जिसके दौरान उन्होंने अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। बताया जा रहा है कि कर्मचारी सुबह से ही सेक्टर-12 पार्क में इकट्‌ठे हो गये थे। जिसके करीब 3 घंटें के बाद वह दोपहर को सीएम आवास की तरफ रवाना हो गये।

भीषण गर्मी के बावजूद जब वह नारेबाजी करते हुए अंबेडकर चौंक पहुंचे तो पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर उनका रस्ता रोक लिया।
जिसके बाद कर्मचारी तपती धूप में ही सड़क पर बैठ कर धरना प्रदर्शन करने लगे। जिसके करीब थोड़ी देर बाद करनाल मेयर रेनू बाला गुप्ता वहां कर्मचारियों की मांग को जानने के लिए पहुंची और उनका ज्ञापन लिया। जिसके बाद मेयर रेनू ने कर्मचारियों को आश्वासन दिया और कहा कि उनकी वेतन की मांगों को सरकार तक जल्द ही पहुंचाया जाएगा।

वहीं प्रदर्शन को लेकर क्लेरिकल एसोसिएशन वेलफेयर सोसाइटी के राज्य कमेटी के महा सचिव कर्ण सिंह ने बताया कि लिपिक वर्ग किसी भी सरकार, विभाग में रीढ़ की हड्डी के रूप में कार्य करता है। बावजूद इसके सम्मानजनक वेतन नहीं दिया जा रहा। लिपिक वर्ग ने क्लेरिकल एसोसिएशन वेलफेयर सोसाइटी का गठन करके लोकतांत्रिक व संवैधानिक तरीके से अपनी आवाज उठाई। लेकिन जिला प्रशासन से लेकर सरकार तक ने कोई ध्यान नहीं दिया। सुप्रीम कोर्ट ने भी किसी भी पद का वेतनमान निर्धारण करने हेतु दस बिंदु की गाइडलाइन जारी की है, जिसे भारतवर्ष में सभी राज्यों की सरकारों ने माना है, परंतु हरियाणा सरकार ने लिपिक वर्ग के लिए इन दस बिंदुओं का क्रियान्वयन नहीं किया।

इससे पहले भी क्लेरिकल एसोसिएशन वेल्फेयर सोसायटी के राज्य कमेटी के सदस्य राजेश कुमार भारद्वाज ने कहा था कि रीढ़ की हड्डी के रूप में कार्य करने वाले लिपिकीय वर्ग को कार्य के अनुरूप वेतन पाने के लिए संघर्ष का रास्ता अपनाना पड़ रहा है। उन्होंने बताया था कि संघर्ष को मजबूत करने के लिए ही दो साल पूर्व क्लेरिकल एसोसिएशन वेल्फेयर सोसायटी का गठन किया गया था। संगठन लोकतांत्रिक व संवैधानिक तरीके से कर्मचारियों की आवाज को बुलंद करना चाहता है।

उन्होंने बताया कि शुरूआती चरण में प्रदेशभर में जिला उपायुक्त के माध्यम से ज्ञापन देकर सरकार को अवगत करवाया गया था, लेकिन नतीजा शून्य रहा। इसके बाद विधानसभा में कर्मचारियों के इस मुद्दे को जोर शोर से उठाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने भी किसी भी पद का वेतनमान निर्धारण करने हेतु दस बिंदू की गाईड लाइन जारी की है, जिसे भारतवर्ष में सभी राज्यों की सरकारों ने माना है, परंतु हरियाणा सरकार ने लिपिक वर्ग के लिए इन दस बिंदुओं का क्रियान्वयन नहीं किया, जिसके कारण इनको न्यूनतम वेतनमान 19900 (एफपीएल-2) की कैटेगरी में रखा गया है, जबकि ये लोग 35400 एफपीएल-6 की सम्मानजनक मांग कर रहे हैं। महंगाई के साथ-साथ वेतन में बढ़ोत्तरी कर्मचारियों का हक है, जिसे सरकार देने में आनाकानी कर रही है।

 

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