हैदराबाद, नवसत्ताः राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हो रही है कि भारतीय वायु सेना (आईएएफ) समग्र सुरक्षा परिदृश्य और नेटवर्क-केंद्रित भविष्य के युद्ध क्षेत्र में एक उच्च प्रौद्योगिकी युद्ध लड़ने की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, विशेष रूप से भविष्य के लिए तैयार रहने के लिए कदम उठा रही है।
आपको बता दे कि मुर्मू ने डुंडीगल में वायु सेना अकादमी (एएफए) में पूरे सैन्य वैभव के साथ 211वें कोर्स की संयुक्त स्नातक परेड (सीजीपी)का निरीक्षण करने के बाद कहा, ‘ भारतीय वायु सेना के बहादुर योद्धाओं ने 1948, 1965 और 1971 में हुए युद्धों में दुश्मन पड़ोसी देश से रक्षा में जो वीरतापूर्ण भूमिका निभायी है वह स्वर्णाक्षरों में लिखित है।
उन्होंने कारगिल संघर्ष में और बाद में बालाकोट में आतंकी ठिकाने को नष्ट करने में समान संकल्प और कौशल का प्रदर्शन किया।’
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय वायुसेना मानवीय सहायता और आपदा राहत में भी योगदान देती है। हाल ही में तुर्की और सीरिया में आए भूकंप के दौरान खराब मौसम के बावजूद चिकित्सा सहायता और आपदा राहत प्रदान करने के लिए भारतीय वायु सेना तत्पर रही। इससे पहले, ‘काबुल में फंसे 600 से अधिक भारतीयों और अन्य नागरिकों को एयरलिफ्ट करने का सफल निकासी अभियान, जिसमें शत्रुतापूर्ण वातावरण में उड़ान भरना और उतरना शामिल है, भारतीय वायुसेना की उच्च क्षमताओं का प्रमाण है’।
मुर्मू ने कहा, ‘मुझे खुशी है कि भारतीय वायु सेना अब सभी भूमिकाओं और शाखाओं में महिला अधिकारियों को शामिल कर रही है। महिला लड़ाकू पायलटों की पर्याप्त संख्या है जो बढ़ना तय है’।
परेड के बाद पिलाटस पीसी-7 ट्रेनर एयरक्राफ्ट द्वारा एरोबेटिक प्रदर्शन, पीसी-7 के फॉर्मेशन द्वारा फ्लाईपास्ट, सुखोई-30 द्वारा एरोबेटिक शो, और हेलीकॉप्टर डिस्प्ले टीम ‘सारंग’ और सूर्या किरण एरोबेटिक टीम द्वारा सिंक्रोनस एरोबेटिक डिस्प्ले किया गया। इस अवसर पर तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी भी उपस्थित थे।