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कादीपुरः पराली जलाने पर किसान हिरासत में, पुलिस ने मशीन किया जब्त

कादीपुर (सुलतानपुर),नवसत्ताः राज्य सरकार के रोक बावजूद सुल्तानपुर के कादीपुर कोतवाली पुलिस ने पराली जला रहे किसान देवानंद को ग्रामीणों की शिकायत के बाद हिरासत में लेकर कम्बाइंड मशीन अपने कब्जे में ले लिया है। इसके साथ ही आगे की कार्रवाई में जुट गयी है। जानकारी के मुताबिक किसान देवानंद कम्बाइंड मशीन से धान कटवा कर खेत में ही पराली जला रहा था। इसके साथ पुलिस कम्बाइंड मशीन संचालक के खिलाफ भी कार्रवाई कर रही है। मौके पर राजस्व विभाग के लेखपाल सहित अन्य टीम मौके पर मौजूद रही। क्षेत्राधिकारी रमेश ने बताया कि पराली जलाए जाने पर रोक के बावजूद किसान द्वारा पराली जलाया जा रहा था जिससे किसान व कम्बाइंड संचालक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर आवश्यक कार्रवाई होगी।


क्यो जलानी पड़ती है पराली
पराली को जलाने की नौबत इस वजह से आ रही है कि अब फसल की कटाई कम्बाइंड (बड़ी मशीनों) से हो रही है। यह धान और गेहूं के पौधों को ऊपर-ऊपर से काटता है। इससे एक-डेढ़ फुट तक के ठूंठ रह जाते हैं, जिसे पराली कहते हैं। किसानों अगली का बुवाई से पहले इसमें आग लगा देते हैं। इसकी राख तो मिट्टी में मिल जाती है, लेकिन धुआं स्मॉग के तौर पर इकट्ठा हो जाता है। पहले हाथ से होने वाली कटाई के दौरान ठूंठ भी निकल जाती थी।

प्रदेश में शाहजहांपुर अव्वल, लखीमपुर दूसरे स्थान पर
सैटेलाइट से अब तक प्रदेश में 201 स्थलों पर पराली जलाने की घटनाएं दर्ज हुई। इनमें शाहजहांपुर की संख्या 94 है। जब गत वर्ष 12 अक्टूबर तक मात्र 20 स्थलों पर पराली जलाई गई थी। पीलीभीत में भी चार के सापेक्ष इस आठ घटनाएं हुई है। लखीमपुर खीरी के किसानों ने संयम अपनाया। वहां मांत्र 20 स्थलों पर पराली जली, जबकि गत वर्ष संख्या 23 थी।

पराली को लेकर 18 जिले राडार पर
रूहेलखंड में बरेली और रामपुर भी पराली जलाने पर अंकुश लगाने के लिए पर्याप्त उपाय करने में विफल रहे हैं। यही हाल खीरी, पीलीभीत, शाहजहांपुर, फतेहपुर, बाराबंकी, कानपुर और हरदोई का है। जहां 18 जिले राज्य सरकार के रडार पर आ गए हैं, वहीं मुख्य सचिव मिश्रा ने सभी जिला अधिकारियों से इस समस्या को तत्काल प्रभाव से रोकने के लिए कदम उठाने को कहा है। यूपी सरकार ने भी 2019 से इस मुद्दे पर चार सरकारी आदेश जारी किए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने पराली को लेकर जारी की थी गाइडलाइन
सुप्रीम कोर्ट ने पराली को लेकर जारी की थी गाइडलाइन पिछले साल, राज्य के कृषि विभाग ने कृषि अवशेषों के निपटान के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय के रूप में आवारा मवेशियों को पराली खिलाने का प्रस्ताव रखा था। सरकार ने आवारा पशुओं के लिए बने आश्रय गृहों में पराली की ढुलाई के लिए फंडिंग का भी प्रस्ताव किया था। इसमें दैनिक निगरानी और मानदंडों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना शामिल है। साल दर साल पराली (एनजीटी) की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सख्त निर्देशों के बावजूद स्थिति सामने आई है।

 

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