नई दिल्ली,नवसत्ता: डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा की कमजोरी लगातार बढ़ती जा रही है. मंगलवार सुबह रुपये ने पहली बार रिकॉर्ड 80 का न्यूनतम स्तर छुआ. रुपये में आ रही लगातार गिरावट का भारतीय अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है. डॉलर के मुकाबले रुपया 7 पैसे की गिरावट के साथ 80.05 के स्तर पर खुला.
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया मंगलवार को मनोवैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण 80 के स्तर तक गिर गया है, जिससे इसकी साल-दर-साल गिरावट लगभग 7 प्रतिशत हो गई है. घरेलू मुद्रा के शुरुआती कारोबार में एक दिन पहले ट्रेड 79.9775 पर बंद हुआ था और आज ये 80.0175 के निचले स्तर पर पहुंच गई है.
ग्लोबल मार्केट में डॉलर में आ रही मजबूती और विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार से धन निकासी की वजह से रुपये पर दबाव बढ़ता जा रहा है. ग्लोबल मार्केट में कमोडिटी पर दबाव की वजह से निवेशक डॉलर को ज्यादा पसंद कर रहे हैं, क्योंकि वैश्विक बाजार में सबसे ज्यादा ट्रेडिंग डॉलर में होती है. लगातार मांग से डॉलर अभी 20 साल के सबसे मजबूत स्थिति में है. इसके अलावा विदेशी निवेशक इस समय भारतीय बाजार से लगातार पूंजी निकाल रहे हैं, जिससे विदेशी मुद्रा में कमी आ रही और रुपये पर दबाव बढ़ रहा है. वित्तवर्ष 2022-23 में अप्रैल से अब तक विदेशी निवेशकों ने 14 अरब डॉलर की पूंजी निकाल ली है.
रुपया गिरने का क्या होगा असर?
सबसे पहले तो रुपया गिरने से आयात महंगा हो जाएगा, क्योंकि भारतीय आयातकों को अब डॉलर के मुकाबले ज्यादा रुपया खर्च करना पड़ेगा. भारत अपनी कुल खपत का 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है, जो डॉलर महंगा होने और दबाव डालेगा. वहीं अगर ईंधन महंगा हुआ तो माल ढुलाई की लागत बढ़ जाएगी जिससे रोजमर्रा की वस्तुओं के दाम बढ़ेंगे और आम आदमी पर महंगाई का बोझ भी और बढ़ जाएगा.
इसके अलावा विदेशों में पढ़ाई करने वालों पर भी इसका असर पड़ेगा और उनका खर्च बढ़ जाएगा, क्योंकि अब डॉलर के मुकाबले उन्हें ज्यादा रुपये खर्च करने पड़ेंगे. रुपया गिरने के कारण चालू खाते का घाटा बढ़ जाएगा, जो पहले ही 40 अरब डॉलर पहुंच गया है. पिछले साल समान अवधि में यह 55 अरब डॉलर सरप्लस था.