Navsatta
खास खबरराजनीतिराज्य

यूपी कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनने से पल्ला झाड़ रहे बड़े नेता

मिशन 2024 की तैयारी में भाजपा से पिछड़ती जा रही कांग्रेस

नीरज श्रीवास्तव

लखनऊ,नवसत्ताः उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद साढ़े तीन माह से खाली है. पार्टी को जेबी संगठन के तौर पर चला रहे वर्तमान नीति निर्धारकों से क्षुब्ध कोई वरिष्ठ कांग्रेसी इस पद को लेने से पल्ला झाड़ रहा है. ऐसे में संगठन की गतिविधियां ठप हैं. ऐसा लगता है कि विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के झटके से पार्टी उबर नहीं पा रही है. उधर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी मिशन आगामी लोकसभा चुनावों की तैयारी में अभी से जुट गई है. यही हाल रहा तो मिशन 2024 भी पार्टी के लिए दूर की कौड़ी साबित होगा.

सूबे में कांग्रेस अध्यक्ष का पद बीते 15 मार्च से खाली है. बीते विधानसभा चुनाव में बेहद खराब प्रदर्शन के बाद तत्कालीन अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस्तीफा ले लिया था. इसी के बाद से कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश में है. परन्तु पर अब तक वह यह तय नहीं कर सका है कि अध्यक्ष की कमान किसे सौंपी जाए.

इसकी एक वजह है राज्य के बड़े कांग्रेसी नेताओं का प्रदेश अध्यक्ष बनने से इंकार करना. जिसके चलते कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व को यूपी का नया प्रदेश अध्यक्ष तय करने में विलंब हो रहा है. अब कहा जा रहा है कि इसी माह पार्टी यूपी के प्रदेश अध्यक्ष का नाम फाइनल कर देगी और यह अध्यक्ष पिछड़ा या दलित समाज से होगा.

यूपी कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष तय करने के बाबत पार्टी में जातिगत फैक्टर के अलावा एक और बात जो महत्वपूर्ण दिख रही है, वह है नए प्रदेश अध्यक्ष का टीम प्रियंका के साथ फिट होना. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा प्रदेश में कांग्रेस मामलों की प्रभारी हैं. प्रदेश संगठन के सभी फैसले उनके निजी सचिव संदीप सिंह ले रहे हैं. उनकी मौजूदगी में किसी बड़े नेता को अपना फैसला लेने का कितना मौका मिलेगा, यह भी एक बड़ा सवाल है.

 

प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि पिछले प्रदेश अध्यक्ष, यानी अजय लल्लू का कार्यकाल देखा जा चुका है. प्रियंका की मौजूदगी में उनकी स्थिति केवल उन फैसलों पर अमल करने की होती थी, जो ऊपर से तय होकर आते थे. ऐसे में अब पार्टी में यूपी कांग्रेस के इसी तरह के अध्यक्ष की तलाश हो रही है ,जो इस परम्परा को आगे बढ़ाए. इस वजह से कांग्रेस के सीनियर नेता सलमान खुर्शीद, प्रमोद तिवारी, प्रदीप माथुर, राजेश मिश्रा, निर्मल खत्री प्रदेश अध्यक्ष बनना नहीं चाहते.

ऐसे में अब वीरेंद्र के नाम की चर्चा भी प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए होने लगी है. वह अजय कुमार लल्लू के कार्यकाल में प्रदेश उपाध्यक्ष रहे हैं. उनके अलावा पार्टी के कुछ नेता प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर दलित समाज के नेता को लाने की वकालत कर रहे हैं. इनका कहना है कि पार्टी ब्राह्मण चेहरे को यूपी से राज्यसभा भेज चुकी है. इसके पहले ओबीसी चेहरा प्रदेश अध्यक्ष था, जिसे सीडब्ल्यूसी में शामिल किया जा चुका है.

 

इस लिहाज से इस कुर्सी पर दावेदारी दलित चेहरे की ही बनती है. अब देखना यह है कि इस माह कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व किसी प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठता है. हालांकि भाजपा की अभी से तैयारियों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि पार्टी को मिशन 2024 के लिए हाड़तोड़ मेहनत करनी होगी.

संबंधित पोस्ट

कोरोना की दहशत:गांव की सरकार के लिए मतदान के शुरुआती समय में नहीं नज़र आईं लंबी लंबी लाइनें

navsatta

पीएम नरेंद्र मोदी ने आगरा मेट्रो को वर्चुअली दिखाई हरी झंडी, सीएम योगी ने किया सफर

navsatta

विधानसभा चुनाव से पहले योगी सरकार का बड़ा तोहफा, कर्मचारियों का बढ़ाया डीए, नियमित होंगे संविदाकर्मी

navsatta

Leave a Comment