नई दिल्ली, नवसत्ता: सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने राजद्रोह कानून के मामले पर सुनवाई करते हुए फिरहाल रोक लगा दी है. कोर्ट ने केंद्र से इस पर फिर विचार करने के लिए कहा है साथ ही राज्यों को निर्देश दिए हैं कि इस कानून के इस्तेमाल से परहेज करें. राजद्रोह कानून मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई जुलाई में होगी. इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि जो लोग इस कानून की धाराओं के तहत जेल में बंद हैं, वो अब जमानत के लिए कोर्ट का रुख कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जो मामले लंबित हैं उन पर यथास्थिति बनाई रखी जाए. मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल ने फिलहाल इस कानून पर रोक न लगाने की अपील की. सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून के इस्तेमाल पर रोक लगाते हुए कहा है कि पुनर्विचार तक राजद्रोह कानून 124ए के तहत कोई नया मामला दर्ज न किया जाए.
कोर्ट ने कहा है कि जिनके खिलाफ राजद्रोह के आरोप में मुकदमे चल रहे हैं, वो जमानत के लिए समुचित अदालतों में अर्जी दाखिल कर सकते हैं. देश का नागरिक सरकार विरोधी या कानून विरोधी सामग्री लिखता या बोलता है या फिर उसका समर्थन करता है तो वो राजद्रोह का अपराधी है और इसके तहत तीन साल से लेकर उम्रकैद की सजा भी हो सकती है. अगर कोई व्यक्ति राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करता है या फिर संविधान के नियमों का पालन नहीं करते हुए उसके खिलाफ एक्शन लेता है तो उस पर भी राजद्रोह का केस दर्ज हो सकता है. ये कानून 1860 में बना था और इसे 1870 में आईपीसी में शामिल किया गया था.