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बसपा नेता की कंपनी को पालपोस रहा है जल जीवन मिशन

संजय श्रीवास्तव

आफताब आलम की विंग्स पर मेहरबान है जल जीवन मिशन
बसपा के टिकट पर खलीलाबाद से चुनाव लड़ चुके हैं आफताब
डब्ल्यूएसएसओ से मिला था विंग्स को काम
बंद हो चुका है डब्ल्यूएसएसओ ( पेयजल एवं स्वच्छता सहयोग संगठन)
मौजूदा मिशन जल जीवन से डब्ल्यूएसएसओ का कोई नाता नहीं
16 जिलों में लगभग सौ करोड़ का चल रहा है काम

नवसत्ता, लखनऊ: ग्रामीण क्षेत्रों में पीने का पानी सुनिश्चित कराने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम की शुरुआत साल 2010 में हुई. इस कार्यक्रम के अन्तर्गत ही राज्य पेयजल एवं स्वच्छता संगठन को प्रचार प्रसार के काम की जिम्मेदारी सौंपी गई. इस संगठन ने साल 2014 में टेंडर निकाल कर 5 स्वयंसेवी संगठनों का चयन किया गया. इनमें से ही आफताब आलम के विंग्स एनजीओ को भी काम दिया गया. इसके तहत चुने हुए 16 जिलों में पेयजल से संबंधित प्रचार प्रसार का काम सौंपा गया था. इसी बीच साल 2019 में मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन की शुरुआत हुई जिसके तहत हर घर को नल से जल देने का लक्ष्य साल 2024 तक के लिए निर्धारित किया गया. इसके लिए जल जीवन मिशन की नई मार्ग निर्देशिका प्रकाशित की गई. परंतु उत्तर प्रदेश सरकार की मेहरबानी के चलते जो एनआरडीडब्ल्यूपी योजना पूरे देश में बंद हो गई या यूं कहें कि मर सी गई वो यहां अनवरत जारी रखी गई और वो भी सिर्फ एक एनजीओ को फायदा पहुंचाने के इरादे से. सूत्रों की मानें तो देश में ये एक ऐसा अनोखा टेंडर हुआ जो अनवरत चला आ रहा है इसकी काम खत्म करने की कोई सीमा रेखा निर्धारित नहीं. जबकि इसका सपोर्ट फंड भी बंद हो चुका है.

गौरतलब है कि इस काम के लिए जिन पांच एनजीओ का चयन हुआ था उनमें से ज्यादातर का काम आज भी चल रहा है. पानी के लिए चलने वाली सरकारी योजना की इकाई भले बंद हो गई लेकिन मिशन जल जीवन के तहत प्रचार प्रसार करने वालों का काम चलता रहा है. 2014 से 2018 तक तो राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के हिसाब से इन एनजीओ से काम कराया गया पर अक्टूबर 2018 में ही आफताब आलम की संस्था विंग्स को और अधिक सपोर्ट करने के इरादे से टेंडर की शर्तों में तोड़ मरोड़ भी कर दी गई. प्रचार प्रसार का जो काम जिन 16 जिलों में दिया गया उसमें कानपुर देहात, अयोध्या, बलरामपुर, अमरोहा, मुरादाबाद, मिर्जापुर, कानपुर नगर, आगरा, चंदौली, भदोही, मथुरा, लखनऊ, अलीगढ़, मैनपुरी, फतेहपुर और वाराणसी शामिल हैं. इन 16 जिलों के लिए चयनित एनजीओ को लगभग 5 करोड़ प्रति जिले के हिसाब से काम दिया गया मतलब करीब 80 करोड़ का काम.

गौरतलब है कि जल जीवन मिशन में प्रचार प्रसार के लिए नई गाइडलाइन जारी की गई है जिसके तहत किसी भी संस्था को काम आईएसए के द्वारा ही कराया जाना सुनिश्चित किया गया है जबकि उपरोक्त में ऐसी कोई गाइडलाइन नहीं है. अब सवाल ये है कि जो काम जल जीवन मिशन के तहत नई गाइडलाइन के अनुरूप होना चाहिए था उसमें पुराने नियमों के तहत ही विंग्स को को फायदा पहुंचाने के लिए अभी भी कार्य को जारी रखा गया है. उधर इस संबंध में जल जीवन मिशन के अधिशाषी निदेशक अखंड प्रताप सिंह और सलाहकार जीपी शुक्ला से उनके मोबाइल नंबर पर बात करने की कोशिश की गई पर उनके फोन नहीं उठे। लेकिन मिशन के वित्तीय नियंत्रक प्रियरंजन कुमार बताते हैं कि एनआरडीडब्ल्यूपी कार्यक्रम अभी भी चल रहा है और इस योजना के लिए केंद्र सरकार से अभी पैसा भी आ रहा है जिससे उपरोक्त 16 जनपदों में राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन के प्रचार प्रसार का काम किया जा रहा है.

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