हरदोई/लखनऊ,नवसत्ता: एचसीएल फाउंडेशन ने उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के साथ एक संयुक्त पहल में हरदोई, उत्तर प्रदेश में सेंटर फॉर एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (सीएटीटी) लॉन्च किया है। यह पहल एचसीएल समुदाय का हिस्सा है, जो एचसीएल फाउंडेशन का एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है और ग्रामीण भारत के लिये बढ़ाए जाने और दोहराये जाने योग्य विकास का एक मॉडल बनाने की दिशा में काम कर रहा है। सीएटीटी किसानों को खेती की आधुनिक तकनीकों और टेक्नोलॉजीज पर प्रशिक्षण देगा, ताकि फसल की उपज बेहतर हो और उनकी आय बढ़े। इस सेंटर का उद्घाटन उत्तर प्रदेश में ग्रामीण विकास के अतिरिक्त मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह और हरदोई, उत्तर प्रदेश के कृषि उपनिदेशक डॉ. नंद किशोर ने एचसीएल फाउंडेशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर आलोक वर्मा के साथ किया।
यह सीएटीटी पाँच एकड़ भूमि पर फैला है और इसकी स्थापना एचसीएल फाउंडेशन और हरदोई जिला कृषि विभाग द्वारा 2020 में किए गए एक एमओयू के आधार पर हुई है। एचसीएल फाउंडेशन 2023 तक सीएटीटी को मैनेज करेगा और फिर इसका परिचालन उत्तर प्रदेश सरकार का कृषि विभाग करेगा। अभी विभिन्न प्रशिक्षण सत्रों के लिये हरदोई जिले की 11 तहसीलों से लगभग 6000 किसानों का चयन किया गया है। जिले के सभी किसानों को शामिल करने के लिये इस कार्यक्रम का और भी विस्तार किया जाएगा।
सेंटर नीचे दी गई सुविधाएं प्रदान करेगा :
- प्रतिवर्ष 30,000 से ज्यादा नमूनों की जाँच की क्षमता वाला पूरी तरह से कार्यात्मक मृदा-परीक्षण एवं फसल सुरक्षा परामर्श केन्द्र
- न्यूनतम शुल्क पर कृषि मशीनरी का प्रभावी प्रबंधन और इस्तेमाल
- आधुनिक फसल पद्धतियों, कीटनाशकों और कीटों के प्रबंधन, तथा भूमि के विकास के लिये खेती की मशीनरी के इस्तेमाल पर क्लासरूम ट्रेनिंग मॉड्यूल्स
- अन्य सेवाओं में किसान प्रशिक्षण केन्द्र, कस्टमाइज्ड फार्म मशीनरी बैंक, सोलर-आधारित ड्रिप इरिगेशन सिस्टम, लो टनल पॉलीहाउस एवं ग्रीन शेड नेट, हर्बल गार्डन, और इंटीग्रेटेड न्यूट्रीयेंट एवं पेस्ट मैनेजमेंट शामिल हैं
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश में ग्रामीण विकास के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री मनोज कुमार सिंह ने कहा, “इस क्षेत्र में पारंपरिक खेती की पद्धति का एक लंबा इतिहास है। लेकिन एचसीएल फाउंडेशन ने परियोजना क्षेत्र में किसानों को खेती की सबसे नई टेक्नोलॉजीज देने में भूमिका निभाई है। नया स्थापित सेंटर फॉर एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (CATT) किसानों का जीवन बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। मुझे उम्मीद है कि कई किसान इसकी सेवाओं का पूरा इस्तेमाल करेंगे। मैं एचसीएल फाउंडेशन और कृषि उपनिदेशक को धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने कम इस्तेमाल हुई एक भूमि को प्रशिक्षण और ज्ञान के आवंटन के एक केन्द्र में बदला है।”
इस पहल पर अपनी बात रखते हुए, एचसीएल फाउंडेशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर आलोक वर्मा ने कहा, “जिस तरह से खेती की जाती है, उसका सीधा प्रभाव हमारे द्वारा लिये जाने वाले भोजन के पोषण पर पड़ता है। इसलिये यह जरूरी है कि किसानों को खेत की आधुनिक टेक्नोलॉजीज और अभिनव तकनीकों पर शिक्षा मिले। इस दिशा में एचसीएल समुदाय 2015 से काम कर रहा है, ताकि विभिन्न नए-नए कार्यक्रमों पर कार्यान्वयन हो सके। इनमें से कुछ हैं किसानों को खेती की वैज्ञानिक पद्धतियों और खेती के आधुनिक उपकरणों से अवगत कराना और किसान क्लबों को संस्थागत बनाना, ताकि खेती कम बोझिल लगे और बाजार से उसका जुड़ाव बढ़े। हमारी कोशिशों के परिणामस्वरूप हाशिये पर खड़े किसानों (जिस समूह के साथ हमने काम किया है) को खेत से होनी वाली आय 25% तक बढ़ी है। सीएटीटी इस क्षेत्र में कृषि के सेक्टर के कायाकल्प के लिये हमारे समग्र प्रयासों का एक अन्य चरण है।‘’
एचसीएल समुदाय की टीम चयनित किसानों के एक समूह के प्रशिक्षण के केन्द्र बिन्दु के तौर पर इस सेंटर का दायरा बढ़ाएगी। यह किसान अपने-अपने गांवों और ग्राम पंचायतों में कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने वाले दूत बनेंगे।
एचसीएल फाउंडेशन के विषय में
एचसीएल फाउंडेशन (एचसीएलएफ) की स्थापना 2011 में एचसीएल टेक्नोलॉजीज की सीएसआर शाखा के रूप में की गई थी। यह एक गैर-लाभकारी-संगठन है, जिसका उद्देश्य लोगों के सामाजिक और आर्थिक स्तर को सुधारना और पर्यावरण से संबंधित निर्धनता को दूर करना है। समावेशी वृद्धि और विकास के लक्ष्य को प्राप्त करना भी संगठन का उद्देश्य है।
फाउंडेशन के विभिन्न फ्लैगशिप प्रोग्राम और पहलों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में योगदान देने का प्रयास किया है। इसके साथ ही यह लोगों और इस ग्रह पर अपने दीर्घकालीन स्थिर कार्यक्रमों से स्थायी रूप से सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। इससे सभी लोगों के लिए समान पहुंच, अवसर और सभी का संपूर्ण विकास सुनिश्चित होता है।
सक्रिय सामुदायिक जुड़ाव लंबी अवधि में सर्वोत्तम लाभ और ऊपरी जवाबदेही सुनिश्चित करता है। एचसीएल फाउंडेशन जीवन चक्र पर आधारित एकीकृत सामुदायिक विकास के नजरिये से काम करता है। फाउंडेशन का पूरा ध्यान शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास एवं आजीविका, पर्यावरण, आपदा के समय लोगों को कम से कम नुकसान होने और मुसीबत की घड़ी में तुरंत रेस्पांस देने पर केन्द्रित है। एचसीएल फाउंडेशन की सभी पहलों के केंद्र में बाल सुरक्षा की पहल, विकास में सबको शामिल करना, लैंगिक मान्यताओं को सक्रियता से चुनौती देते हुए सभी को समान अवसर प्रदान करना है।
एचसीएल फाउंडेशन मौजूदा समय में पांच फ्लैगशिप कार्यक्रमों को जमीनी स्तर पर लागू कर रहा है। फाउंडेशन के फ्लैगशिप प्रोग्राम में एचसीएल समुदाय और एचसीएल ग्रांट -ग्रामीण विकास कार्यक्रम, एचसीएल उदय और क्लीन नोएडा – शहरी विकास कार्यक्रम, एचसीएल हरित (द ग्रीन इनिशिएटिव) – एनवॉयरमेंट एक्शन प्रोग्राम और 4 विशेष पहलें – पावर ऑफ वन, स्पोर्ट्स फॉर चेंज, एचसीएल फाउंडेशन अकादमी और माई ई-हाट हैं। अधिक जानकारी के लिए कृपया https://www.hclfoundation.org/ वेबसाइट पर जाएं।
एचसीएल समुदाय के विषय में:
एचसीएल समुदाय, एचसीएल फाउंडेशन का फ्लैगशिप प्रोग्राम है। यह भारत के गांवों के विकास के लिए एचसीएल की प्रतिबद्धता का नतीजा है।
2015 में स्थापित समुदाय ग्रामीण विकास के लिए एक स्थिर, प्राप्त करने योग्य और प्रतिकृति मॉडल बनाना चाहता हैं। यह केंद्र, राज्य सरकारों, स्थानीय समुदाय, एनजीओ, शिक्षा संस्थानों और संबद्ध भागीदारों के आर्थिक और सामाजिक विकास का सोर्स कोड है। इसके तहत हम चुनिंदा गांवों में कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत ढांचा, रोजी-रोटी कमाने के साधन और वॉश (वॉटर, सैनिटेशन, हाइजीन) के क्षेत्र में बेहतरीन ढंग से दखल कर अपना योगदान सुनिश्चित करते हैं।
यह प्रोग्राम स्थानीय लोगों को उनकी समस्याओं को पहचानने में मदद करने, साथ मिलकर समाधान तलाशने और फिर इन्हीं समाधानों को व्यावसायिक सहयोग के माध्यम से लागू करने के लिए बनाया गया है। इससे विकास के संपूर्ण विजन में स्थायित्वपूर्णता और स्वामित्व को नया आयाम दिया जाता है।
मौजूदा समय में, यह उत्तर प्रदेश के 11 ब्लॉक्स- कछौना, बेहेंदर, कोठावन, भरावां, बिलग्राम, माधोगंज, मल्लावां, सुरसा, तड़ियावां, अहिरोरी और संडीला में लागू किया गया है। एचसीएल समुदाय 284 ग्राम पंचायतों के तहत आने वाले 1300 गांवों में संचालित है, जिनमें 165,000 से ज्यादा परिवार आते हैं और 9 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित होते हैं।