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विश्वविद्यालय की स्थापना कर बच्चों को देंगे निःशुल्क शिक्षाःअनिरुद्धाचार्य महाराज

गौरी गोपाल वृद्धाश्रम में वृद्धजनों की सेवा और उनके रहने, खाने की समुचित व्यवस्था

राजेन्द्र पाण्डेय

वृंदावन,नवसत्ताः बृज की पवित्र धरा वृंदावन धाम में अनिरुद्धाचार्य महाराज के निरंतर सेवा भाव व श्रीमद भगवत व कथाओं का श्रवण करातें अनिरुद्धाचार्य महाराज ने नवसत्ता को बताया कि मां नर्मदा के किनारे पर स्थित रिंवझा जबलपुर मध्यप्रदेश के गौ भक्त परिवार में जन्म हुआ तथा वे बाल्यकाल से प्रतिदिन ठाकुर जी की सेवा पूजा में लगे रहते थे। फिर उन्होंने श्री ठाकुर जी का आदेश मानकर माँ नर्मदा से माँ जमुना तक भक्ति पथ पर निकलने के निश्चय किया। उनकी बाल्यावस्था से सेवा और धार्मिक ग्रंथों में रुचि होने के कारण वृन्दावन में वेद पुराण और शास्त्रों का अध्ययन किया और लोगों के जीवन की दिशा और दशा का बदलनें का प्रण कर लिया। सर्वप्रथम उन्होंने गौरी गोपाल वृद्धाश्रम की नींव वृद्धजनों की सेवा और आश्रय के लिए रखी जिसका उद्देश्य वृद्धजनों की सेवा और उनके रहने, खाने के लिए समुचित व सुसज्जित व्यवस्था करना है, ताकि कोई भी वृद्धजन बिना घर के ओर बिना भोजन किये भूख से न सोने पाए ।

साथ ही वृंदावन में श्री ठाकुर जी के दर्शन को पधारें भक्तजन भूखे न रहे उनके लिए प्रतिदिन भोजन प्रसाद की व्यवस्था सुबह से शाम तक अनवरत जारी रहती है, चाहे उनकी संख्या कितनी भी हो। प्रतिदिन उनके द्वारा स्थापित गौशाला में वे स्वयं गायों की प्रतिदिन सेवा करते हैं। अनिरुद्धाचार्य महाराज अब तक करीब 500 से ज्यादा कथाएं समस्त भारतवर्ष में कर चुके हैं।
एक और सेवा जो उनके मन में कौंध रही थी कि कई बच्चें आर्थिक तंगी के चलते महाविद्यालय की डिग्री नहीं ले पाते हैं उनके लिए अपनी सेवा में और विस्तार करकें विश्वविद्यालय स्थापित करके बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दी जाए।

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