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भाजपा ने 9 जिलों में ब्राह्मणों को सौंपी महिला मोर्चा की कमान

लखनऊ,नवसत्ता : अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनावों को देखते हुए योगी सरकार ने इस बीच पश्चिम यूपी के 19 जिलों में से 9 में ब्राह्मणों को महिला मोर्चा की कमान सौंपकर बड़ा दांव खेला है.
ब्राह्मण वोटरों को लुभाने के लिए सभी राजनीतिक पार्टियों अपनी ताकत झोंक रही हैं। यूपी की सत्ता हासिल करने की जुगत में बैठी बसपा बीजेपी पर ब्राह्मण विरोधी होने का आरोप लगाकर जगह-जगह प्रबुद्ध सम्मेलन (ब्राह्मण सम्मेलन) आयोजित कर रही है, तो अखिलेश यादव भी खुद को ब्राह्मणों का हितैषी बता रहे हैं। इस बीच अब योगी सरकार ने बीएसपी सुप्रीमो मायावती की ब्राह्मणों को साधने की मुहिम को बेअसर करने के लिए बड़ा दांव खेला है।

बीजेपी यूपी महिला मोर्चा ने पश्चिम यूपी के19 जिलों में से 9 में ब्राह्मण महिलाओं को जिलाध्यक्ष बनाया है। हालांकि महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष गीता शाक्य हैं, जो कि ओबीसी कोटे से हैं। इसके अलावा मेरठ महानगर से गीता शर्मा, गाजियाबाद से आरती मिश्रा, गाजियाबाद महानगर से पूनम कौशिक, नोएडा महानगर से शारदा चतुर्वेदी, बुलंदशहर से शशि शर्मा, मुरादाबाद महानगर से विजय लक्ष्मी पंडित, अमरोहा से उषा शर्मा, बिजनौर से मोनिका शर्मा यादव और सहारनपुर महानगर से आरती शर्मा को जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी है। बता दें कि ये सभी ब्राह्मण हैं।

इसके अलावा पश्चिम के अन्य जिलों में अलग अलग जाति की महिलाओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है। सहारनपुर में रक्षा नामदेव, मुजफ्फरनगर में कविता सैनी, शामली में कुसुमलता पाल, मेरठ जिले में मंजू सेठी, हापुड़ में पालय गुप्ता, बागपत में लता सिसोदिया, गौतमबुद्ध नगर में रजनी सिंह, रामपुर में पारुल अग्रवाल, मुरादाबाद में आदेश चौधरी और संभल में राखी सिरोही को महिला मोर्चा का जिलाध्यक्ष बनाया है।

बता दें कि बसपा ने एक बार फिर यूपी की सत्ता हासिल करने के लिए ब्राह्मणों को अपने पाले में करने के लिए 2007 के फॉर्मूले पर लौटते हुए काम शुरू कर दिया है। यही नहीं, वह इस दौरान भाजपा और अन्य दलों पर ब्राह्मणों को ठगने का आरोप भी लगा रही है। जबकि समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने जनेश्वर मिश्र को याद करने के साथ ही साइकिल यात्रा निकाल कर अपना दम दिखाया है, तो आरएलडी और कांग्रेस ब्राह्मणों को साधने की तैयारी में जुटी हुई है। बता दे कि भाजपा ने हाल में यूपी के दिग्गज ब्राह्मण नेताओं में शुमार जतिन प्रसाद को अपने पाले में खींचा है। हालांकि राजनीति के जानकार इसे भाजपा की बसपा के ब्राह्मण प्रेम को कम करने की रणनीति के तौर पर देख रहे हैं।

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