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डॉक्टर्स डे विशेष: मिलिए जिला चिकित्सालय देवरिया के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ आनंद मोहन वर्मा से

अगर हम मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार करें तो दवा से ज्यादा हमारा व्यवहार उनके इलाज में कारगर साबित होगा और वे उग्र नहीं होंगे। शुरू से ही प्रशासनिक स्तर से सहयोग मिलने के कारण आज मैं मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के साथ-साथ मेडिकल कॉलेज देवरिया के प्राचार्य के पद पर आसीन हूं, जो की बहुत ही बड़ी बात है। प्रोविंशियल मेडिकल सर्विस से डायरेक्ट चिकित्सा शिक्षा में नियुक्ति होना एक अविस्मरणीय घटना हैं।

विपिन कुमार शर्मा
देवरिया, नवसत्ता : महर्षि देवरहा बाबा स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय देवरिया के प्राचार्य एवं जिला चिकित्सालय देवरिया के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ आनंद मोहन वर्मा अपने डॉक्टर बनने का प्रेरणास्रोत अपने माता- पिता को मानते हैं। मुलाकात के दौरान डॉ आनंद मोहन वर्मा ने बताया कि जब घर पर कोई बीमार पड़ता था और डॉक्टरों की कमी की वजह से डॉक्टरों का दरवाजा खटखटाना पड़ता था। तब हमारे माता-पिता ने ठाना कि मेरा बेटा भी डॉक्टर बनकर समाज सेवा करेगा।
डॉक्टर्स डे की विशेष सीरीज के लिए मुलाकात के दौरान डॉ आनंद मोहन वर्मा से उनके ही कई अनसुने किस्से उन्हीं की जुबानी सुनने को मिली समाज सेवा से ओतप्रोत व मृदु स्वभाव के डॉ आनंद मोहन वर्मा शुरू से पढ़ाई में अच्छे रहें।
वे 1988 में बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की। फिर 1992 में बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर से एमडी (मेडिसिन) की पढ़ाई पूरी की। 2002 में तत्कालीन डीएम अवनीश कुमार अवस्थी, जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार के अपर मुख्य सचिव हैं। उनसे मैं एक बार मिलने गया तो मेरे कार्यों से प्रभावित होकर उन्होंने तुरंत मेरा बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर में नियुक्ति कर दी। प्रोविंशियल मेडिकल सर्विस से चिकित्सा शिक्षा में नियुक्ति होना एक अविस्मरणीय घटना है। जबकि मैं उस समय एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कार्यरत था। मैं 12 वर्षों तक बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर में वरिष्ठ परामर्शदाता के रूप में सेवा दी। 2015 में जिला चिकित्सालय देवरिया में वरिष्ठ परामर्शदाता के रूप में मेरी नियुक्ति हुई। 1 अक्टूबर 2020 को मुख्य चिकित्सा अधीक्षक देवरिया का कार्यभार मिला। 28 मई 2021 को देवरिया मेडिकल कॉलेज का प्राचार्य का पद मिला।
मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे डॉक्टर आनंद मोहन वर्मा के जीवन में हमेशा प्रशासनिक अफसरों का सहयोग बहुत रहा। जिसके प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से सेवा की शुरुआत हुई और वर्तमान में मेडिकल कॉलेज देवरिया के प्राचार्य के पद पर और जिला चिकित्सालय देवरिया के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के पद पर कार्यरत हैं। हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ मुकुल मिश्रा एवं न्यूरो फिजीशियन डॉ ए के ठक्कर को अपना गुरु मानते हैं। शुरू से ही प्रशासनिक स्तर से सहयोग मिलने के कारण आज मैं मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के साथ-साथ मेडिकल कॉलेज देवरिया के प्राचार्य के पद पर आसीन हूं, जो की बहुत ही बड़ी बात है।

अंत में उन्होंने कहा कि कभी भी डॉक्टरों को अपने नैतिक जिम्मेदारियों का निर्वहन अच्छी तरह से करना चाहिए क्योंकि मरीज बहुत तरह के होते हैं। अगर हम मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार करें तो दवा से ज्यादा हमारा व्यवहार उनके इलाज में कारगर साबित होगा और वे उग्र नहीं होंगे।

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