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हमने कोरोना को ऐसे दी मात

राय अभिषेक

लखनऊ, नवसत्ता: परिस्थितिया चाहे कितनी भी विपरीत हो अगर सकारात्मक माहौल और परिवार का सहयोग मिल जाए तो कोई भी जंग जीती जा सकती है तो कोरोना क्या है, ये कहना है हमारे आज के विभूतियों का जिन्होंने कोरोना संक्रमण को मात दी है:

अपने दृढ निश्चय और सकारात्मक माहौल की वजह से मैंने कोविड को हराया: मधुलिका मिश्रा

 

फर्रुखाबाद निवासी श्रीमती मधुलिका मिश्रा में नवसत्ता को बताया की उन दिनों मेरे नवरात्री के उपवास चल रहे थे और चूँकि मैं त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में प्रत्याशी भी थी तो जब 18 अप्रैल 2021 को मुझे पहली बार बुखार शुरू हुआ तो मैंने ध्यान नहीं दिया और यही लगा कि उपवास और प्रचार में व्यस्तता के कारण ही ठण्ड लगकर बुखार आया होगा| फिर भी परिवार के कहने पर मैंने अपने खून की जांच कराई तो मुझे मलेरिया होने की बात कही गई और मेरी मलेरिया की दवाइयां शुरू हो गई| 19 अप्रैल को मेरी बेटी की कोविड पॉजिटिव की रिपोर्ट आई जिसके बाद वो नॉएडा में अपने पीजी में ही आइसोलेट हो गई थी और एक तरफ तो चुनाव की टेंशन दूसरी तरफ मेरी बेटी को कोविड संक्रमण होने की वजह से मैं बहुत ही परेशान रहती थी| लेकिन ईश्वर की कृपा से वो एक हफ्ते में ही ठीक हो गई और 29 अप्रैल को मेरे चुनाव वाले दिन मेरे पास आ गई थी| वोटिंग के बाद हम डॉक्टर के पास मेरे चेकअप के लिए गए क्यूंकि तब तक मुझे सांस फूलने की शिकायत भी होने लगी थी| दुर्भाग्य से मेरे शहर में उस समय आरटीपीसीआर की किट ख़त्म हो गई थी तो टेस्ट नहीं हो रहे थे तो 30 अप्रैल को मैंने अपना सीटी स्कैन कराया जिसमे पता चला कि मेरे फेफड़े 50% संक्रमित हो गए थे| हमने बहुत अस्पतालों में संपर्क किया पर कही बेड खली नहीं था ऑक्सीजन की कमी भी थी सब जगह| उस समय कोई भी रिफरेन्स काम नहीं कर रहा था यहाँ तक की पीजीआई जैसे अस्पताल में एक भी बेडनहीं था| 30 अप्रैल की रात में ही हम एक सरकारी अस्पताल में गए जहाँ मुझे ऑक्सीजन सीलेंडर मिला और वहां मैं 3-4 घंटे तक थी| पर सही कहूँ की उस सरकारी अस्पताल की हालत बहुत ही ख़राब थी और मेरा मन घबरा रहा था| 1 मई को मुझे एक निजी अस्पताल में भेज दिया गया, मेरे लिए समय बहुत ही चुनुतिपूर्ण था क्यूंकि एक तरफ तो मेरी सेहत बिगडती जा रही थी दूसरी तरफ 2 मई को चुनाव का परिणाम आना था जिसमे अपेक्षाओं के विपरीत मैं विजयी नहीं हुई| उस हार और कोरोना संक्रमण की वजह से मैंने किसी भी तरह के तनाव को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया बल्कि पूरे समय अपने आस पास का माहौल खुशनुमा रखने की कोशिश करती रही| अपने वार्ड में जो भी बच्चे और बुजुर्ग थे सबसे मैं बाते करती थी उनकओ उनकी दवाइयों आदि के बारे में हमेशा याद दिलाती रहती थी जिससे की पूरे वार्ड का माहौल एक परिवार की तरह लगे और सब एक दुसरे का ख्याल रखे| सही समय पर इलाज, सकारात्मक माहौल और दृढ निश्चय से मेरा कोविड स्कोर धीरे धीरे सामान्य की तरफ जाने लगा और मैं ऑक्सीजन सपोर्ट से भी बहार आ गई| मैं आप सबसे यही कहूँगी कि विपरीत परिस्थितियों को अपने ऊपर हावी न होने दे, अपना ख्याल राखिये और आसपास के माहौल को भी सकारात्मक रखिये, कोविड संक्रमण कोई ऐसे लाइलाज बीमारी नहीं है की जिससे पार न पाया जा सके बस जरूरत है दृढ निश्चय की|

कोरोना से जंग जीतने में आत्मविश्वास एवं मां, पिता, पत्नी व भाई बने ताकत: डॉ विजय कुमार गुप्ता

 

देवरिया निवासी डॉ विजय कुमार गुप्ता जोकि जिला अस्पताल में कार्यरत है, ने अपनी कोरोना के खिलाफ जंग के बारे में बताया कि मेरी ड्यूटी कोरोना मरीजो के साथ ही लगी थी जहाँ मैं 21 अप्रैल 2021 को कोरोना मरीजों का इलाज करते हुए पॉजिटिव हो गया। मन में उत्पन्न अनिश्चितताओ के बावजूद भी मैंने आत्मविश्वास नहीं खोया और होम आइसोलेशन में रहकर दृढ निश्चय के साथ कोविड प्रोटोकोल का पूरा पालन करने लगा|। पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद घर पहुंचते ही पूरा परिवार मेरी ताकत बनकर साथ खड़ा हो गया और हौसला बढ़ाने लगा।
घर पर एक अलग कमरे मे रहकर पत्नी द्वारा सुबह शाम दिये गये काढ़ा का सेवन किया, समय-समय पर भांप लेता रहा। पत्नी एक जीवनसाथी के रूप में समय-समय पर योगा करने का भी याद दिलाती रही। बीमार होने के बाद भी पत्नी घर का खाना बनाकर समय-समय पर देती रही और दो छोटे बच्चों को भी संभालती रही और साथ ही साथ मेरे हौसलों को भी बढ़ाती रही। मैं कोरोना की सारी दवाइयां समय-समय पर लेता रहा और होम आइसोलेशन का अक्षरशः पालन करता रहा। सुबह- दोपहर -शाम अपना आक्सीजन लेवल, तापमान, पल्स रेट चेक करता रहा। 10 दिन के बाद भी रिपोर्ट हाई पॉजिटिव आने के बाद हौसला बनाए रखा और सकारात्मक सोचता रहा। सीआरपी और सिरम फेरिटिन बढ़ने की वजह से ओरल स्ट्रायड भी लेना शुरू कर दिया।
जब भी मैं कुछ सोचता या चिंतन करता तो कमरे के बाहर दूर बैठकर मेरी पत्नी मेरा मनोरंजन करती रहती थी और हंसी मजाक के दौरान कहती रहती थी कि इतने मोटे तगड़े व्यक्ति को कोरोना कैसे हो गया, घबराइए नहीं जल्दी ठीक हो जाएगा। दूसरी तरफ मेरी मां वीडियो कॉल करके मेरा हालचाल जानती रहती और आने की जिद करती रहती। काफी मना करने के बाद वह मानी और हमेशा यही कहती रहती कि बेटा घबराना मत, मेरे रहते तुझे कुछ नहीं होगा। मेरे पिता व भाई देवरिया पहुंच कर फोन से हर रोज खाने पीने के इंतजाम से लेकर हर एक गतिविधि का जानकारी लेते रहे।
वास्तव में परिवार के लोगों ने ऐसा हौसला बढ़ाया की मेरे होम क्वॉरेंटाइन के दिन कब बीते और मेरी कोरोना जांच रिपोर्ट कब निगेटिव हुई मुझे खुद पता नहीं चला। 10 मई को कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई तो पूरा परिवार खुशी से झूम उठा। कोरोना पॉजिटिव होने के दौरान पत्नी, माता-पिता व भाइयों की अहमियत मेरे अंदर और बढ़ गई।
मैं अपने शुभचिंतकों का आभार व्यक्त करता हूँ और आपको मेरा यही संदेश है कि अगर कोई भी व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव होता है तो उसे आत्मविश्वास नहीं खोना चाहिए और कारोना से बचाव हेतु गाइड लाइन का पालन करना चाहिए।
(साभार: नवसत्ता संवाददाता विपिन कुमार शर्मा)

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