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हमने कोरोना को ऐसे दी मात

गरिमा

 

रायबरेली, नवसत्ता: कोरोना संक्रमण लाइलाज नहीं है और न ही मृत्यु का पर्यायवाची है| सही समय पर जांच, चिकित्सको की सलाह का पूर्ण रूप से अनुपालन, आइसोलेशन आदि से इस संक्रमण पर विजय पाई जा सकती है, यही कहना है हमारे कुछ पाठको का:

डिप्रेशन को हावी नहीं होने दिया और आत्मविश्वास बनाये रखा: निर्मल शुक्ला

रायबरेली निवासी निर्मल शुक्ला जोकि एक राजनैतिक एवं सामजिक व्यक्ति है, का कहना है कि पिछले वर्ष 2020 में जब कोरोना की पहली लहर थी तब मेरा पूरा परिवार कोरोना से संक्रमित था और उस समय पॉजिटिव होने पर सीधे अस्पताल में भर्ती करने का प्रावधान था और होम आईसोलेशन शुरू ही हुआ था| 30 अगस्त 2020 को हल्का बुखार होने पर सामान्य दवा लेकर मै अपनी दिनचर्या में था पर जब २ दिन हो गए तो 1 सितम्बर 2020 को अपनी जाँच करायी और 2 सितम्बर 2020 को संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी| जिसके बाद मैंने स्वयं को आईसोलेट कर लिया और दृढ निश्चय किया कि इससे विजय पाना है और मरना नहीं है| सत्य ये है कि पुष्टि होने के 9 दिन बाद मै अकेले सईं नदी एक्वाडेक पर लगभग 3 किलोमीटर टहलने चला जाता था जिससे कि फेफड़े स्वस्थ रहे| पूरे संक्रमण के दौरान मुझे खांसी आदि की शिकायत नहीं हुई बस चिकत्सीय सलाह को पूरी तरह से माना और मैंने टहलने की पुरानी आदत नहीं छोड़ी| चूँकि पूरा परिवार ही संक्रमित था इसलिए खुद के दैनिक गृह कार्य स्वयं ही करना कष्टप्रद था, खाना भी बाहर से माँगा कर खाता था| पूरे संक्रमण के दौरान मुझे कोई खास समस्या नहीं हुई न ही बाद में किसी तरह की परेशानी हुई, बस मेरा वजन ४ किलो कम हुआ था| मैंने समय से पहले 10वे और 12वे दिन अपनी जांच कराई तो पॉजिटिव रिजल्ट आया लेकिन १४ दिन के बाद मै जांच में संक्रमण मुक्त पाया गया| एक खास बात ये भी है की मैंने किसी भी प्रकार का कोई डिप्रेशन अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और इस दरमियान मै अपने सभी पारिवारिक सदस्य और मित्रो के साथ फ़ोन पर संपर्क में था| मै सबसे यही कहना चाहूँगा कि कोरोना संक्रमण को संजीदगी से ले और कोरोना प्रोटोकॉल का पूरा अनुपालन करे, मास्क पहने, शारीरिक दूरी बना कर रखे और कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत अपनी जांच कराये|

प्रशासन और परिवार ने पूरा सहयोग किया, ऊँचे मनोबल से पाई निजात: अमित
श्रीवास्तव

रतापुर, रायबरेली निवासी अमित श्रीवास्तव ने बताया कि अपने पिताजी को कुछ परेशानी की वजह से उनके साथ मै भर्ती कराने के लिए मै अपने भाई के साथ राम मनोहर लोहिया अस्पताल लखनऊ में था जहाँ कोविड प्रोटोकॉल के तहत हमारी कोरोना की जांच हुई जिसमे मुझे कोरोना पॉजिटिव पाया गया| जांच के बाद मै अपने रायबरेली स्थित आवास पर आ गया और अस्पताल के पूछने पर मैंने घर पर ही आइसोलेट होने की इच्छा जाहिर की| उसके बाद मुझे रायबरेली कण्ट्रोल रूम से फ़ोन आया और जरूरी जानकारी ली गई, आवश्यक निर्देश दिए गए और दवाइयां घर पर ही भिजवा दी गई| पूरे संक्रमण के दौरान मुझे मेरे परिवार का पूरा सहयोग मिला और किसी के व्यवहार से ऐसा नहीं लगता था की मै संक्रमित हूँ| हाँ, सबने सावधानी जरूर बरती थी लेकिन मुझे किसी भी प्रकार के मानसिक तनाव से ग्रसित नहीं होने दिया गया| इस बीच में सुबह शाम कण्ट्रोल रूम और चिकित्सक मेरे संपर्क में रहते थे और मुझसे मेरा तापमान, पल्स रेट और ऑक्सीजन की मात्रा पूछी जाती थी और मेरे प्रश्नों का जवाब भी मुझे मिलता था| 14 दिन पूरे होने के 4 दिन बाद मेरा आरटीपीसीआर हुआ जिसमे मै संक्रमण मुक्त पाया गया| इस पूरे समय में मुझे जिला प्रशासन और अपने परिवार का पूरा सहयोग मिला और मै सबका आभारी हूँ कि मेरा मनोबल हमेशा ऊँचा रखा गया| मै सबसे यह कहूँगा की कोरोना के दहशत से बाहर आइए और ऊँचे मनोबल से इस संक्रमण से निजात मिल सकती है|

कोरोना प्रोटोकॉल का पालन और लापरवाही न बरतने से वापस सामान्य जिंदगी जी रहा
हूँ: विवेक त्रिपाठी

रायबरेली जिले के छतोह ब्लाक के परैय्या निवासी 48 वर्षीय विवेक त्रिपाठी ने नवसत्ता को बताया कि 10 या 11 अप्रैल को सलोन के पूर्व विधायक स्व० दल बहादुर कोरी के साथ दो दिन था और इस समय उन्हें खांसी और हल्का बुखार था| उसके बाद विधायक जी के साथ डीह सीएचसी में जांच में हम पॉजिटिव आये| जिसके उपरान्त मुझे बहुत तेज़ बुखार, सर दर्द और निरंतर खांसी की समस्या शुरू हुई और लगातार 8 दिन उल्टी होती रही| इस दौरान भूख बिलकुल भी नहीं लगती थी| चिकित्सीय परामर्श से मैंने कोरोना किट की दवाए लेनी शुरू की, काढ़ा बना कर पीता था जिसके बाद बुखार और खांसी में थोड़ाआराम होने लगा| लेकिन उसके बाद मुझे सीने में जकड़न की समस्या हुई तो मैंने दवाइयों के साथ भाप लेना शुरू किया और शरीर के नीचे तकिया लगा कर सांस वाला व्यायाम करने लगा| भाप से मुझे जकड़न से काफी आराम मिला| अगर कोई मिलने भी आता था तो उसे बाहर ही बैठा दिया जाता था| पूरे संक्रमण के दौरान मैंने पूरी तरह से अपने को बंद कर लिया था और पूरी तरह से सामाजिक दूरी बना कर रहता था| इस दौरान मुझे परिवार का पूरा सहयोग मिला था और मेरी शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए व्रत पूजन भी मेरे परिवार के द्वारा किये जाते थे| आइसोलेशन पूरा होने के बाद जब मै स्वस्थ महसूस करने लगा तो मैंने फिर नसीराबाद सीएचसी में अपनी जांच कराई जहाँ 30 अप्रैल को मेरी रिपोर्ट नेगेटिव आई| मै यही कहूँगा कि दवाई और काढा के नियमित सेवन (जिससे सबसे ज्यादा फायदा हुआ) से और परिवार के सहयोग से मै फिर से स्वस्थ हुआ, मैंने कोई भी लापरवाही नहीं की और पूरे मन से अपने इलाज में लगा रहा| इस संक्रमण से ग्रसित होने पर कोई भी लापरवाही न करे, तुरंत जांच करा कर कोविड प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करे|

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