संवाददाता
रायबरेली,नवसत्ता:यहां के एडीएम एफआर का चिट्ठी प्रकरण तूल पकड़ सकता है।जिस तरह से एडीएम एफआर ने पत्रकारों को चिट्ठी लिखकर खुद के साथ इंसाफ न होने की गुहार लगाई है उससे तो अराजकता भी फैल सकती है।आम व्यक्ति यह सोंच सकता है कि जब ज़िले का इतना बड़ा अधिकारी समुचित इलाज नही पा रहा है तो उसका क्या होगा।
उधर सीएम योगी खुद कोरोना पॉज़िटिव होने के बावजूद दिन रात बैठकें कर महामसरी से निपटने के उपाय में लगे हैं और इधर इनके अधिकारी अपने वीआईपी स्टेटस को लेकर चिंतित हैं।
दरअसल एडीएम एफआर प्रेम प्रकाश उपाध्याय ने सादे पेज पर खुद को इलाज न मिलने का पूरा दुखड़ा लिखा और उसे सार्वजनिक व्हाट्सऐप ग्रुप में डाल दिया।यहां से ज़िले के पत्रकारों ने उसे अपने अपने सोशल मीडिया अक्कउन्ट पर शेयर किया तो आम लोग हैरत में पड़ गए।उन्होंने चिट्ठी में आरोप लगाया है कि कोरोना के लक्षण होने पर उन्होंने सीएमओ से जांच कराए जाने के लिए कहा था।सीएमओ ने जांच नहीं करवाई तो नायब तहसीलदार से कह कर 20 अप्रैल को जांच कराई गई लेकिन अब तक न तो रिपोर्ट दी गई और न ही सीएमओ ने मेरा हाल चाल लिया जबकि मेरा एसपीओटू लेवल गिर रहा है।
इस चिट्ठी के जारी होने पर हमने सीएमओ वीरेंद्र सिंह से बात की तो मामला ही कुछ और निकला।
उनके मुताबिक 20 अप्रैल को उनकी जानकारी पर टीम भेजी गई थी।उनका नमूना भेजा गया था जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आने के कारण उसका फॉलोअप नही हुआ क्योंकि यही प्रोटोकॉल है।आज चिट्ठी जारी होने पर मुझे जानकारी हुई तो मैंने उनका तुरंत सीटी स्कैन कराया जिसमे लक्षण मील हैं और अब उनका फॉलो अप भी हो रहा है।
सीएमओ का कहना है कि उन्होंने चिट्ठी क्यों जारी की मुझे नहीं मालूम लेकिन 20 तारीख के बाद उन्होंने कुछ बताया नहीं और रिपोर्ट नेगेटिव थी इसलिए फॉलोअप नहीं हुआ।