Navsatta
चर्चा में

दिल्ली सरकार बनाम केंद्र: सुप्रीम कोर्ट का फैसला, छह में से चार मामले उपराज्यपाल के पक्ष में

नई दिल्लीः दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल (एलजी) मामले में जस्टिस एके सीकरी की अगुवाई वाली दो सदस्यीय पीठ ने गुरुवार को फैसला सुनाया हैं, जिसमें भ्रष्टाचार रोधी शाखा (एसीबी) को केंद्र सरकार के अधीन रखा गया है जबकि बिजली एवं राजस्व विभाग को दिल्ली सरकार के अधीन रखा गया है. सेवाओं के मामले में दोनों जजों में मतभेद रहा. इसलिए इसे तीन जजों की पीठ के समक्ष भेजा गया है. जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने यह फैसला सुनाया. दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले में वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने छह मामलों पर फैसला लिया है. कोर्ट ने चार मामलों में केंद्र सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया है. भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो, ग्रेड एक और ग्रेड दो के अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर और जांच कमिशन को केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में रखा गया है. वहीं, बिजली विभाग, राजस्व विभाग, जमीन के सर्किल रेट तय करना, ग्रेड तीन और ग्रेड चार के अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर को दिल्ली सरकार के अधीन रखा गया है. सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही कहा है कि किसी भी तरह के मतभेद की स्थिति में उपराज्यपाल का फैसला मान्य होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उपराज्यपाल को अनावश्यक रूप से फाइलों को रोकने की जरूरत नहीं है. किसी राय पर मतभेद होने पर उसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाना चाहिए. इस मामले में दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील राहुल मेहरा ने कहा कि यह फैसला दिल्ली के लोगों के लिए झटका है न कि दिल्ली की सरकार के लिए. उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि यह दिल्ली सरकार के लिए झटका है. यह दिल्ली के लोगों के लिए झटका है. अधिक स्पष्ट फैसला सुनाया जाना चाहिए था. हम कानूनी लड़ाई लड़ना जारी रखेंगे. दिल्ली सरकार अपनी लड़ाई लड़ना जारी रखेगी.’ बता दें कि एक नवंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और केंद्र की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.

संबंधित पोस्ट

तीन माह में खेलों के विकास पर 200 करोड़ खर्च करेगी प्रदेश सरकार

navsatta

विस के उपाध्यक्ष चुने गए नितिन अग्रवाल, 304 वोटों से दर्ज की जीत

navsatta

West Bengal: टीएमसी नेता भादू शेख की हत्या के आरोप में तीन लोग गिरफ्तार

navsatta

Leave a Comment