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समर्थन देकर गच्चा देने में माहिर हैं MULAYAM SINGH YADAV

MULAYAM SINGH YADAV

लखनऊ। लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दोबारा कुर्सी मिलने का आर्शीवाद देने के बाद सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव (MULAYAM SNGH YADAV)  की भाजपा आज भले ही तारीफ करती नजर आ रही हो परन्तु वह यदि सपा के इस नेता के इतिहास में झांकती तो शायद उसकी खुशी काफूर हो जाती। यह पहली बार नहीं है बल्कि इससे पहले भी कई बार MULAYAM SNGH YADAV अपने साथियों को गच्चा देने का रिकार्ड बना चुके हैं। यही कारण है कि वे वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में अपनी प्रासंगिकता खो चुके हैं।

अपने करीबी नेता के खिलाफ कराई वोटिंग 1989 में मुख्यमंत्री बनने के लिए जनता दल में विधायक दल का नेता चुना जाना था। इसके चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने अपने करीबी और राज्यसभा सांसद रेवती रमन सिंहhttps://navsatta.com/ को धोखा देते हुए अपने पक्ष में विधायकों के बीच जबरन वोटिंग कराई थी। अचानक कर दी विधानसभा भंग 1990 में कांग्रेस के समर्थन से अल्पमत सरकार चलाने के बावजूद जब जनता दल का विभाजन हुआ तो मुलायम सिंह यादव ने रातोंरात एक फैसला लिया। मुलायम ने तत्कालीन कांग्रेस चीफ राजीव गांधी को बिना सूचित किए विधानसभा भंग कर दी थी। राजीव समेत कांग्रेस दल मुलायम के इस दांव से अवाक रह गया था। सोनिया के प्रधानमंत्री बनने में रोड़ा 1999 में यूपीए-1 के गठन के दौरान कांग्रेस के सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनाए जाने के प्रस्ताव का मुलायम ने विरोध किया था जबकि पहले उन्होंने उन्हें समर्थन देने का वादा किया था लेकिन बाद में मुकर गए।

मुलायम ने उनके इटली मूल के होने का मुद्दा उठाकर मामले को नया रंग दे दिया था। एनडीए उम्मीदवार अब्दुल कलाम का समर्थन मुलायम सिंह यादव ने 2002 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए यूपीए को किए वादे के बावजूद आखिर में एनडीए के उम्मीदवार एपीजे अब्दुल कलाम का समर्थन किया था। यूपीए के लिए छोड़ा लेफ्ट का साथ 2008 में मुलायम ने यूपीए के इंडो-यूएस सिविल न्यूक्लियर डील का लोकसभा में विरोध किया था लेकिन जब उनके विश्वसनीय साथी अमर सिंह यूएस से वापस लौटे तो मुलायम ने यू-टर्न लेते हुए डील को समर्थन दे दिया और लेफ्ट का साथ छोड़ दिया था। ममता से अलग होकर प्रणब मुखर्जी को दिया वोट 2012 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी से समझौता तोड़ा।

दोनों में सहमति थी कि अब्दुल कलाम को ही दोबारा से राष्ट्रपति बनाने के लिए वोटिंग की जाएगी लेकिन आखिरी समय में मुलायम के कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की पसंद प्रणब मुखर्जी पर मुहर लगाई। भाई शिवपाल का समर्थन 2017 में विधानसभा चुनाव से पहले बेटे अखिलेश यादव और भाई शिवपाल यादव में विवाद के चलते मुलायम परिवार में भी खींचतान आ गई थी। उन्होंने भाई शिवपाल यादव का समर्थन कर दिया था, जिन्होंने हाल ही में एसपी से अलग होकर अपनी नई पार्टी बनाई है।

https://en.wikipedia.org/wiki/Mulayam_Singh_Yadav

 

 

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