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50 बेड के दावो के साथ शुरू हुआ एम्स रायबरेली का L3 कोविड अस्पताल नहीं कर पा रहा पूरी क्षमता में इलाज

संवाददाता: गरिमा 

दवाईयों और संसाधनों की है कमी, पूरी तरह से दिल्ली पर है निर्भरता
डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ एम्स में नहीं आना चाह रहा
पूरी क्षमता में चलने के लिए ऑक्सीजन की है कमी

रायबरेली नवसत्ता: गत 26 अप्रैल 2021 को 50 बेड के साथ शुरू हुआ एम्स रायबरेली का L3 कोविड अस्पताल दो हफ्ते  बीत जाने के बाद भी अपनी आधी क्षमता में ही चल रहा है| जहाँ एक तरफ सबने वाहवाही बटोरी वही वास्तविकता ये है कि अभी अपनी क्षमता के लगभग आधे बेड पर लेटे 25 से 28 मरीजो के इलाज के लिए ही दवाइयों, संसाधनों का इंतजाम किसी तरह किया जा रहा है| एम्स रायबरेली स्थित L3 कोविड अस्पताल में 50 मरीजो के लिए न तो पर्याप्त दवाइयो की आपूर्ति का इंतज़ाम है न ही पर्याप्त ऑक्सीजन सिलेंडर है और न ही मरीजो की देखभाल करने के लिए जरूरी संख्या में डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ| दूर से सुहावने लगने वाले ढोल पास आते ही कान फाड़ देते है वाली स्थिति है एम्स में, जिसे तैयार करने में करोड़ो रुपये लग गए वैश्विक स्तर की इमारत खड़ी कर दी गई और इस आपदा के समय बिना समुचित दवाइयों और संसाधनों के अपनी दावेदारी की आधी क्षमता में राम भरोसे ही काम कर रहा है| इसके साथ ही केंद्र, राज्य एवं जिला प्रशासन के दावे भी खोखले साबित हो गए कि हमारे पास हर संसाधन है और सभी जगह दवाइयों ऑक्सीजन आदि संसाधनों की पूर्णतः आपूर्ति है|

गौरतलब है कि एम्स के L3 कोविड अस्पताल की स्थति जानने के लिए हमारे जिला प्रभारी एवं ब्यूरो चीफ राय अभिषेक ने एम्स के L3 कोविड अस्पताल के नोडल ऑफिसर डॉ नीरज श्रीवास्तव से बातचीत की जिसमे इस तथ्य का खुलासा हुआ| बकौल डॉ नीरज इस समय पूरी क्षमता के साथ काम करने के लिए हमारे पास दवाइयों की कमी है जिसके लिए हम दिल्ली लखनऊ पर निर्भर है, एम्स में और डॉक्टर, नर्से, पैरामेडिकल स्टाफ चाहिए और भर्ती के लिए कोई आ नहीं रहा, जो सिलेंडर है उसमे हम रात का रिस्क नहीं ले सकते क्यूंकि रात में ऑक्सीजन नहीं भरी जाती तो और संख्या में मरीजों की देखभाल कैसे करेंगे| 50 अमेरिकन सिलेंडर केंद्र से आये तो है पर उनके नोजल अलग होने की वजह से इस्तेमाल नहीं हो सकते| अभी जो स्टाफ है भी तो उसमे 5 नर्स कोविड से संक्रमित हो गई है जिनका इलाज भी कॉविड प्रोटोकॉल के तहत चल रहा है|

खबर लिखे जाने तक हमने जिले के ऑक्सीजन सप्लाई के नोडल ऑफिसर जीत लाल सैनी एवं कोविड मेडिसिन आपूर्ति  के प्रभारी डॉ रिजवान से संपर्क करने की कोशिश की जिनसे संपर्क न होने के आभाव में हम उनका पक्ष नहीं लिख पा  रहे है| परन्तु कही ऐसा न हो की करोड़ो की लागत से तैयार एम्स आज इस आपदा के समय केंद्र और राज्य के प्रोटोकॉल की खीचतान के बीच में ही फंस कर रह जाये और L3 स्तर की सुविधाओ के अभाव में हज़ारो मरीज असमय कालग्रसित हो जाये| जहाँ इस तरह की आपदा के समय पूरी दुनिया एक दुसरे के साथ खड़ी है वही एम्स अपनी दवाइयों और ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा की आपूर्ती के लिए केंद्र पर निर्भर है जबकि जिले स्तर पर भी आपदा प्ररबंधन किया जा सकता है और पूरे 50 बेड मरीजो के लिए इस्तेमाल किये जा सकते है और सैकड़ो घरो में रौशनी बरकरार रह सकती है|

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