संवाददाता
नई दिल्ली,नवसत्ताः भारत सरकार एक नया कानून, जन विश्वास (संशोधन) विधेयक 2025, लाने की तैयारी कर रही है, जिसे सोमवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा। इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य छोटे-मोटे अपराधों को आपराधिक श्रेणी से बाहर करना है, ताकि इनके लिए जेल की सजा न दी जाए। सरकार का मानना है कि यह कदम न केवल आम नागरिकों के जीवन को आसान बनाएगा, बल्कि देश में व्यापार और निवेश के लिए भी अनुकूल माहौल तैयार करेगा।
विधेयक के मुख्य बिंदु:
छोटे अपराधों को अपराधमुक्त करना: इस विधेयक का सबसे बड़ा मकसद यही है कि कई छोटे अपराधों को गैर-आपराधिक बनाया जाए. इसका मतलब है कि अब इन मामलों में जेल की सजा नहीं होगी.
व्यापार और जीवन में आसानी: सरकार का कहना है कि इस विधेयक से व्यापारियों और आम नागरिकों दोनों को फायदा होगा. छोटे-मोटे नियमों के उल्लंघन पर अब कठोर सजा का डर नहीं रहेगा.
विश्वास-आधारित शासन: यह विधेयक सरकार और जनता के बीच विश्वास को और मजबूत करेगा. इसका आधार यह है कि सरकार छोटे-मोटे मामलों में दंड देने के बजाय लोगों पर विश्वास कर रही है.
350 से ज्यादा प्रावधानों में बदलाव: इस विधेयक के जरिए 350 से भी ज्यादा मौजूदा कानूनों में बदलाव करने का प्रस्ताव है.
व्यावसायिक माहौल में सुधार: इस कदम से भारत में व्यापार करना और भी आसान हो जाएगा, जिससे देश में निवेश और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा.
पहले भी उठाए गए हैं ऐसे कदम
यह पहली बार नहीं है जब सरकार ऐसा कदम उठा रही है. इससे पहले भी साल 2023 में जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) अधिनियम पारित किया गया था. उस कानून के तहत 19 मंत्रालयों और विभागों के 42 केंद्रीय अधिनियमों के 183 प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था.
इस कदम का क्या मतलब है?
इस विधेयक का उद्देश्य यह है कि सरकार अब केवल बड़े और गंभीर अपराधों पर ध्यान दे. छोटे-मोटे नियमों के उल्लंघन को आपराधिक मामला न मानकर जुर्माना या अन्य तरीकों से निपटाया जाएगा. इससे अदालतों पर भी बोझ कम होगा और लोगों को भी बेवजह की परेशानियों से राहत मिलेगी. यह एक आधुनिक और प्रगतिशील कदम है जो देश के कानूनी और व्यापारिक ढांचे को और बेहतर बनाने की दिशा में उठाया गया है.