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अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ धरने पर बैठीं मंत्री प्रतिभा शुक्ला

पुलिस पर कार्यकर्ताओं के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कराने और बदसलूकी का आरोप, थाना प्रभारी को हटाने की मांग

संवाददाता

कानपुर,नवसत्ता।  – उत्तर प्रदेश की महिला कल्याण एवं बाल विकास राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला गुरुवार को कानपुर देहात के अकबरपुर कोतवाली में धरने पर बैठ गईं। मंत्री ने पुलिस पर आरोप लगाया कि उनके पांच समर्थकों के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट में झूठा मुकदमा दर्ज किया गया है, जो पूरी तरह राजनीति से प्रेरित और दुर्भावनापूर्ण है।

मंत्री का कहना है कि स्थानीय थाना प्रभारी ने किसी दबाव में आकर यह कार्रवाई की है और उसने उनके कार्यकर्ताओं से बदसलूकी भी की है। उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक थाना प्रभारी को हटाया नहीं जाता, उनका धरना जारी रहेगा।

मीडिया से बातचीत में मंत्री प्रतिभा शुक्ला ने कहा, “यह समाजवादी पार्टी की सरकार नहीं है, बल्कि योगी जी की सरकार है। यहां प्रशासनिक मनमानी नहीं चलेगी। मैं जानना चाहती हूं कि किसके दबाव में थाना प्रभारी ने यह मुकदमा दर्ज किया।”

क्या है पूरा मामला?

बुधवार को बदलापुर पुलिस लाइन के पीछे एक सड़क निर्माण कार्य को लेकर विवाद हुआ था। जानकारी के अनुसार, स्थानीय सभासद ने निर्माण कार्य को रुकवा दिया, जिससे विवाद और बढ़ गया। गुरुवार को एक दलित महिला ने मंत्री के पांच समर्थकों पर गाली-गलौज और धमकी देने का आरोप लगाते हुए एससी/एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज करवा दिया।

मामले के तूल पकड़ते ही मंत्री खुद मौके पर पहुंचीं और थाने के बाहर धरने पर बैठ गईं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह मामला पुलिस की पूर्वाग्रहपूर्ण कार्यप्रणाली को दर्शाता है, और वह इस अन्याय के खिलाफ चुप नहीं बैठेंगी।

विपक्ष का वार, अखिलेश यादव का तंज

घटना पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “जब सत्ताधारी पार्टी की महिला मंत्री ही अपनी ही सरकार की पुलिस के खिलाफ धरने पर बैठी हो, तो मुख्यमंत्री जी को और क्या सबूत चाहिए? भाजपा जाएगी तभी पुलिस व्यवस्था आएगी।”

पुलिस प्रशासन हरकत में

मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक मौके पर पहुंचे और मंत्री से मुलाकात की। उन्होंने धरना समाप्त करने का अनुरोध किया, लेकिन खबर लिखे जाने तक मंत्री धरने पर डटी हुई थीं।

कोतवाली परिसर में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है, ताकि किसी प्रकार की अप्रिय स्थिति न उत्पन्न हो। प्रशासन और सरकार दोनों के लिए यह स्थिति असहज मानी जा रही है, क्योंकि यह घटना सत्ता के भीतर ही बढ़ते टकराव और अविश्वास को उजागर करती है।

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