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बेनामी सम्पत्ति मामले में आयकर के शिकंजे से बचने के लिए अब भाजपा की शरण में ‘दास’

राजनाथ सिंह के जन्मदिन पोस्टर के पीछे छिपा है कानूनी दबाव से बचने का गेम प्लान?
नीरज श्रीवास्तव
लखनऊ,नवसत्ता। काले धन, बेनामी संपत्तियों और बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी के गंभीर आरोपों से घिरे लखनऊ के प्रतिष्ठित बनारसी दास ग्रुप (बीबीडी ग्रुप) पर आयकर विभाग का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है। कानूनी दबाव और कड़ी कार्रवाई से बचने के लिए अब यह समूह राजनीतिक पनाह तलाश रहा है। इसी क्रम में, बीबीडी ग्रुप के प्रमुख विराज सागर दास ने हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के 74वें जन्मदिन पर शहर के प्रमुख स्थानों पर बड़े-बड़े बधाई पोस्टर लगवाए हैं, जो राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बने हुए हैं।इन पोस्टरों में बीबीडी ग्रुप के अध्यक्ष विराज सागर दास ने भाजपा नेताओं के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को जन्मदिन की शुभकामनाएं भी दी हैं। जानकारों का मानना है कि यह एक सोची-समझी रणनीति है, जिसके तहत जांच एजेंसियों को यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि बीबीडी ग्रुप के सत्ताधारी दल से ‘मजबूत संबंध’ हैं। इस संदेश को प्रसारित करने में ऐसे कई पूर्व और वर्तमान नौकरशाह भी लगे हुए हैं जिनका काला धन बीबीडी ग्रुप में लगा हुआ है।  अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह राजनीतिक पैंतरा समूह को कानून के शिकंजे से बचा पाएगा?
₹100 करोड़ की बेनामी संपत्ति जब्तः दलित कर्मचारियों के नाम पर खरीदी गई जमीनें

आयकर विभाग की बेनामी निषेध इकाई (ठमदंउप च्तवीपइपजपवद न्दपज) ने बीबीडी ग्रुप से जुड़ी लगभग ₹100 करोड़ की अवैध संपत्तियों को जब्त कर बड़ी कार्रवाई की है। ये संपत्तियां, मुख्य रूप से खाली जमीनें, वर्ष 2005 से 2015 के बीच खरीदी गई थीं। इनकी अधिकांश संख्या अयोध्या रोड के आसपास के महत्वपूर्ण इलाकों जैसे उदयथाना, जग्गूसर, 13 खास, सरायशेख और सेमरा गांव में स्थित है। इनमें से कई जमीनें तो बीबीडी यूनिवर्सिटी परिसर के करीब ही हैं, जो समूह की मुख्य शैक्षणिक संस्था है।

जांच में सबसे चैंकाने वाला खुलासा यह हुआ है कि इन जमीनों को दलित कर्मचारियों के नाम पर खरीदा गया था, जो खुद इस बात से पूरी तरह अनजान थे कि उनके नाम पर करोड़ों की संपत्तियां हैं। ये कर्मचारी आर्थिक रूप से इतने सक्षम नहीं थे कि इतनी महंगी जमीनें खरीद सकें, जिससे साफ होता है कि यह बेनामी लेनदेन का एक स्पष्ट मामला है।

असली लाभार्थी कौन? पूर्व केंद्रीय मंत्री का परिवार निशाने पर
जांच से यह भी पर्दा उठ गया है कि इन बेनामी संपत्तियों के असली लाभार्थी कौन हैं। आयकर विभाग के अनुसार, इन संपत्तियों के पीछे अल्का दास (पूर्व केंद्रीय मंत्री अखिलेश दास की पत्नी), विराज सागर दास, और दो कंपनियाँ कृ विराज इन्फ्राटाउन प्रा. लि. और हाईटेक प्रोटेक्शन इंडिया प्रा. लि. हैं। यह खुलासा इस मामले को और भी संवेदनशील बना देता है, क्योंकि इसमें एक पूर्व केंद्रीय मंत्री का परिवार सीधे तौर पर लिप्त पाया गया है।
जमीनों की असल कीमत ₹100 करोड़ से कहीं अधिक
जिला मजिस्ट्रेट की सर्किल रेट के अनुसार, जब्त की गई इन 20 जमीनों की आधिकारिक कीमत लगभग ₹20 करोड़ आँकी गई है। हालांकि, इनकी बाजार कीमत ₹100 करोड़ से कहीं अधिक है, जो बताता है कि इन संपत्तियों की वास्तविक कीमत कितनी ज्यादा है। सर्किल रेट में प्रस्तावित संशोधन के बाद यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है, जिससे इन बेनामी संपत्तियों की कीमत कई गुना होने की संभावना है।
आगे की कार्रवाई और संपत्तियों की बिक्री पर रोक

आयकर विभाग ने लखनऊ के सभी सब-रजिस्ट्रार कार्यालयों को तत्काल प्रभाव से निर्देश जारी किए हैं कि जब्त की गई इन जमीनों से जुड़ी किसी भी प्रकार की रजिस्ट्री पर तुरंत रोक लगाई जाए। इस कदम का उद्देश्य इन अवैध संपत्तियों को बेचकर आम खरीदारों को ठगे जाने से रोकना है।

इसके साथ ही, विभाग ने इस बात की भी गहन जांच शुरू कर दी है कि क्या इन संपत्तियों को कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए किसी अन्य सहयोगी या तीसरे पक्ष के नाम पर स्थानांतरित करने की कोशिश की गई थी। इस मामले में आने वाले समय में और भी बड़े खुलासे होने की संभावना है।

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