नई दिल्ली,नवसत्ता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की त्रिनिदाद और टोबैगो की हालिया यात्रा ने दोनों देशों के बीच संबंधों को एक नई दिशा दी है। 1999 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली द्विपक्षीय यात्रा थी, जिसने इसे और भी महत्वपूर्ण बना दिया। इस यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जो दोनों देशों के बीच सहयोग को गहरा करेंगे।
किन समझौतों पर हुए हस्ताक्षर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी समकक्ष कमला प्रसाद बिसेसर के बीच हुई वार्ता के बाद, भारत और त्रिनिदाद और टोबैगो ने छह समझौतों पर हस्ताक्षर किए। ये समझौते मुख्य रूप से बुनियादी ढांचे और औषधि समेत कई अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर केंद्रित हैं।
इसके अलावा, दोनों नेताओं ने कृषि, स्वास्थ्य सेवा, डिजिटल परिवर्तन (विशेष रूप से एकीकृत भुगतान इंटरफेस – UPI), क्षमता निर्माण और लोगों के बीच संपर्क जैसे क्षेत्रों में संभावित सहयोग पर भी चर्चा की।
यात्रा की प्रमुख बातें और वैश्विक चर्चा
विदेश मंत्रालय ने इस यात्रा को “ऐतिहासिक” बताया, जिससे दोनों देशों के बीच “विशेष संबंधों को बढ़ावा मिला है।” प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के दौरान, प्रधानमंत्री बिसेसर ने कहा कि पीएम मोदी की यह यात्रा दोनों देशों के बीच गहरे द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने त्रिनिदाद और टोबैगो द्वारा पहलगाम आतंकी हमले के मद्देनजर भारत के लोगों के प्रति दिखाए गए मजबूत समर्थन और एकजुटता की सराहना की। दोनों नेताओं ने आतंकवाद से लड़ने की अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई।
पीएम मोदी ने त्रिनिदाद और टोबैगो की राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू से भी मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद मोदी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि भारत और त्रिनिदाद और टोबैगो के बीच दोस्ती को नई गति मिली है।
त्रिनिदाद और टोबैगो में मोदी का “जलवा” और महत्वपूर्ण घोषणाएं
राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू, प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर और त्रिनिदाद और टोबैगो के लोगों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि यहां बिताए गए पल कभी नहीं भुलाए जा सकेंगे और भारत-त्रिनिदाद एवं टोबैगो मैत्री को नई गति मिली है।
छह समझौतों पर हस्ताक्षर के परिणामस्वरूप, दोनों देशों के बीच फार्माकोपिया, त्वरित प्रभाव परियोजनाओं, संस्कृति, खेल और कूटनीतिक प्रशिक्षण जैसे क्षेत्रों में गहन सहयोग संभव होगा। द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं भी की गईं, जिनमें कैरेबियाई देश में भारतीय मूल के लोगों की छठी पीढ़ी को ओसीआई (भारत की विदेशी नागरिकता) कार्ड की पेशकश भी शामिल है।
दोनों नेताओं ने ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों के बीच अधिक एकजुटता के लिए मिलकर काम करने और ‘भारत-कैरिकॉम’ साझेदारी को मजबूत करने पर भी सहमति व्यक्त की। ‘कैरिकॉम’ 15 राष्ट्रों और पांच सहयोगी सदस्यों का एक क्षेत्रीय राजनीतिक और आर्थिक संघ है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन और साइबर सुरक्षा जैसी समकालीन चुनौतियों से निपटने के लिए अधिक सहयोग का आह्वान किया।
संबंधों में मजबूती और क्रिकेट कनेक्शन
राष्ट्रपति कंगालू के साथ प्रधानमंत्री मोदी की बैठक को विदेश मंत्रालय ने “गर्मजोशी से भरी” बताया, जो दोनों देशों के बीच गहरी मित्रता को दर्शाती है। प्रधानमंत्री ने इस वर्ष प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार प्राप्त करने पर राष्ट्रपति कंगालू को बधाई दी। पीएम मोदी ने बिसेसर को भारत आने का निमंत्रण दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।
इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी ने कैरेबियाई देश की संसद को संबोधित किया और दोनों देशों के बीच क्रिकेट संबंधों के बारे में बात की। उन्होंने कहा, “दोनों देशों के बीच संबंधों में स्वाभाविक गर्मजोशी है। मैं यह जरूर कहना चाहूंगा कि वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम के सबसे उत्साही प्रशंसकों में से भारतीय हैं! हम पूरे दिल से उनका उत्साहवर्धन करते हैं, सिवाय इसके कि जब वे भारत के खिलाफ खेल रहे हों।”
भारतीय मूल के लोगों का योगदान
मोदी ने त्रिनिदाद और टोबैगो की विकास यात्रा में भारतीय मूल के लोगों के योगदान की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि “राजनीति से लेकर कविता तक, क्रिकेट से लेकर वाणिज्य तक, कैलिप्सो से लेकर चटनी तक, वे हर क्षेत्र में योगदान देते हैं। वे उस जीवंत विविधता का अभिन्न अंग हैं जिसका आप सभी सम्मान करते हैं।”
पीएम मोदी ने कहा कि त्रिनिदाद और टोबैगो ने मिलकर एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण किया है जो अपने आदर्श वाक्य पर चलता है: ‘हम साथ मिलकर आकांक्षा रखते हैं, हम साथ मिलकर हासिल करते हैं’। भारत और त्रिनिदाद और टोबैगो ने 31 अगस्त 1962 को राजनयिक संबंध स्थापित किए थे, उसी वर्ष इस कैरेबियाई राष्ट्र को स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी।