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दक्षिण एशिया में ‘सत्ता का खेल’: चीन-पाकिस्तान का नया मोर्चा, भारत के लिए चुनौती

नई दिल्ली, नवसत्ता : भारत के पड़ोसी देशों के साथ सामरिक चुनौतियां लगातार बढ़ रही हैं। इसी बीच, पाकिस्तानी मीडिया ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की एक रिपोर्ट ने दावा किया है कि पाकिस्तान और चीन मिलकर दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) की जगह एक नया क्षेत्रीय ब्लॉक बनाने की ‘उन्नत स्तर’ की बातचीत कर रहे हैं। इस कदम को भारत को क्षेत्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।

SAARC की निष्क्रियता और नई पहल की पृष्ठभूमि

SAARC, जिसका गठन 8 दिसंबर, 1985 को हुआ था, 2016 से प्रभावी रूप से निष्क्रिय पड़ा है। 2014 के काठमांडू शिखर सम्मेलन के बाद से इसके सदस्य देशों के नेता एक साथ नहीं मिले हैं। 2016 में पाकिस्तान में होने वाले 19वें SAARC शिखर सम्मेलन को भारत ने उरी आतंकी हमले के बाद बहिष्कार कर दिया था। इसके बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश और भूटान ने भी आतंकवाद और क्षेत्रीय हस्तक्षेप की चिंताओं का हवाला देते हुए खुद को दूर कर लिया, जिससे शिखर सम्मेलन रद्द हो गया और तब से इसकी कोई नई तारीख तय नहीं हो सकी है।

इसी निष्क्रियता का फायदा उठाते हुए, चीन और पाकिस्तान कथित तौर पर एक नए संगठन की वकालत कर रहे हैं।

कुनमिंग बैठक: क्या बांग्लादेश भी शामिल?

एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, 19 जून को चीन के कुनमिंग में एक बैठक हुई जिसमें बांग्लादेश भी शामिल था। इस बैठक का ‘अंतिम लक्ष्य’ SAARC के अन्य सदस्य देशों जैसे श्रीलंका, मालदीव और अफगानिस्तान को नए समूह में शामिल होने के लिए आमंत्रित करना था। इससे पहले मई में भी कुनमिंग में चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच एक त्रिपक्षीय बैठक हुई थी, जिसका फोकस चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का विस्तार और तालिबान शासित अफगानिस्तान में क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाना था।

बांग्लादेश का इनकार, भारत को न्योता?

हालांकि, बांग्लादेश ने ढाका, बीजिंग और इस्लामाबाद के बीच किसी भी उभरते गठबंधन के विचार को खारिज कर दिया है। बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार एम. तौहीद हुसैन ने कहा कि कुनमिंग में हुई तीनों देशों की बैठक “राजनीतिक” नहीं थी, बल्कि “आधिकारिक स्तर” पर हुई थी और इसमें “किसी गठबंधन के गठन का कोई तत्व नहीं है।”

दिलचस्प बात यह है कि रिपोर्ट में राजनयिक सूत्रों के हवाले से यह भी कहा गया है कि भारत को भी इस नए समूह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जाएगा, हालांकि नई दिल्ली से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने की संभावना नहीं है।

भारत की चुनौती और तैयारी

भारत लगातार अपने पड़ोसियों के साथ बढ़ती चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह से अलर्ट है। यह नया क्षेत्रीय ब्लॉक बनने की कोशिश भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक चुनौती पेश कर सकती है, खासकर जब चीन लगातार अपनी क्षेत्रीय पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में भारत की विदेश नीति और क्षेत्रीय संबंधों को मजबूत करने की रणनीति और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।

क्या यह नई पहल वास्तव में भारत को घेरने की ‘खतरनाक साज़िश’ है, या केवल एक नया क्षेत्रीय सहयोग मंच, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

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