नई दिल्ली,नवसत्ता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात पर जोर दिया है कि भारत अपने संतों और ऋषियों के अमर विचारों और दर्शन के कारण दुनिया की सबसे प्राचीन जीवंत सभ्यता है। उन्होंने यह बात जैन आध्यात्मिक गुरु आचार्य विद्यानंद महाराज की जयंती के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए कही। प्रधानमंत्री मोदी ने आचार्य विद्यानंद महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की और विभिन्न क्षेत्रों में उनके अमूल्य योगदान को याद किया। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार की कई कल्याणकारी योजनाएं आचार्य विद्यानंद महाराज के विचारों से ही प्रेरित हैं।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ और संतों का आशीर्वाद
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि चाहे घर उपलब्ध कराना हो, पेयजल उपलब्ध कराना हो या स्वास्थ्य बीमा, सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि उसकी कल्याणकारी योजनाएं हर व्यक्ति तक पहुंचे और कोई भी इससे वंचित न रहे। उन्होंने अपने संबोधन से पहले दिए गए एक जैन संत के संबोधन का भी जिक्र किया, जिसमें वह ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को आशीर्वाद दे रहे थे। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने जैसे ही कहा, “जो हमें छेड़ेगा…”, वहां मौजूद लोगों ने जोरदार तालियां बजानी शुरू कर दीं। हालांकि, मोदी ने इस विषय पर और अधिक बात नहीं की।
प्राचीन संस्कृति और ‘गुलामी की मानसिकता’ से मुक्ति
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हजारों साल पहले जब दुनिया ने हिंसा का जवाब हिंसा से देने का रास्ता चुना था, तब भारत ने दुनिया को “अहिंसा” की ताकत से परिचित कराया था। उन्होंने यह भी दोहराया कि उनकी सरकार ने देश को “गुलामी की मानसिकता” से मुक्त करने का संकल्प लिया है।
पीएम मोदी के नौ संकल्प
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में नौ संकल्पों को भी दोहराया और लोगों से उनका पालन करने का आग्रह किया। ये संकल्प हैं:
- पानी बचाना
- मां की याद में एक पेड़ लगाना
- स्वच्छता बनाए रखना
- स्थानीय उत्पादों के इस्तेमाल को बढ़ावा देना
- देश के विभिन्न स्थानों की यात्रा करना
- प्राकृतिक खेती को अपनाना
- स्वस्थ जीवन शैली अपनाना
- खेल और योग को अपनाना
- गरीबों की मदद करना
क्या आप इन नौ संकल्पों में से किसी एक के बारे में और जानना चाहेंगे?