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जनगणना की अधिसूचना जारी, पहली बार पूरी तरह डिजिटल होगी गणना

जनगणना की प्रक्रिया दो फेज में पूरी होगी, अंतिम चरण एक मार्च 2027 तक पूरा होगा

संवाददाता
नई दिल्ली,नवसत्ता। केंद्र सरकार ने सोमवार को भारत की 16वीं जनगणना के लिए आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है। यह जनगणना, जो कोरोना महामारी के कारण 2021 में स्थगित हो गई थी, अब 2027 में आयोजित की जाएगी। इस बार की जनगणना कई मायनों में खास होगी, जिसमें पहली बार प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल होगी और इसमें जातिगत गणना को भी शामिल किया जाएगा।

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, यह पूरी प्रक्रिया लगभग 21 महीनों में पूरी होगी। बर्फबारी से प्रभावित राज्यों जैसे जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में जनगणना की संदर्भ तिथि 1 अक्टूबर, 2026 होगी, जबकि देश के बाकी हिस्सों के लिए यह तिथि 1 मार्च, 2027 निर्धारित की गई है।

जनगणना का कार्य दो मुख्य चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण, जिसे हाउस-लिस्टिंग ऑपरेशन कहा जाता है, में गणनाकार हर घर जाकर मकानों की आवासीय स्थिति, परिवार के पास उपलब्ध संपत्ति और अन्य बुनियादी सुविधाओं का डेटा एकत्र करेंगे। इस चरण को 1 अक्टूबर, 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है। इसके बाद दूसरे चरण यानी जनसंख्या गणनाश् में प्रत्येक व्यक्ति की विस्तृत सामाजिक-आर्थिक, जनसांख्यिकीय और सांस्कृतिक जानकारी दर्ज की जाएगी। यह चरण 1 मार्च, 2027 तक पूरा होगा। इस विशाल कार्य को संपन्न करने के लिए लगभग 34 लाख गणनाकारों और पर्यवेक्षकों की टीम तैनात की जाएगी।

यह भारत की पहली पूर्णतः डिजिटल जनगणना होगी, जिसमें डेटा संग्रह के लिए एक विशेष मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा, नागरिकों को श्स्व-गणनाश् (ैमस-िम्दनउमतंजपवद) का विकल्प भी प्रदान किया जाएगा, जिससे वे खुद अपनी जानकारी ऑनलाइन दर्ज कर सकेंगे। सरकार ने जनगणना के दौरान एकत्र किए गए डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े उपाय लागू करने का आश्वासन दिया है।
यह भारत की 16वीं और स्वतंत्रता के बाद 8वीं जनगणना है। पिछली जनगणना वर्ष 2011 में हुई थी। अधिसूचना जारी होने से एक दिन पहले, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गृह सचिव और भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त के साथ एक उच्च-स्तरीय बैठक में जनगणना की तैयारियों की समीक्षा की थी।

अधिसूचना खोदा पहाड़, निकली चुहिया जैसीःकांग्रेस

नई दिल्ली। जनगणना के लिए बहुप्रतीक्षित अधिसूचना जारी होने के बाद कांग्रेस ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे ‘खोदा पहाड़, निकली चुहिया’ करार दिया है और आरोप लगाया है कि अधिसूचना में जातिगत गणना का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सरकार की इस अधिसूचना को निराशाजनक बताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि अधिसूचना में केवल उन्हीं बातों को दोहराया गया है जो 30 अप्रैल, 2025 को पहले ही घोषित की जा चुकी थीं।
रमेश ने दावा किया कि कांग्रेस के लगातार दबाव के कारण ही प्रधानमंत्री को जातिगत गणना के मुद्दे पर झुकना पड़ा, जबकि पहले मोदी सरकार ने संसद और उच्चतम न्यायालय में इस विचार का पुरजोर विरोध किया था।

उन्होंने कहा कि असलियत यह है कि कांग्रेस की लगातार मांग और दबाव के चलते ही प्रधानमंत्री को जातिगत गणना के साथ जनगणना कराने के मसले पर झुकना पड़ा। उन्होंने कहा, ’’ प्रधानमंत्री ने इसी मांग को लेकर कांग्रेस नेताओं को अर्बन नक्सल तक कह दिया था। संसद हो या उच्चतम न्यायालय, मोदी सरकार ने जातिगत गणना के साथ जनगणना कराने के विचार को सिरे से खारिज कर दिया था। अब से ठीक 47 दिन पहले, सरकार ने खुद इसकी घोषणा की।’’

रमेश के अनुसार, आज की राजपत्र अधिसूचना में जातिगत गणना का कोई उल्लेख नहीं है। उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या यह फिर वही यू-टर्न है, जिसके लिए प्रधानमंत्री मोदी अपनी पहचान बना चुके हैं? या फिर आगे इसके विवरण सामने आयेंगे?’’
रमेश ने जोर देकर कहा, ‘‘कांग्रेस का स्पष्ट मत है कि 16वीं जनगणना में तेलंगाना मॉडल अपनाया जाए। यानी सिर्फ जातियों की गिनती ही नहीं बल्कि जातिवार सामाजिक और आर्थिक स्थिति से जुड़ी विस्तृत जानकारी भी जुटाई जानी चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘तेलंगाना के जातिगत सर्वेक्षण में 56 सवाल पूछे गए थे। अब सवाल यह है कि 56 इंच की छाती का दावा करने वाले ‘नॉन बायोलॉजिकल’ व्यक्ति में क्या इतनी समझ और साहस है कि वह 16वीं जनगणना में भी 56 सवाल पूछने की हिम्मत दिखा सकें?

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