संवाददाता
बेंगलुरु,नवसत्ताः कर्नाटक की राजनीति में बीजेपी के MLC एन रविकुमार ने एक बार फिर विवादित बयान देकर नया तूफान खड़ा कर दिया है। कलबुर्गी की डिप्टी कमिश्नर और राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त मुस्लिम महिला IAS अधिकारी फौजिया तरन्नुम के खिलाफ उन्होंने रैली में कहा,
“मालूम नहीं वो पाकिस्तान से आई हैं या यहां की अफसर हैं।”
इस बयान ने प्रशासनिक महकमे और राजनीतिक गलियारों में भारी आक्रोश मचा दिया है। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद भाजपा नेता की निंदा करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी।
IAS अफसरों और प्रशासन की कड़ी निंदा
कर्नाटक IAS अफसर एसोसिएशन ने रविकुमार की टिप्पणी को कर्नाटक प्रशासन की गरिमा पर हमला बताते हुए कड़ी निंदा की है। उन्होंने भाजपा नेता से बिना शर्त माफी की मांग की है और कहा है कि इस तरह की टिप्पणी किसी संवैधानिक पद पर कार्यरत अधिकारी की छवि धूमिल करने की साजिश है।
FIR दर्ज, कई गंभीर धाराओं में मामला
एन रविकुमार के खिलाफ राष्ट्रीय एकता विरोधी बयान, धार्मिक भावनाओं को भड़काने, सरकारी अधिकारी को डराने-धमकाने सहित कई धाराओं के तहत FIR दर्ज की गई है। यह मामला सोमवार को दर्ज हुआ, और अब इसकी जांच तेज़ी से चल रही है।
भाजपा का बचाव या मौन?
अब तक भाजपा नेतृत्व ने इस विवादित बयान पर आधिकारिक तौर पर कोई जवाब नहीं दिया है, जिससे विरोधियों को आरोप लगाने का मौका मिल रहा है कि पार्टी ऐसे अपमानजनक और साम्प्रदायिक बयानों को बढ़ावा दे रही है।
विपक्ष ने भाजपा पर साधा निशाना
कर्नाटक कांग्रेस के प्रभारी मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा,
“भाजपा नेताओं की सोच मुस्लिम और पाकिस्तान से आगे नहीं जाती। ये जानबूझकर अफसरों का मनोबल गिराने की साजिश है।”
राजनीतिक पृष्ठभूमि और विवाद का सिलसिला
यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बीजेपी नेता चलवाड़ी नारायणस्वामी को कलबुर्गी के सरकारी गेस्ट हाउस में घेर लिया था। नारायणस्वामी ने कांग्रेस नेता प्रियांक खड़गे को अपशब्द कह दिया था, जिसके बाद यह विवादित बयान एन रविकुमार ने दिया।
एन रविकुमार 2018 से विधायक हैं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा ABVP से राजनीतिक सफर शुरू करने वाले ये नेता पिछले साल दूसरी बार भाजपा से MLC बने हैं।
कर्नाटक में भाजपा के नेताओं के विवादित बयानों ने फिर एक बार सामाजिक सामंजस्य और प्रशासनिक तंत्र की छवि को नुकसान पहुंचाया है। अब सवाल यह है कि भाजपा नेतृत्व कब तक ऐसे बयानों पर चुप्पी साधेगा और कब तक इस तरह के मामलों को गंभीरता से लेते हुए प्रभावी कदम उठाएगा।
कांग्रेस के कर्नाटक प्रभारी मंत्री प्रियांक खड़गे ने भाजपा नेताओं की सोच को मुस्लिम और पाकिस्तान तक सीमित बताते हुए आरोप लगाया कि भाजपा जानबूझकर अफसरों का मनोबल गिराने की कोशिश कर रही है। भाजपा की ओर से इस मामले में अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, जिससे विपक्षी दल भाजपा पर दबाव बढ़ा रहे हैं।
एन रविकुमार का राजनीतिक सफर भी काफी चर्चित रहा है। वे 2018 में निर्विरोध विधान परिषद सदस्य चुने गए थे और लंबे समय तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा ABVP से जुड़े रहे हैं। पिछले साल दूसरी बार भाजपा के टिकट पर MLC बने।
यह मामला कर्नाटक में धार्मिक और सामाजिक संवेदनशीलता के साथ-साथ प्रशासनिक तंत्र की गरिमा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है। राजनीतिक दलों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच बढ़ते तनाव के बीच इस घटना ने राज्य में शांति और सौहार्द के माहौल को प्रभावित किया है। अब देखने वाली बात यह है कि भाजपा नेतृत्व इस विवाद को कैसे संभालता है और क्या वह पार्टी के ऐसे नेताओं पर कार्रवाई करता है जो संवेदनशील मामलों में देश की एकता और प्रशासनिक सम्मान को ठेस पहुंचाते हैं।