संवाददाता
नई दिल्ली,नवसत्ताः पाकिस्तान के खिलाफ जारी ऑपरेशन सिंदूर के बीच केंद्र सरकार अब रक्षा बजट में 50,000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी करने की तैयारी में है। रक्षा मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को केंद्र के समक्ष रखा है, और संभावना है कि संसद के आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान इसे मंजूरी मिल जाएगी। यह राशि भारत की सैन्य क्षमताओं को और आधुनिक बनाने के लिए इस्तेमाल की जाएगी। इसमें नए हथियार, गोला-बारूद, अत्याधुनिक तकनीक, और अनुसंधान एवं विकास पर जोर दिया जाएगा।
अगर यह प्रस्ताव मंजूर होता है, तो रक्षा मंत्रालय का कुल बजट सात लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2025-26 के लिए पहले ही 6.81 लाख करोड़ रुपये का रक्षा बजट प्रस्तुत किया था, जो कि पिछले वर्ष से लगभग 9.5ः अधिक है। 2014-15 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पहली बार बजट पेश किया गया था, तब रक्षा बजट 2.29 लाख करोड़ रुपये था। अब एक दशक में यह तीन गुना से भी अधिक हो चुका है।
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए ऑपरेशन सिंदूर को शुरू किया। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने सीमापार जाए बिना पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकी कैंपों को तबाह किया। यह सब भारत की एडवांस एयर डिफेंस तकनीक के जरिये संभव हो सका। जवाबी हमले में पाकिस्तान ने भी मिसाइल और ड्रोन हमले किए, लेकिन भारत की मल्टी लेयर्ड एयर डिफेंस प्रणाली ने उन्हें लगभग पूरी तरह निष्क्रिय कर दिया।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना ने रूस निर्मित एस-400 और बराक-8 मीडियम रेंज सिस्टम के अलावा स्वदेशी ‘आकाशतीर’ प्रणाली पिकोरा तथा लो लेवल एयर डिफेंस गन का प्रभावी इस्तेमाल किया। इससे भारत की तकनीकी ताकत और युद्ध की तैयारी का स्पष्ट प्रदर्शन हुआ।
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत का सैन्य खर्च अब 86.1 बिलियन डॉलर (लगभग 7.19 लाख करोड़ रुपये) पर पहुंच गया है, जो कि पाकिस्तान से नौ गुना अधिक है। पाकिस्तान का सैन्य खर्च 10.2 बिलियन डॉलर यानी लगभग ₹85,000 करोड़ रहा। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि भारत दुनिया में सैन्य खर्च करने वाले टॉप 5 देशों में शामिल है,अमेरिका, चीन, रूस और जर्मनी के साथ।
हालांकि, भारत को अब भी अपनी सैन्य संरचना में कई चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है। उसके रक्षा बजट का 75ः हिस्सा केवल सैलरी और पेंशन में चला जाता है, जिससे आधुनिकीकरण और नई तकनीकों के लिए केवल 25ः बजट ही बचता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि भारत को एक साथ चीन और पाकिस्तान दोनों का मुकाबला करना है, तो रक्षा बजट को कम से कम 2.5ः तक पहुंचाना जरूरी है। वर्तमान में यह लगभग 1.9ः है।
सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि यूरोप के कई देश भी 2024 में अपने सैन्य खर्च को बड़े पैमाने पर बढ़ा चुके हैं। जर्मनी ने इस वर्ष 28ः की वृद्धि करते हुए 88.5 बिलियन डॉलर तक का रक्षा बजट बना लिया है, जो उसे यूरोप का सबसे बड़ा रक्षा खर्च वाला देश बनाता है। वहीं, पोलैंड ने भी 31ः की बढ़ोतरी के साथ अपने सैन्य खर्च कोे 4.2ः तक पहुंचा दिया है।
भारत की सुरक्षा स्थिति को देखते हुए, और पाकिस्तान के साथ बढ़े तनाव के संदर्भ में, ऑपरेशन सिंदूर के बीच प्रस्तावित बजट बढ़ोतरी केवल एक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक रणनीतिक दीर्घकालिक निवेश है। इसके जरिए भारत न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि तकनीकी श्रेष्ठता के रास्ते पर भी तेजी से आगे बढ़ेगा।