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घूस की टिप्स बताने वाले थानेदार पर भ्रष्टाचार का मुकदमा, घूस मांगने वाले पर आखिर रहमत क्यों ?

जांच में प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने के बाद कार्रवाई से क्यों घबरा रहे अधिकारी?

अक्षय मिश्रा

रायबरेली,नवसत्ता : खाकी का खाकी से प्रेम या चल रहा है दूसरा कोई गेम? घूस मांगने का वायरल ऑडियो के बाद दोषी कोतवाल अरुण सिंह पर कोई वैधानिक कार्यवाही ना होने पर ऐसी चर्चाएं आजकल आम जनता के मध्य है। बहुचर्चित लालगंज ऑडियो कांड मैं प्रथम दृष्टिया दोषी पाए जाने के बाद लालगंज थाना इंचार्ज अरुण कुमार सिंह को एसपी श्लोक कुमार द्वारा तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था। किंतु इसके बाद भी पुलिस प्रशासन की न्याय व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह खड़े हो रहे हैं, कुछ माह पूर्व खीरो थाना से घूस लेने की टिप्स बताते हुए ऑडियो वायरल हुआ था जिस पर जांच के बाद मणिशंकर तिवारी दोषी पाए गए।

उसके बाद प्रशासन द्वारा तत्काल निलंबित करने के साथ-साथ भ्रष्टाचार का मुकदमा भी पंजीकृत कर दिया गया था, लेकिन बात अगर लालगंज ऑडियो कांड की करें तो इस मामले में जांच अधिकारी क्यों कर रहे हैं? एक तरफ प्रदेश सरकार जीरो टॉलरेंस नीति की बात कर रही है यहां तक कि सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ का ये दावा है कि भ्रष्टाचारियों पर कोई रहमत नहीं बरती जाएगी। भ्रष्टचार करते हुए कोई भी अफसर या कर्मचारी मिला तो उन्हें कदापि नहीं बक्शा जाएगा, लेकिन रायबरेली में सरकार की इन मंसूबों पर पुलिस अधिकारी गोलमोल करके मामले को रफा दफा करने का पूरा प्रयास कर रहे है, आखिर तब ही तो 12 दिन बीत जाने के बाद भी सिर्फ निलंबन की कार्रवाई की गई, अभी तक प्रशसन कि तरफ कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया शायद यही वजह है कि जनपदीय लोग दोषी कोतवाल अरुण सिंह की रसूख की मिसाल दे रहें है।

सवाल यह भी लाजमी है की दोषी पाए जाने के बाद भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई कहीं खाकी का खाकी से प्रेम तो नहीं जिस कारण अधिकारी कलम चलाने में हिचक रहे है। आपको बता दें कि 5 जुलाई को अरुण सिंह का 50 हजार की रिश्वत मांगने का एक ऑडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था वायरल ऑडियो में बातचीत कर रहे अरुण सिंह को 10 हजार रूपए काम लग रहे थे। जिस पर उन्होंने 50 हजार की डिमांड कर रहे है जिसके बाद मामले को संज्ञान में लेते हुए पुलिस अधीक्षक श्लोक कुमार ने एएसपी विश्वजीत श्रीवास्तव को जांच सौंपी जिस पर अरुण सिंह के दोषी पाए जाने के बाद उन्हें एसपी द्वारा निलंबित कर दिया गया, लेकिन रायबरेली के ही कई थानेदारों को उनकी दोषी पाएं जाने बाद मुकदमा तक पंजीकृत हुआ, लेकिन स्पेक्टर अरुण सिंह दोषी पाए जाने के बाद भी कोई कठोर कार्यवाही ना करने की वजह से प्रशासन पक्षपात कर रहा है आखिर ऐसा क्यों ?

आपको बता दें कि इस प्रकरण में मामले को दबाने के लिए बहनोई का बयान भी दर्ज हुआ जिस पर बताया जाता है कि बहन-बहनोई कानपुर से रायबरेली आकर खुद बयान दर्ज कराएं, बहन बहनोई का कहना है कि कोतवाल अरुण सिंह द्वारा मुझसे कोई भी पैसों की डिमांड नहीं की गई। लालगंज में स्टेशन रोड पर मकान को लेकर विवाद था जिसको लेकर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी, लेकिन सवाल यहां भी खड़ा होता है कि आखिर पैसे की लेन देन की बात सुमित पांडेय से हुई। जिसका बयान भी दर्ज हो चुका है जिसके बाद वह दोषी भी पाए गए।

क्या कहते हैं जांच अधिकारी विश्वजीत श्रीवास्तव

इस बाबत जांच अधिकारी एएसपी विश्वजीत श्रीवास्तव ने कहा कि उन पर कोई रहम नहीं किया जाएगा दोषी पाए जाने के पश्चात निलंबित कर दिया गया है और इस तरह की जांच में थोड़ा वक्त लगता है, जांच जारी है इसके पश्चात अरुण सिंह वैधानिक कार्यवाही की जाएगी।

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