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चिपको आन्दोलन की 48वि वर्षगाँठ

गरिमा

“क्या हैं जंगल के उपकार, मिट्टी, पानी और बयार।
मिट्टी, पानी और बयार, जिन्दा रहने के आधार।”

इस घोषवाक्य के साथ 1973 में श्रीमती गौरादेवी (आन्दोलन की जननी), पर्यावरणविद सुन्दरलाल बहुगुणा तथा चण्डीप्रसाद भट्ट के नेत्रत्व मे चिपको आन्दोलन की शुरुआत भारतवर्ष के उत्तराखंड राज्य जो की उस समय उतर प्रदेश ही था, में हुई थी| चिपको आन्दोलन, जिसमे स्त्रिओ का मुख्य और अधिकाधिक योगदान रहा, की शुरुआत पर्यावरण की रक्षा, वनों की अंधाधुंध कटाई का विरोध करने के लिए किया गया था|
किसानो और स्थानीय निवासिओ के इस निःस्वार्थ प्रयास के फल स्वरुप ही केंद्र में पर्यावरण मंत्रालय और भारत में “1980 का वन संरक्षण अधिनियम” का गठन हुआ| इसी वर्ष तत्कालीन प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने हिमालयी क्षेत्र में वनों की कटाई पर 15 वर्षो की रोक लगा दी थी| आन्दोलन की सफलता को देखते हुए इसका विस्तार बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हिमांचल प्रदेश आदि प्रदेशो में भी हुआ और यही आन्दोलन आगे चल के विश्व के पर्यावरण सम्बंधित गोष्ठियो और कार्यो का आधार बना|

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