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कोविड-19: राष्ट्रीय राजमार्गों पर नहीं लगेगा टोल, यात्री डिब्बों को वार्ड बनाने पर विचार कर रहा है रेलवे

नई दिल्ली: देश में कोरोनावायरस के संक्रमण को देखते हुए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को कहा कि आपात सेवाओं के काम में लगे लोगों का काम आसान करने के लिए देश में अस्थायी तौर पर राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल नहीं लिया जाएगा. केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘कोविड-19 को देखते हुए आदेश दिया जाता है कि देश के सभी टोल प्लाजा पर टोल लेने का काम बंद किया जाए.’ उन्होंने कहा कि इससे आपात सेवाओं के काम में लगे लोगों को जरूरी समय बचाने में मदद मिलेगी. मंत्री ने कहा कि सड़कों का प्रबंधन और टोल प्लाजा पर आपात संसाधन की मौजूदगी पहले की तरह ही रहेगी. इससे पहले केंद्रीय मंत्री ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को सलाह दी थी कि वह देशव्यापी बंद के संबंध में गृह मंत्रालय के आदेश का पालन करें. उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति को ‘अप्रत्याशित घटना’ के रूप में देखा जा सकता है. रेलवे यात्री डिब्बों को कोरोनावायरस संक्रमितों के लिए पृथक वार्ड के लिए देने पर कर रहा विचार रेलवे कोरोनावायरस संक्रमितों को पृथक रखने के लिए यात्री डिब्बों और केबिन को देने पर मंथन कर रहा है. सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी. उल्लेखनीय है कि भारतीय रेलवे रोजाना 13,523 यात्री रेलगाड़ियों का परिचालन करता है लेकिन कोरोनावायरस के चलते सभी यात्री सेवाएं 14 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी गई हैं. सूत्रों ने बताया कि खाली डिब्बों और केबिन को कोरोनावायरस के मरीजों के लिए आईसीयू के तौर पर इस्तेमाल करने के प्रस्ताव पर रेलमंत्री की रेलवे बोर्ड अध्यक्ष वीके यादव, सभी जोन के महा प्रबंधक और डिविजन रेलवे के प्रबंधकों के साथ बुधवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई बैठक में चर्चा की गई. उन्होंने बताया कि बैठक में शौचालय युक्त डिब्बों को पृथक वार्ड के तौर पर इस्तेमाल के प्रस्ताव के साथ इस बात पर चर्चा की गई कि कैसे रेलवे की उत्पादन इकाइयों का उपयोग कोरोनावायरस से लड़ने के लिए जरूरी वस्तुओं जैसे जीवन रक्षक प्रणाली, बिस्तर, ट्रॉली आदि के निर्माण में किया जा सकता है. सूत्रों ने बताया कि यह विचार मंत्रिमंडल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा यह कहे जाने के बाद आया कि वे कोरोनावायरस के चलते चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार के लिए नवोन्मेषी उपायों पर काम करें. उन्होंने बताया कि इन डिब्बों और केबिन का इस्तेमाल चलते फिरते अस्पताल के रूप में किया जा सकता है जिसमें परामर्श कक्ष, मेडिकल स्टोर, गहन चिकित्सा कक्ष और रसोईयान (पैंट्री) की सुविधा होगी. सूत्रों ने बताया कि रेलवे का देशभर में विस्तृत नेटवर्क है और रेलगाड़ी में स्थापित अस्पताल उन इलाकों में स्थापित किया जा सकता है जहां पर संक्रमितों की संख्या अधिक हो और पर्याप्त चिकित्सा सुविधा नहीं हो. उन्होंने बताया कि रेल डिब्बा उत्पादन इकाइयां चिकित्सा सुविधा के अनुकूल डिब्बों में बदलाव कर उत्पादन शुरू कर सकती है. सूत्रों ने बताया कि रेलवे के पास दुर्घटना राहत चिकित्सा उपकरण यान (एआरएमई) या रेल एंबुलेंस है जिसे कोरोनावायरस के मरीजों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. एआरएमई का इस्तेमाल सामान्यत: रेल दुर्घटना के दौरान घायल यात्रियों के इलाज के लिए किया जाता है.

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