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डॉक्टर्स डे विशेष:जानिए अपने डॉक्टर के अनसुने किस्से,मिलिए सीएचसी शिवगढ़ के चिकित्सक डॉक्टर राकेश पांडेय से

अमित श्रीवास्तव

तभी एक बुजुर्ग बाबा जी इलाज के लिए आए हुए थे।उनके साथ भीड़ तो बहुत थी परंतु जब उनको ब्लड की आवश्यकता पड़ी तो उनमें से कोई भी ब्लड देने के लिए तैयार नहीं हुआ।पेशेंट को कई यूनिट ब्लड की आवश्यकता थी। तब हम लोग जितने भी रेजिडेंटस थे सभी ने मिलकर उनको ब्लड डोनेट किया…..

रायबरेली,नवसत्ता:आगामी डॉक्टर्स डे से पहले हमारी इस विशेष सीरीज़ में आपको मिलवाते हैं,सीएचसी शिवगढ़ के चिकित्सक डॉक्टर राकेश पाण्डेय से।मेडिकल की पढ़ाई से लेकर प्रोफेशन में आने तक उन्होंने कई दिलचस्प किस्से शेयर किये। डॉ राकेश कहते हैं, बचपन से ही उनकी इच्छा रही है कि लाचार गरीब और बीमार लोगों की सेवा करें। जब भी हम किसी गरीब बीमार व्यक्ति को देखते हैं तो मन में एक सेवा भाव जागता है।हम सदैव मरीजों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए समर्पित रहते हैं। हमारा उद्देश्य है कि हम अधिक से अधिक मरीजों को अधिक से अधिक स्वास्थ्य सुविधाएं सही समय पर पहुंचा सकें। मेडिकल की पढ़ाई के दौरान का एक किस्सा शेयर करते हुए डॉक्टर राकेश पाण्डेय कहते हैं, इंटर्नशिप के दौरान और सेवाकाल के दौरान भी बहुत सी विशेष और यादगार घटनाएं हुई हैं और होती ही रहती हैं।उन्ही में से एक, पढ़ाई के दौरान मैं राम मनोहर लोहिया संस्थान में न्यूरो सर्जरी में एआर शिप कर रहा था। वहाँ एक बुजुर्ग बाबा जी इलाज के लिए आए हुए थे।उनके साथ भीड़ तो बहुत थी परंतु जब उनको ब्लड की आवश्यकता पड़ी तो उनमें से कोई भी ब्लड देने के लिए तैयार ना हुआ। पेशेंट को कई यूनिट ब्लड की आवश्यकता थी। तब हम लोग जितने भी रेजिडेंटस थे सभी ने मिलकर उनको ब्लड डोनेट किया। इस प्रकार उनकी जान बच पाई। और फिर ठीक होकर डिस्चार्ज किये गए। अपने मेडिकल प्रोफेशन के एक और यादगार और अत्यंत संघर्षपूर्ण क्षणों के बारे में जिक्र करते हुए डॉक्टर राकेश पांडे बताते हैं,अभी पिछली बार ही कोरोना के संक्रमण काल में संक्रमण अपने चरम पर था। मृत्यु दर और संक्रमण दर बहुत अधिक थी। उस वक्त हमारी ड्यूटी L-2 हॉस्पिटल में लगी हुई थी। वहां पर मैंने पूरी ईमानदारी और सेवा भाव के साथ काम किया।
कोरोना की मौजूदा स्थिति के तहत डॉ राकेश का यह संदेश है कि कोरोना एक वायरल डिजीज है, वायरस के द्वारा फैलने वाली बीमारी है। अब टीकाकरण बहुत तेजी से चल रहा है। अभी तक 45 वर्ष से ऊपर के व्यक्तियों को टीका लगाया जा रहा था।अब 18 वर्ष से ऊपर के व्यक्तियों को टीका लगाया जा रहा है। उनमें भी जिनके परिवार में 12 वर्ष से छोटे बच्चे हैं। उनको प्राथमिकता के तौर पर टीका लगाया जा रहा है। क्योंकि वैज्ञानिकों और चिकित्सकों का मानना है कि तीसरी लहर जो आएगी वह बच्चों के लिए अधिक खतरनाक साबित हो सकती है। अधिक संक्रामक हो सकती है । इसलिए लोगों को अभी किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं करनी चाहिए अपनी बारी आने पर वैक्सीन अवश्य लगाएं। समय-समय पर अपने हाथों को साबुन से धोएं या सैनेटाइज करते रहें। मास्क पहनें और भीड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें। सामाजिक दूरी का पालन करें। उन्होंने कहा कि संचार और प्रचार के तमाम माध्यमों से कोविड से बचाव के उपाय बताए जाते हैं, फिर भी लोग उनकी अनदेखी कर देते हैं जो कि सही नहीं है।

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