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महर्षि वाल्मीकि जयन्ती पर आयोजित हुए कार्यक्रम

सुलतानपुर (नवसत्ता) :-महर्षि वाल्मीकि जयंती कार्यक्रम विभिन्न संस्थाओं व विद्यालयों में आयोजित हुए जहां वक्ताओं ने बाल्मीकि को लौकिक संस्कृत साहित्य का जन्मदाता बताया।अखिल भारतीय साहित्य परिषद ने त्रिभुवन देवी एकेडमी नूरपुर के संगोष्ठी कक्ष में वाल्मीकि जयंती का आयोजन  किया जहां वरिष्ठ साहित्यकार डा सुशील कुमार पाण्डेय साहित्येन्दु ने महर्षि बाल्मीकि को भारतीय सनातन परम्परा की रीढ़ बताया व कहा कि महर्षि बाल्मीकि का साहित्य युगों युगों तक मानवता का मार्गदर्शन करता रहेगा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता परिषद के जिलाध्यक्ष मथुरा प्रसाद सिंह जटायु ने किया व कहा कि वाल्मीकि कृत रामायण में भगवान राम को साधारण मानव के रूप में प्रस्तुत किया गया है और वे एक ऐसे मानव के रूप में जाने गए जिन्होंने संपूर्ण मानव जाति के सामने आदर्श उपस्थित किया। इसलिए हमें उनकी शिक्षा को सदा ध्यान में रखना चाहिए।

संस्था महामंत्री संत तुलसीदास पीजी कॉलेज हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ करूणेश भट्ट ने कहा कि वाल्मीकि आदि कवि हैं जिनके साहित्य ने लोक मानस की जड़ता को तोड़ने का काम किया था ।पवन कुमार सिंह ने बताया कि वाल्मीकि अवध संस्कृति के प्रथम गायक हैं जिनके साहित्य ने अवध को दुनिया के कोने कोने तक पहुंचाया।संगोष्ठी संचालन ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि तथा आभार ज्ञापन प्रबंधक त्रिभुवन देवी अकादमी अरुण कुमार सिंह एडवोकेट ने किया।

वहीं मुड़िलाबाजार के सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित रामायण के रचयिता बाल्मीकि जयन्ती अवसर पर आचार्य राम प्रदोष उपाध्याय ने कहा कि महर्षि बाल्मीकि ही लौकिक संस्कृत साहित्य के जन्मदाता हैं। प्रधानाचार्य सुधाकर दत्त मिश्र ने कहा कि बाल्मीकि ने श्रीराम जी के जीवन पर आधारित रामायण जैसे ग्रन्थ की रचना किया जिसका सभी को अनुशरण करना चाहिए।इस अवसर पर छात्र छात्राएं व सभी आचार्य आचार्या उपस्थित रहे।

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