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30 दिन में जाएगी पीएम-सीएम की कुर्सी!

विपक्ष के भारी हंगामें के बाद जेपीसी को भेजा गया 130वां संविधान संशोधन बिल

संवाददाता
नई दिल्ली,नवसत्ताः लोकसभा में आज संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 सहित तीन विधेयकों के पेश होने के दौरान जोरदार हंगामा देखने को मिला। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश इन विधेयकों को विपक्ष के तीव्र विरोध के बाद संसद की संयुक्त समिति को विचार के लिए भेज दिया गया। विपक्ष ने इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए बिल को वापस लेने की मांग की। हंगामे के बीच कुछ सांसदों ने बिल की प्रतियां फाड़कर गृह मंत्री के सामने फेंक दीं, जिससे सदन में तनाव चरम पर पहुंच गया।

30 दिन की हिरासत, सत्ता का अंत

संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 में एक सख्त प्रावधान है, जिसके तहत प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री या मुख्यमंत्री को गंभीर अपराधों के आरोप में गिरफ्तार होने पर 30 दिन तक हिरासत में रहने की स्थिति में स्वतः पद से हटा दिया जाएगा। इसके साथ ही, ‘संघ राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2025’ और ‘जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025’ भी पेश किए गए। इन विधेयकों को अब संयुक्त समिति के पास भेजा गया है, जिसमें लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल होंगे। समिति को अगले संसद सत्र के पहले सप्ताह के अंतिम दिन तक अपनी सिफारिशें सौंपनी होंगी।

विपक्ष का तीखा विरोध और बिल फाड़ने की नौटंकी

विपक्षी दलों ने इन विधेयकों को पेश किए जाने पर कड़ा ऐतराज जताया। एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस के मनीष तिवारी और केसी वेणुगोपाल, आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन और समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव ने बिल को अलोकतांत्रिक और सत्ता के दुरुपयोग का हथियार करार दिया। हंगामे के दौरान कुछ सांसदों ने बिल की प्रतियां फाड़कर गृह मंत्री के सामने फेंक दीं, जिससे सदन की कार्यवाही कुछ समय के लिए ठप हो गई। विपक्ष का कहना है कि यह बिल सत्तारूढ़ दल को अपने राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने का अवसर दे सकता है।

शाह बनाम वेणुगोपालःनैतिकता पर तीखी जंग

बिल पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल के बीच तीखी नोकझोंक हुई। वेणुगोपाल ने शाह पर हमला बोलते हुए कहा कि जब वह गुजरात के गृह मंत्री थे और उनकी गिरफ्तारी हुई थी, तब उन्होंने नैतिकता का पालन नहीं किया। जवाब में शाह ने पलटवार करते हुए कहा, “मैंने गिरफ्तारी से पहले ही नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया था और कोर्ट से निर्दोष साबित होने तक कोई संवैधानिक पद स्वीकार नहीं किया।” शाह ने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “हम निर्लज्ज नहीं हो सकते कि गंभीर आरोपों के बाद भी पद पर बने रहें। मैं चाहता हूं कि नैतिकता के मूल्य स्थापित हों।” इस बहस ने सदन में गर्मागर्मी को और बढ़ा दिया।

बिल का मकसद और उभरता विवाद

सरकार का दावा है कि यह विधेयक राजनीति में शुचिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए लाया गया है। गृह मंत्री शाह ने जोर देकर कहा कि यह बिल उन लोगों को संवैधानिक पदों पर बने रहने से रोकेगा, जिन पर गंभीर अपराधों के आरोप हैं। हालांकि, विपक्ष इसे सत्ताधारी दल की ओर से राजनीतिक प्रतिशोध का हथियार मान रहा है। विपक्षी नेताओं का तर्क है कि 30 दिन की हिरासत के बाद स्वतः पद से हटाने का प्रावधान असंवैधानिक है और इससे चुने हुए प्रतिनिधियों के अधिकारों का हनन हो सकता है।

संयुक्त समिति के सामने चुनौती

भारी हंगामे के बाद लोकसभा ने तीनों विधेयकों को संयुक्त समिति के पास भेजने का फैसला किया। 31 सदस्यीय इस समिति को इन विधेयकों पर गहन विचार-विमर्श कर अपनी सिफारिशें देनी होंगी। समिति की रिपोर्ट अगले संसद सत्र में पेश की जाएगी, जो इन बिलों के भविष्य को निर्धारित करेगी। समिति के सामने यह चुनौती होगी कि वह इन प्रावधानों को संवैधानिक ढांचे के अनुरूप और संतुलित बनाए।

राजनीतिक तूफान और भविष्य की दिशा

इस विधेयक ने देश की राजनीति में भूचाल ला दिया है। विपक्ष इसे सरकार की तानाशाही और सत्ता के दुरुपयोग का प्रतीक मान रहा है, जबकि सरकार इसे नैतिकता और पारदर्शिता की दिशा में क्रांतिकारी कदम बता रही है। संयुक्त समिति की सिफारिशें और संसद में होने वाली चर्चा से यह तय होगा कि क्या यह बिल कानून बनेगा या विवादों में उलझकर रह जाएगा। फिलहाल, यह मुद्दा राजनीतिक बहस का केंद्र बना हुआ है और आने वाले दिनों में इस पर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल सकती हैं।

सुपर आपातकाल का खतराः ममता बनर्जी की चेतावनी


कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की प्रमुख ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए देश में ‘सुपर आपातकाल’ की स्थिति होने की चेतावनी दी है। यह बयान लोकसभा में हाल ही में पेश किए गए संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 के संदर्भ में आया, जिसे लेकर बुधवार को सदन में जमकर हंगामा हुआ। ममता ने इस बिल को लोकतंत्र पर हमला करार देते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। उनके इस बयान ने देश की राजनीति में नया तूफान खड़ा कर दिया है।

 

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