संवाददाता
नई दिल्ली,नवसत्ताः क्या बिहार में वोट चोरी हुई है? क्या मतदाता सूचियों में जानबूझकर गड़बड़ी की गई? इन आरोपों से देश का राजनीतिक माहौल गरमा गया है! विपक्ष ने चुनाव आयोग पर सीधा हमला बोला है, लेकिन अब चुनाव आयोग ने पलटवार कर विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि ये आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद हैं! आयोग ने कहा है कि वोटर लिस्ट बनाने की प्रक्रिया में सभी राजनीतिक दलों को शामिल किया गया था. ड्राफ्ट लिस्ट की हार्ड और डिजिटल कॉपी सभी दलों को दी गई थी।
चुनाव आयोग ने दावा किया है कि विपक्ष ने ही समय रहते मतदाता सूचियों की जांच नहीं की! आयोग ने कहा,ऐसा लगता है कि कुछ राजनीतिक दलों और उनके बूथ-लेवल एजेंटों ने समय पर अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई और अब जब वक्त निकल गया है, तो आरोप लगा रहे हैं. आयोग का सीधा आरोप है कि मांग देर से, मौका गया हाथ से! इसी के साथ आयोग ने कहा कि मतदाता सूची में त्रुटियों को ठीक करने के लिए 15 दिन का समय अभी बाकी है। सभी दलों और मतदाताओं से अपील की गई कि वे 30 सितंबर तक आपत्तियां और दावे दर्ज करें। अंतिम मतदाता सूची 1 अक्टूबर को प्रकाशित होगी।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने आज यहां एक संवाददता सम्मेलन में कहा कि हमने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से हलफनामा मांगा है यदि वे सही हैं तो वे हलफनामा दंे। सात दिन में वे यदि हलफनामा नहीं देतेे तो यह माना जाएगा कि उनके आरोप झूठे हैं और उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिये।
चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि उसका एकमात्र लक्ष्य शुद्ध और निष्पक्ष वोटर लिस्ट बनाना है ताकि लोकतंत्र मजबूत हो सके. लेकिन इस पूरे विवाद ने एक बार फिर हमारी चुनावी प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं!
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, चुनाव आयोग के लिए कोई पक्ष या विपक्ष नहीं है। संविधान के तहत सभी राजनीतिक दल समान हैं। प्रत्येक 18 वर्ष से अधिक आयु का भारतीय नागरिक मतदाता बनने और मतदान करने का हकदार है। उन्होंने आयोग की निष्पक्षता और संवैधानिक कर्तव्यों के प्रति प्रतिबद्धता दोहराई।
उन्होंने बताया कि मतदाता सूची की तैयारी में 1 करोड़ कर्मचारी, 10 लाख बूथ लेवल एजेंट और 20 लाख पोलिंग एजेंट शामिल होते हैं, जिससे प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है।
बिहार में एसआईआर का उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध करना और सभी पात्र मतदाताओं को शामिल करना है।
आयोग ने कहा कि मतदाता सूची में त्रुटियों को ठीक करने के लिए 15 दिन का समय अभी बाकी है। सभी दलों और मतदाताओं से अपील की गई कि वे 30 सितंबर तक आपत्तियां और दावे दर्ज करें। अंतिम मतदाता सूची 1 अक्टूबर को प्रकाशित होगी।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर, आयोग ने 65 लाख हटाए गए मतदाताओं के नाम और कारणों को अपनी वेबसाइट पर 1 अगस्त को अपलोड किया था, जिसे कोई भी जांच सकता है।
ज्ञानेश कुमार ने कहा कि मतदाता सूची की ड्राफ्ट कॉपी सभी दलों के साथ साझा की जाती है और दावे-आपत्तियों के लिए एक महीने का समय दिया जाता है।
उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि या तो जमीनी स्तर के सत्यापित दस्तावेज उनके नेताओं तक नहीं पहुंच रहे या जानबूझकर भ्रम फैलाया जा रहा है।
आयोग ने कहा कि चुनाव के बाद 45 दिनों की अवधि में अनियमितताओं की शिकायत दर्ज की जा सकती है, लेकिन विपक्ष ने इस दौरान कोई ठोस सबूत नहीं दिया।
विपक्ष की वोटर अधिकार यात्रा पर टिप्पणी
प्रेस कॉन्फ्रेंस का समय राहुल गांधी की बिहार में शुरू हुई 16-दिवसीय वोटर अधिकार यात्रा के साथ मेल खाता है, जो मतदाता सूची में कथित हेरफेर के खिलाफ है। ज्ञानेश कुमार ने कहा कि ऐसी यात्राओं से पहले औपचारिक चैनलों के माध्यम से शिकायतें दर्ज करानी चाहिए थीं।
यात्रा में राजद नेता लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव भी शामिल हैं, और यह 1 सितंबर को पटना में एक रैली के साथ समाप्त होगी।
चुनाव आयोग ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में निष्पक्षता, पारदर्शिता, और संवैधानिक जिम्मेदारी पर जोर दिया। विपक्ष के आरोपों को भ्रामक बताते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि वह बिना डर के सभी मतदाताओं,गरीब, अमीर, युवा, बुजुर्ग, महिला, पुरुष के साथ चट्टान की तरह खड़ा रहेगा।