CDS जनरल अनिल चौहान बोले – ड्रोन युद्ध का भविष्य बदल रहे हैं, भारत को आत्मनिर्भर बनना ही होगा
नई दिल्ली,नवसत्ता:
🛡️ ऑपरेशन सिंदूर से मिली बड़ी सीख, स्वदेशी हथियारों ने दिखाई ताकत
प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (CDS) जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को मानेकशॉ सेंटर में आयोजित विशेष कार्यशाला में भारत के स्वदेशी ड्रोन और काउंटर-ड्रोन तकनीकों (C-UAS) का निरीक्षण किया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि आधुनिक युद्ध की दिशा अब ड्रोन और मानव रहित प्रणालियां तय कर रही हैं, और भारत को इस क्षेत्र में पूरी तरह आत्मनिर्भर बनना होगा।
जनरल चौहान ने कहा कि हाल के अंतरराष्ट्रीय संघर्षों ने दिखा दिया है कि ड्रोन अपने आकार और लागत के मुकाबले युद्ध को असमान रूप से प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने चेताया कि विदेशी तकनीकों पर अत्यधिक निर्भरता हमारी तैयारियों को कमजोर करती है।
🇮🇳 ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का हवाला देकर कहा – दुश्मन को जवाब देने में स्वदेशी हथियारों ने निभाई अहम भूमिका
CDS ने कहा कि 10 मई को पाकिस्तान द्वारा भेजे गए हथियारविहीन ड्रोन भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश में थे, लेकिन इनमें से ज़्यादातर को मार गिराया गया और कुछ को बरामद भी कर लिया गया।
उन्होंने कहा –
“ऑपरेशन सिंदूर ने सिद्ध कर दिया कि हमारे लिए स्वदेशी यूएएस और काउंटर-यूएएस प्रणाली न केवल जरूरी हैं, बल्कि सामरिक रूप से निर्णायक भी हैं।“
🔧 ‘विदेशी टेक्नोलॉजी पर नहीं रह सकते निर्भर’
जनरल चौहान ने कहा कि आत्मनिर्भरता केवल निर्माण नहीं, बल्कि रणनीतिक स्वतंत्रता और दीर्घकालिक सामरिक मजबूती का आधार है। उन्होंने यह भी कहा कि विदेशी तकनीकें उत्पादन क्षमता को बाधित करती हैं और समय पर स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता भी संकट में डाल सकती हैं।
🛰️ यूएवी और सी-यूएएस के स्वदेशीकरण पर एक दिवसीय कार्यशाला
‘सेंटर फॉर ज्वाइंट वॉरफेयर स्टडीज़’ के सहयोग से आयोजित इस कार्यशाला में सैन्य अधिकारियों, वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं और रक्षा उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों ने भाग लिया।
इसका उद्देश्य था –
“स्वदेशी तकनीकों पर आधारित UAV और C-UAS विकास के लिए रणनीतिक रोडमैप तैयार करना।”
🗨️ CDS का संदेश: “ड्रोन युद्ध का भविष्य हैं, भारत को नेतृत्व करना होगा”
कार्यशाला के लिए लिखे गए संदेश में जनरल चौहान ने कहा:
“ड्रोन परोक्ष युद्ध की दुनिया में एक परिवर्तनकारी शक्ति बन चुके हैं। भारत जैसे राष्ट्र के लिए इन तकनीकों में आत्मनिर्भरता न केवल रणनीतिक जरूरत है, बल्कि यह भविष्य में अपने हितों की रक्षा और अवसरों का नेतृत्व करने का आधार भी है।”
🔍 विशेष टिप्पणी:
इस आयोजन ने स्पष्ट कर दिया कि भारत अब ड्रोन युद्ध की वैश्विक दौड़ में पीछे नहीं रहना चाहता। सैन्य संघर्ष अब केवल हथियारों की संख्या नहीं, बल्कि तकनीकी समझ और आत्मनिर्भरता पर भी निर्भर करेंगे।