पुणे,नवसत्ता:
⚖️ जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड का बड़ा फैसला
पुणे के बहुचर्चित पोर्श हादसे में 17 वर्षीय आरोपी को नाबालिग ही माना जाएगा। मंगलवार को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB) ने पुलिस की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें आरोपी को वयस्क (Adult) मानकर मुकदमा चलाने की मांग की गई थी। यह जानकारी समाचार एजेंसी पीटीआई ने दी।
🚗 क्या है पूरा मामला?
यह दर्दनाक हादसा 19 मई 2024 को पुणे के कल्याणी नगर इलाके में हुआ था।
एक 17 वर्षीय किशोर, जो नशे की हालत में पोर्श कार चला रहा था, उसने एक बाइक को टक्कर मार दी थी।
इस हादसे में आईटी प्रोफेशनल्स अनीश अवधिया और अश्विनी कोश्ता की मौके पर ही मौत हो गई थी।
👮♂️ हादसे के बाद की कार्रवाई
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हादसे के बाद आरोपी किशोर को गिरफ्तार किया गया।
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जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने उसे जमानत दे दी और शर्त रखी कि वह 300 शब्दों का निबंध लिखेगा – विषय: सड़क सुरक्षा।
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इस फैसले पर जनता और सोशल मीडिया में भारी गुस्सा और विरोध देखने को मिला।
🔍 दबाव के बाद फिर से जांच
लोगों के आक्रोश के बाद पुलिस ने मामले की दोबारा गंभीरता से जांच शुरू की।
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आरोपी को बाल सुधार गृह (Juvenile Observation Home) भेजा गया।
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बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने किशोर को रिहा करने का आदेश दिया।
❗ अब क्या हुआ?
पुणे पुलिस ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में याचिका दाखिल कर यह मांग की थी कि
“किशोर की उम्र भले ही 17 साल है, लेकिन उसके कृत्य की गंभीरता को देखते हुए उस पर वयस्क की तरह मुकदमा चलाया जाए।”
JJB ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि आरोपी को किशोर के रूप में ही माना जाएगा और उसी आधार पर कानूनी प्रक्रिया चलेगी।
📌 जनता का सवाल अभी भी कायम:
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क्या सिर्फ उम्र देखकर न्याय किया जाएगा?
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क्या गंभीर अपराधों के लिए कानून में बदलाव की ज़रूरत है?