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वाशिंगटन में भारत की ‘दहाड़’: जयशंकर ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर पाकिस्तान को सुनाई खरी-खरी

नई दिल्ली,नवसत्ता: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर वाशिंगटन में एक बड़ा और स्पष्ट संदेश दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन दुनिया को बताता है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने में हिचकेगा नहीं। जयशंकर के बयानों से पाकिस्तान में खलबली मच गई है।

क्वाड का समर्थन और आतंकवाद पर भारत का रुख

जयशंकर ने क्वाड (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद) के बयान और 25 अप्रैल को सुरक्षा परिषद द्वारा जारी बयान का हवाला देते हुए कहा कि आतंकवाद के अपराधियों को हर हाल में जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।

उन्होंने 7 मई को शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में विस्तार से बताया। इस ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यदि आतंकवादी हमले होते हैं, तो भारत उन हमलावरों, उनके समर्थकों, वित्तपोषकों और सहयोगियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा। जयशंकर ने जोर देकर कहा कि यह संदेश अत्यंत स्पष्टता के साथ दिया गया है।

क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों – जयशंकर (भारत), मार्को रुबियो (अमेरिका), पेनी वोंग (ऑस्ट्रेलिया) और ताकेशी इवाया (जापान) द्वारा जारी एक संयुक्त बयान में आतंकवाद और हिंसक अतिवाद के सभी कृत्यों की कड़ी निंदा की गई है, जिसमें सीमा पार आतंकवाद भी शामिल है।

पहलगाम आतंकी हमलों पर क्वाड देशों का साथ

क्वाड देशों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की। उन्होंने इस हमले की साजिश रचने वालों, इसे अंजाम देने वालों और इसके वित्तपोषकों को बिना किसी देरी के न्याय के कटघरे में लाने का आह्वान किया। साथ ही, संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से इस संबंध में सहयोग बढ़ाने की अपील की गई। 22 अप्रैल को हुए इस हमले में 26 लोग मारे गए थे।

संयुक्त बयान में कहा गया, “हम इस निंदनीय कृत्य के अपराधियों, इसे अंजाम देने वालों और वित्तपोषकों को बिना किसी देरी के न्याय के कटघरे में लाने का आह्वान करते हैं और संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों से आग्रह करते हैं कि वे अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों के तहत अपने दायित्वों के अनुसार इस संबंध में सभी संबंधित प्राधिकारों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग करें।”

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रेस वक्तव्य में भी पहलगाम हमले की निंदा की गई और परिषद के सदस्यों ने आतंकवाद के इस निंदनीय कृत्य को अंजाम देने वालों, वित्तपोषकों एवं प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर बल दिया।

वाशिंगटन में आतंकिस्तान पर जयशंकर का कड़ा रुख

भारत ने पहलगाम हमले के जवाब में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादियों के ठिकानों को निशाना बनाकर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था। पहलगाम हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा से संबद्ध ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने ली थी।

जयशंकर ने कहा कि उन्होंने क्वाड के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर अपने समकक्षों को उस आतंकी चुनौती की प्रकृति के बारे में विस्तार से बताया, जिसका सामना भारत कई दशकों से कर रहा है। उन्होंने दृढ़ता से कहा कि भारत आज इसका बहुत दृढ़ता से जवाब देने के लिए दृढ़ संकल्पित है और उसे अपनी रक्षा करने का पूरा अधिकार है।

रूसी तेल और द्विपक्षीय वार्ता

जयशंकर ने बताया कि क्वाड में चर्चा के अलावा, उनकी अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ एक सफल द्विपक्षीय बैठक हुई। दोनों नेताओं ने पिछले छह महीनों के घटनाक्रम पर चर्चा की और भविष्य की रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया। इस मुलाकात के दौरान व्यापार एवं निवेश, प्रौद्योगिकी, रक्षा, ऊर्जा और गतिशीलता जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई।

उन्होंने यह भी बताया कि जयशंकर ने अमेरिका के रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ और ऊर्जा मंत्री क्रिस राइट के साथ भी अलग-अलग द्विपक्षीय वार्ताएं कीं।

अमेरिकी सांसद लिंडसे ग्राहम के एक विधेयक के तहत रूसी तेल खरीदने वाले देशों से आयात पर 500 प्रतिशत शुल्क लगाने की अमेरिकी योजना को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि भारतीय दूतावास और अधिकारी इस मुद्दे पर ग्राहम के संपर्क में हैं। जयशंकर ने कहा, “ऊर्जा सुरक्षा को लेकर हमारी चिंताओं और हमारे हितों से उन्हें अवगत करा दिया गया है।”

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