लखनऊ, नवसत्ता: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने गुरुवार को कैबिनेट बैठक में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए जय प्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र (जेपीएनआईसी) परियोजना को लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) को सौंप दिया है। यह कदम सपा सरकार के कार्यकाल में कथित भ्रष्टाचार से घिरी इस परियोजना को पूरा करने और इसे जनता के हित में उपयोग करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। परियोजना के संचालन के लिए गठित जेपीएनआईसी सोसाइटी को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया गया है।
एलडीए संभालेगा जेपीएनआईसी का जिम्मा
योगी सरकार ने जेपीएनआईसी परियोजना को पूरा करने, इसके रखरखाव और संचालन की जिम्मेदारी पूरी तरह से एलडीए को सौंपी है। कैबिनेट ने जेपीएनआईसी सोसाइटी को भंग करते हुए परियोजना को यथास्थिति एलडीए को हस्तांतरित करने का फैसला किया है। अब एलडीए न केवल इस केंद्र का संचालन करेगा, बल्कि इसके रखरखाव और पूर्ण करने की प्रक्रिया को भी आगे बढ़ाएगा। एलडीए को परियोजना को निजी सहभागिता के जरिए संचालित करने, प्रक्रिया और शर्तें तय करने, सोसाइटी की सदस्यता समाप्त करने और अन्य संबंधित कार्यों के लिए भी पूर्ण रूप से अधिकृत किया गया है। यह निर्णय परियोजना को अधिक पारदर्शी और कुशल तरीके से जनता के हित में संचालित करने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
वित्तीय बोझ और विश्वस्तरीय सुविधाएं
कैबिनेट ने यह भी तय किया है कि जेपीएनआईसी परियोजना के लिए शासन द्वारा अब तक अवमुक्त किए गए ₹821.74 करोड़ को एलडीए के पक्ष में स्थानांतरित ऋण माना जाएगा। एलडीए को इस राशि को अगले 30 वर्षों में चुकाना होगा। यह व्यवस्था परियोजना के संचालन और रखरखाव के वित्तीय बोझ को व्यवस्थित तरीके से प्रबंधित करने में मदद करेगी।
जेपीएनआईसी एक आधुनिक और विश्वस्तरीय केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसमें एक राज्य स्तरीय ऑडिटोरियम, कन्वेंशन सेंटर, विश्वस्तरीय स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और मल्टीपर्पज स्पोर्ट्स कोर्ट की सुविधा होगी। इसके अतिरिक्त, 750 चार पहिया वाहनों के लिए एक मल्टी-लेवल पार्किंग की व्यवस्था भी होगी। ये सभी सुविधाएं आम जनता के लिए खुली रहेंगी, जिससे लखनऊ के नागरिकों को एक बहुउद्देश्यीय केंद्र का लाभ मिल सके। इसका संचालन इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान की तर्ज पर किया जाएगा।
भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझती परियोजना को नया जीवन
जेपीएनआईसी परियोजना, जिसे सपा सरकार ने 2013 में शुरू किया था, अपनी स्थापना से ही भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी रही है। 2017 में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद परियोजना में अनियमितताओं की जांच शुरू हुई, जिसके चलते निर्माण कार्य रोक दिया गया था। कैग की रिपोर्ट में बिना टेंडर के काम कराने और लागत में अनावश्यक वृद्धि जैसे गंभीर आरोप सामने आए थे। ₹860 करोड़ से अधिक खर्च होने के बावजूद यह परियोजना अधूरी रही, जिसे अब योगी सरकार एलडीए के माध्यम से पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है।
निजी सहभागिता से आत्मनिर्भर संचालन
एलडीए को परियोजना को निजी सहभागिता के जरिए संचालित करने का अधिकार दिया गया है। इसके तहत, रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरईएफ) और लीज या रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल के माध्यम से निजी एजेंसियों को शामिल किया जाएगा। यह न केवल परियोजना के बचे हुए कार्यों को पूरा करेगा, बल्कि इसका रखरखाव और संचालन भी बिना अतिरिक्त सरकारी खर्च के सुनिश्चित होगा। यह मॉडल परियोजना को आत्मनिर्भर बनाने और जनता के लिए उपयोगी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
योगी सरकार का यह फैसला जेपीएनआईसी को जनता के लिए खोलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पिछले आठ वर्षों से बंद पड़े इस केंद्र को अब एलडीए के नेतृत्व में पुनर्जीवित किया जाएगा। यह केंद्र न केवल लखनऊ, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक, खेल और सम्मेलन केंद्र के रूप में उभरेगा। यह सरकार का एक सकारात्मक प्रयास है जो सपा सरकार के कथित भ्रष्टाचार से दागी इस परियोजना को नया जीवन देगा।