मधुबनी,नवसत्ताः बिहार जहां एक ओर ऑनलाइन मैट्रिमोनियल साइट्स का चलन बढ़ रहा है, वहीं बिहार के मधुबनी में एक ऐसी अनूठी परंपरा आज भी जीवित है जो 700 साल पुरानी है। यहां एक विशेष दूल्हा बाजार लगता है, जिसे सौरथ सभा के नाम से जाना जाता है, जहां लड़की वाले अपनी बेटी के लिए योग्य वर का चुनाव करते हैं।
योग्यता, परिवार और कुंडली दूल्हे के चयन का आधार
यह अनोखा बाजार हर साल जून-जुलाई के महीने में आयोजित होता है। यहां लड़की का परिवार लड़कों की योग्यता, परिवार, कमाई और कुंडली का गहन अध्ययन कर अपने दामाद का चयन करता है। यह एक तरह का पारंपरिक मंच है, जहां योग्य वर उपलब्ध होते हैं।
मैथिल ब्राह्मणों और कायस्थों से शुरू हुई परंपरा, अब सबके लिए खुली
यह परंपरा करीब 700 साल पुरानी बताई जाती है, जिसे मैथिल ब्राह्मणों और कायस्थों ने शुरू किया था। पहले इस बाजार में गुरुकुल से लड़कों को लाया जाता था, और लड़कियों के माता-पिता अपनी बेटियों के लिए दूल्हे चुनते थे। हालांकि, समय के साथ यह परंपरा सभी समुदायों के लिए खुल गई है। इस बाजार में, लड़की का परिवार लड़के के परिवार की पूरी जाँच-पड़ताल करने के बाद ही शादी तय करता है।
गोत्र का महत्व और अनूठी वैवाहिक रीतियां
इस बाजार में लड़के के स्कूल के सर्टिफिकेट से लेकर जाति प्रमाण पत्र तक सभी दस्तावेज देखे जाते हैं। हालांकि, सबसे ज्यादा अहमियत लड़की और लड़के के गोत्र के मिलान को दी जाती है। अगर गोत्र मिलते हैं, तो माता-पिता शादी के लिए तैयार हो जाते हैं।
यह दूल्हा बाजार भारत की विविध विवाह परंपराओं का एक और दिलचस्प उदाहरण है। जहां अधिकांश जगहों पर शादी के बाद दुल्हन दूल्हे के घर जाती है, वहीं मेघालय के खासी समुदाय में एक अनोखा रिवाज है। यहां दूल्हा अपना घर छोड़कर दुल्हन के घर रहता है, और लड़कियों को अपना जीवनसाथी चुनने का पूरा अधिकार होता है। इस समुदाय में, लड़कियों का माता-पिता की संपत्ति पर भी पहला हक होता है।
भारत की ये अनूठी परंपराएं आपको कैसी लगती हैं?