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भारत के मिसाइल हमलों को क्यों नहीं रोक पाया पाकिस्तान?

भारत की सरप्राइज़ स्ट्रैटेजी: उसका मूल मंत्र था — “पहले मारो, जल्दी मारो, सही जगह मारो” 

संवाददाता
नई दिल्ली,नवसत्ता।
भारत द्वारा हाल ही में पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर किए गए मिसाइल हमलों ने सिर्फ़ पाकिस्तान की सामरिक तैयारियों पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी दिखाया है कि भारत की नई सैन्य रणनीति कितनी तेज़, सटीक और निर्णायक हो चुकी है। सवाल यह उठता है — पाकिस्तान इन हमलों को क्यों नहीं रोक पाया?

1. सरप्राइज़ स्ट्रैटेजी: भारत की ‘प्रि-एम्पटिव’ नीति

भारत ने इन हमलों में जिस ‘सर्जिकल प्रिसिशन’ का प्रदर्शन किया, उसका मूल मंत्र था — “पहले मारो, जल्दी मारो, सही जगह मारो”। भारत ने मिशन की जानकारी बेहद सीमित लोगों तक रखी। लॉन्च से कुछ मिनट पहले ही मिसाइल प्लेटफॉर्म्स को सक्रिय किया गया। पाकिस्तान की रडार और निगरानी प्रणाली को चकमा देने के लिए बेहद कम समय के लिए मिसाइलें लॉन्च की गईं, जिससे जवाबी कार्रवाई की कोई गुंजाइश ही नहीं रही।

2. पाकिस्तान की वायु सुरक्षा प्रणाली की सीमाएँ

पाकिस्तान की एयर डिफेंस प्रणाली मुख्यतः Chinese HQ-9 और कुछ हद तक LY-80 मिसाइल सिस्टम पर निर्भर है। ये सिस्टम लो-एल्टीट्यूड क्रूज़ मिसाइलों और ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक मिसाइलों को इंटरसेप्ट करने में बेहद कमजोर साबित हुए। भारत ने ब्रह्मोस और कुछ स्वदेशी मिसाइलों का प्रयोग किया, जो पाकिस्तानी रडार से बचते हुए 500-600 किमी दूर के लक्ष्य पर चुपचाप सटीक वार कर सके।

3. इंटेलिजेंस विफलता और “इलेक्ट्रॉनिक ब्लाइंडनेस”

भारतीय हमलों से पहले पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियाँ कोई ठोस संकेत नहीं पकड़ सकीं। ISI और मिलिट्री इंटेलिजेंस दोनों भारत के इंटेंस साइबर-फॉरेंसिक शील्ड के सामने असहाय रहे। भारत ने एक ‘इलेक्ट्रॉनिक ब्लाइंड ज़ोन’ तैयार किया था — जहाँ मिसाइल लॉन्चिंग से पहले और बाद तक पाकिस्तानी निगरानी सिस्टम अंधा हो गया।

4. अंदरूनी राजनीतिक अस्थिरता

पाकिस्तान की आंतरिक राजनीतिक उथल-पुथल, कमजोर सिविल-मिलिट्री तालमेल और इमरजेंसी निर्णयों में देरी भी एक बड़ा कारण रही। मिसाइल हमले के बाद भी प्रधानमंत्री या सेना प्रमुख की कोई त्वरित प्रतिक्रिया नहीं आई — इससे यह स्पष्ट हुआ कि प्रशासन या तो तैयार नहीं था, या भ्रमित था।

5. भारत की टेक्टिकल बढ़त और सैटेलाइट इंटेलिजेंस

भारत ने RISAT-2BR1 और Cartosat-3 जैसे उन्नत सैटेलाइट्स की मदद से टारगेट को पहचान कर बेहद सटीक हमला किया। इसके अलावा, भारतीय वायुसेना और DRDO की संयुक्त रणनीति ने यह सुनिश्चित किया कि हर मिसाइल का इस्तेमाल एक रणनीतिक संदेश के साथ हो — सिर्फ़ आतंकी कैंप नहीं, बल्कि उनके समर्थन ढांचे भी नष्ट किए गए।


विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

एयर मार्शल (से.नि.) वी.के. कपूर के अनुसार,

“पाकिस्तान को आशंका थी कि भारत जवाब देगा, लेकिन उन्हें यह अंदाज़ा नहीं था कि यह इतना स्मार्ट और इतना तेज़ होगा। उनकी तैयारी पुराने मापदंडों पर आधारित थी, जबकि भारत ‘फ्यूचरिस्टिक वॉरफेयर’ पर काम कर रहा है।”

ISI के पूर्व निदेशक के अनुसार

“हमने ब्रह्मोस जैसी मिसाइलों को रोकने की योजना कभी नहीं बनाई थी, क्योंकि हमें लगा भारत कभी पहला वार नहीं करेगा। यह हमारी रणनीतिक भूल थी।”


भारत के मिसाइल हमले ने पाकिस्तान की रक्षा प्रणाली, खुफिया नेटवर्क और राजनीतिक नेतृत्व — तीनों की विफलता को उजागर कर दिया है। आने वाले दिनों में यह घटना दक्षिण एशिया में शक्ति-संतुलन और सैन्य रणनीतियों को गहराई से प्रभावित करेगी।

अब लखनऊ ने निकलेगी ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल

लखनऊ में 11 मई  को ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण यूनिट का उद्घाटन किया जाएगा, जो भारत की रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करेगा। यह यूनिट ₹300 करोड़ के निवेश से बनी है और उत्तर प्रदेश के डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का हिस्सा है। इस परियोजना के तहत 80 हेक्टेयर भूमि राज्य सरकार द्वारा निःशुल्क प्रदान की गई थी, और इसे मात्र 3.5 वर्षों में निर्माण से उत्पादन की अवस्था तक लाया गया है।

मुख्य विशेषताएं:

  • उत्पादन क्षमता: यह यूनिट प्रति वर्ष 80 से 100 ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्माण करेगी।

  • रोजगार सृजन: इस परियोजना से लगभग 500 इंजीनियरों और तकनीशियनों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा, साथ ही हजारों कुशल, अर्ध-कुशल और सामान्य श्रमिकों को अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।

  • रणनीतिक महत्व: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनज़र, यह यूनिट भारत की सामरिक क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

  • डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर: यह परियोजना उत्तर प्रदेश के डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का हिस्सा है, जो राज्य को रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

ब्रह्मोस मिसाइल:

ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस के संयुक्त उपक्रम ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा विकसित की गई है। यह दुनिया की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों में से एक है, जिसकी गति लगभग Mach 2.8 है और यह 800 किमी तक की दूरी तय कर सकती है।

इस यूनिट का उद्घाटन उत्तर प्रदेश को रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में एक नई पहचान देगा और भारत की आत्मनिर्भरता को और सशक्त करेगा।

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