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राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद वक्फ संशोधन विधेयक बना कानून

 लागू होने की तारीख केंद्र तय करेगा, सुप्रीम कोर्ट में 6 याचिकाएं दाखिल

संवाददाता
नई दिल्ली,नवसत्ताः
वक्फ (संशोधन) विधेयक अब कानून बन चुका है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार देर रात इस विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी, जिसके बाद केंद्र सरकार ने इसका गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया। हालांकि, इस कानून को कब लागू किया जाएगा, इसकी तारीख केंद्र सरकार अलग से नोटिफिकेशन के जरिए घोषित करेगी।

यह विधेयक 2 अप्रैल को लोकसभा और 3 अप्रैल को राज्यसभा से पारित हुआ था। दोनों सदनों में इस पर करीब 12-12 घंटे तक बहस हुई थी।

कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में छह याचिकाएं

वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ अब तक सुप्रीम कोर्ट में छह याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं। ताजा याचिका केरल के मुस्लिम संगठन केरल जमीयतुल उलेमा की ओर से दायर की गई है। इससे पहले AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, AAP विधायक अमानतुल्लाह खान, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की ओर से याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं।

सरकार की मंशा: पारदर्शिता और जवाबदेही

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि नए कानून का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों में भ्रष्टाचार, पक्षपात और अतिक्रमण को रोकना है। उन्होंने बताया कि राज्यसभा में विधेयक को 128 सदस्यों का समर्थन और 95 का विरोध मिला, जबकि लोकसभा में इसे 288-232 के मतों से पारित किया गया।

AIMPLB का ऐलान – देशव्यापी विरोध

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने शनिवार शाम इस कानून के विरोध में दो पन्नों का बयान जारी किया। AIMPLB ने कहा कि वह देशभर के धार्मिक, सामाजिक और समुदाय-आधारित संगठनों के साथ मिलकर एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करेगा।

AIMPLB के बयान की मुख्य बातें:

“वक्फ संशोधन कानून इस्लामी मूल्यों, शरीयत, धार्मिक स्वतंत्रता, सांप्रदायिक सद्भाव और संविधान के बुनियादी ढांचे पर सीधा हमला है। कुछ तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों ने भाजपा के सांप्रदायिक एजेंडे का साथ देकर अपनी असलियत उजागर कर दी है।”

विपक्ष के तीखे बयान

  • राहुल गांधी: “वक्फ कानून मुसलमानों पर हमला करता है और यह भविष्य में अन्य समुदायों पर इसी तरह के हमले की नींव रखता है। RSS अब कैथोलिक चर्च की जमीन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। केवल संविधान ही अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की अंतिम ढाल है।”

  • मल्लिकार्जुन खड़गे (कांग्रेस अध्यक्ष): “सरकार का इरादा ठीक नहीं है। यह नहीं बताया गया कि वक्फ की ज़मीन किसे दी जाएगी। कहीं यह कॉर्पोरेट्स को तो नहीं दी जा रही? गृहमंत्री इसे प्रतिष्ठा का सवाल न बनाएं और कानून को वापस लें।”

  • महबूबा मुफ्ती (PDP प्रमुख): “यह अल्पसंख्यकों की संपत्ति पर डाका डालने जैसा है। इसे जिस तरह से पास किया गया, वह बेहद गलत है।”

  • आगा सैयद रूहुल्लाह (NC सांसद): “भाजपा को मुसलमानों की बात करने का कोई नैतिक या राजनीतिक अधिकार नहीं है। यह कानून साबित करता है कि भारत अब क्रूर बहुसंख्यकवाद की ओर बढ़ रहा है।”

जमीन पर विरोध तेज

कानून के खिलाफ शुक्रवार को देश के कई हिस्सों में मुस्लिम समुदाय द्वारा विरोध प्रदर्शन हुए। वहीं AIMPLB ने 11 अप्रैल से आंदोलन शुरू करने की घोषणा की है।


यह कानून अब अधिकारिक रूप से अस्तित्व में आ चुका है, लेकिन इस पर देशभर में विरोध, कानूनी चुनौती और राजनीतिक बहसें जारी हैं। केंद्र सरकार इसे सुधारात्मक कदम बता रही है, वहीं विपक्ष और मुस्लिम संगठन इसे संवैधानिक अधिकारों पर हमला करार दे रहे हैं।

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