लखनऊ,नवसत्ताः इलाहाबाद हाईकोर्ट में मंगलवार, 25 मार्च 2025 से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की गई है। यह हड़ताल सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजे जाने के फैसले के विरोध में की जा रही है।
मामले की पृष्ठभूमि
- सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 24 मार्च को जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर करने की सिफारिश की।
- यह फैसला दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस वर्मा के आवास से बड़ी मात्रा में नकदी मिलने के विवाद के बाद लिया गया।
- 14 मार्च को जस्टिस वर्मा के आवास पर आग लगने के बाद अग्निशमन विभाग को बुलाया गया था, जहां एक कमरे से करोड़ों रुपये की नकदी बरामद हुई थी।
वकीलों की हड़ताल का कारण
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने जस्टिस वर्मा के तबादले को “अनुचित” बताते हुए हड़ताल का फैसला किया है। वकीलों का कहना है कि यह फैसला न्यायिक स्वतंत्रता के सिद्धांतों के खिलाफ है और इससे न्यायपालिका की छवि धूमिल होगी।
सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट की कार्रवाई
- सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ आंतरिक जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति गठित की है।
- दिल्ली हाईकोर्ट ने जस्टिस वर्मा से न्यायिक कार्य वापस ले लिया है और उनके कोर्ट में सूचीबद्ध मामलों की सुनवाई स्थगित कर दी गई है।
हड़ताल का प्रभाव
- 25 मार्च से इलाहाबाद हाईकोर्ट में सभी नियमित सुनवाई और कार्यवाही ठप्प रहेगी।
- हजारों मामलों की सुनवाई प्रभावित होगी, जिससे लंबित मुकदमों में और देरी हो सकती है।
आगे की कार्रवाई
वकील संगठनों ने सरकार और सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि जस्टिस वर्मा के तबादले के फैसले पर पुनर्विचार किया जाए और न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए। अब यह देखना होगा कि कॉलेजियम और केंद्र सरकार इस मामले में क्या रुख अपनाती है।
इस घटना ने एक बार फिर न्यायपालिका में जवाबदेही और पारदर्शिता की बहस को तेज कर दिया है।