Navsatta
खास खबरचर्चा मेंमुख्य समाचार

सुप्रीम कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ जांच पर लगाई रोक

नई दिल्ली, नवसत्ताः देश की सबसे बड़ी अदालत ने आज ईशा फाउंडेशन के खिलाफ पुलिस जांच के आदेश पर रोक लगा दी है। गुरूवार को ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरू जग्गी वासुदेव के संस्थान को सुप्रीम कोर्ट से बहुत बड़ी राहत मिली है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से केस खुद को ट्रांसफर कर लिया है। तमिलनाडु पुलिस अब सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करेगी। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अगली 18 अक्टूबर को करेगा। फाउंडेशन के खिलाफ रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। आरोप था कि आश्रम में उनकी बेटियों लता और गीता को बंधक बनाकर रखा गया है।

आपको बता दें कि एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने हेबियस काॅर्पस पिटीशन में आरोप लगाया था कि उनकी बेटियों को ईशा फाउंडेशन के आश्रम में बंधक बनाकर रखा गया है और इसके बाद मद्रास हाईकोर्ट ने आश्रम के खिलाफ जांच का आदेश दे दिया था। उन्होंने कहा कि दोनों लड़कियां 2009 में आश्रम में आई थीं। उस वक्त उनकी उम्र 24 और 27 साल थी। वे अपनी मर्जी से वहां रह रही हैं। उन्होंने बताया कि कल रात से आश्रम में मौजूद पुलिस अब चली गई है। याचिकाकर्ता का आरोप- बेटियों को बंधक बनाया, ब्रेनवॉश किया।

सुनवाई में हाईकोर्ट ने कहा था- अपनी बेटियों की शादी करने वाला दूसरों को संन्यासी बना रहा मद्रास हाईकोर्ट ने 30 अक्टूबर को कहा था, जब आपने अपनी बेटी की शादी कर दी है, तो दूसरों की बेटियों को सिर मुंडवाने और सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यासियों की तरह रहने के लिए क्यों प्रोत्साहित कर रहे हैं। याचिकाकर्ता प्रोफेसर एस कामराज के वकील ने कहा है कि ईशा फाउंडेशन के खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं और पेंडिग हैं। आरोपों की सच्चाई को समझने की आवश्यकता है। इसलिए पुलिस सभी मामलों की जानकारी दे।

संबंधित पोस्ट

रामदेव को सजा मिलना तय,सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया माफीनामा

navsatta

चौधरी भूपेंद्र सिंह ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर प्रदेश अध्यक्ष का कार्यभार संभाला

navsatta

शार्ट सर्किट से लगी आग, लाखों का इलेक्ट्रॉनिक सामान जलकर राख

navsatta

Leave a Comment