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मुंबई की कठिनाइयों ने मुझे ‘दयाशंकर की डायरी’ में अभिनय के लिए तैयार किया : आशीष विद्यार्थी

मुंबई, नवसत्ता :– अभिनेता चर्चा करते हैं कि कैसे ज़ी थिएटर का यह टेलीप्ले महानगर में आकांक्षा और वास्तविकता के बीच के टकराव को दर्शाता ह राष्ट्रीय पुरस्कार और फिल्मफेयर विजेता आशीष विद्यार्थी ने मंच, टेलीविजन और विभिन्न भाषाओं के सिनेमा में विभिन्न भूमिकाएँ निभाई हैं। एक बहुमुखी व्यक्तित्व के साथ-साथ वे एक ट्रैवल और फ़ूड ब्लॉगर एवं प्रेरक वक्ता भी हैं और हाल ही में उन्होंने स्टैंड-अप कॉमेडी में भी प्रवेश किया है। कला और संस्कृति से जुड़े परिवार से आने वाले आशीष ने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में दाखिला लिया और विभिन्न प्रारूपों में बेहतरीन प्रदर्शन किया। ‘दयाशंकर की डायरी’ नामक ज़ी थिएटर टेलीप्ले उनके दिल के बहुत करीब है और वे कहते हैं कि इस किरदार को निभाने वक़्त उन्हें मुंबई में संघर्ष के अपने शुरुआती दिनों की याद आ गई।

आशीष के विपरीत, दयाशंकर अपनी अभिनय महत्वाकांक्षाओं को पूरा नहीं कर पाए और असफलता की तीव्र भावना से खुद को बचाने के लिए सुखद भ्रमों का जाल बुनने लगे। आशीष बताते हैं, “दयाशंकर एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो एक छोटे से शहर से मुंबई आता है और जल्द ही उसके सपने और आकांक्षाएँ वास्तविकता से टकराती हैं। फिर वह एक ऐसी अवास्तविक दुनिया बनाता है जहाँ उसकी साधारण सी दुनिया महानगर की जटिलता से टकराती है।

वह इस भूमिका से गहराई से जुड़े क्योंकि जब वह पहली बार दिल्ली से मुंबई आये तो उन्हें भी एक सांस्कृतिक झटका लगा था। जैसा कि वह कहते है, “दिल्ली और मुंबई दोनों महानगरीय शहर हैं, लेकिन मुंबई को ‘सपनों के शहर’ के रूप में जाना जाता है। मुंबई में बसने के मेरे फैसले ने मेरे जीवन को बदल दिया । दिल्ली में, मेरे पास मेरा अपना घर, मेरे माता-पिता और एक आरामदायक निजी दुनिया थी । मुंबई मेरे लिए अपरिचित था, और कभी-कभी डरावना भी। जब आप अकेला और चिंतित महसूस करते हैं, तब आपको अपना रास्ता खुद बनाना चाहिए और अपनी महत्वाकांक्षाओं को खुद ही पूरा करना चाहिए। ‘दयाशंकर की डायरी’ की तैयारी के दौरान यह सारी मुश्किलें और प्रतिकूलता काम आई।

दो दशकों से अधिक समय तक नादिरा बब्बर निर्देशित इस प्रशंसित नाटक में अभिनय करने वाले आशीष का कहना है कि वह और दयाशंकर समय के साथ विकसित होते चले गए हैं। “नाटक कई वर्षों की यात्रा के दौरान विकसित होता चला गया है और मैं भी एक अभिनेता और एक इंसान के रूप में विकसित हुआ हूँ। दयाशंकर और मेरे पास कई ऐसे अनुभव हैं जो विस्तृत होते चले गए हैं और अब हमारे पास जो है वह एक समृद्ध और बहुआयामी नाटक है, न कि केवल वह कथा जो हमने 22 साल पहले शुरू की थी,” वे कहते हैं।

टेलीप्ले के प्रारूप पर चर्चा करते हुए, आशीष कहते हैं, “मैं टेलीप्ले को एक बेहतरीन माध्यम मानता हूँ जहाँ हम लोगों को नाटकों और नाटकीय दुनिया से परिचित करा सकते हैं। नाटकों के दर्शकों में कमी आई है और टेलीप्ले लोगों को एक अलग तरह की कहानी कहने और सुनने के अनुभव से परिचित करते हैं। मुझे लगता है कि यह माध्यम कलाकारों के लिए जनता तक पहुँचने का एक सुंदर तरीका है और दर्शकों और थिएटर दोनों के लिए सुखद है। सुमन मुखोपाध्याय द्वारा फिल्माया गया और नादिरा बब्बर द्वारा मंच के लिए निर्देशित नाटक ‘दयाशंकर की डायरी’ 10 जुलाई को एयरटेल थिएटर, डिश टीवी रंगमंच एक्टिव और डी2एच रंगमंच एक्टिव पर देखा जा सकता है।

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