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दो जून तक रहेगा नवतपा का प्रकोप

सावधानी ही हीट स्ट्रोक से बचने का सबसे बड़ा हथियार

रमाकांत बरनवाल 

सुलतानपुर, नवसत्ता :- 25 मई से शुरू हो 2 जून तक नवतपा का प्रकोप रहता है और नवतपा के बढ़ते तापमान से मानव प्रजाति को खतरा तो बढ़ ही रहा है पशु पक्षियों के लिए भी आफत आ पड़ा है।नौ दिनों तक धरती पर भीषण गर्मी होती है शास्त्रों के अनुसार जब ज्येष्ठ मास में सूर्य रोहणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं तो गर्मी बढ़ती ही बढ़ती है इस दौरान सूर्य की पूजा व दान भीषण गर्मी को शांत करता है। उन्होंने कहा कि आवश्यकता है तो स्वयं को स्वयं से बचाने का और यदि कुछ सावधानियों पर ध्यान दिया जाए तो हम अपनी जान बचा सकते हैं तथा अपने कुछ प्रयासों से पशु पक्षियों को भी सुरक्षित रखा जा सकता है।

उक्त तात्कालिक परिस्थितियों पर सुलतानपुर के स्वामी शिवकुमार तिवारी नें *नवसत्ता* से   अपने विचार साझा किए जिन्होंने बताया कि मई  के शुरुआती दिनों से ही भीषण गर्मी के बीच महीने के अन्त तक पारा 45 से 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया है। जब वायुमंडल का तापमान 45 से 47 या इसके उपर पहुंचता है, तो शरीर की जो स्वाभाविक प्रक्रिया है वह नियन्त्रण से बाहर हो जाती है व शरीर की आर्द्रता का धीरे- धीरे ‌ह्रास होने लगता है व बताया कि ज्यादा बढते तापमान व बढती गर्मी से शरीर में होने वाली समस्याओं पर और बल मिलता है, जिससे बाहर काम करने वालों के लिए कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।उक्त के अतिरिक्त उन्होंने बताया कि ब्यक्ति यदि शुगर, उच्च रक्तचाप तथा दिमागी तौर पर अस्थिर है, तो उसको खान -पान के साथ घर पर सुरक्षित रहकर गर्मी के थपेड़ों से बचकर अपने को सुरक्षित रख सकता है।

प्रचंड गर्मी के मौसम में शरीर में पानी की कमी हो जाती है। पानी की कमी को दूर करने के लिए प्रतिदिन कमसे कम 5 से 6 लीटर पानी अवश्य पीना चाहिए जिससे शरीर में तरलता बनी रहे। लुब्रीकेन्ट भोजन हरी सब्जियों, तरबूज, खीरा, ककड़ी तरबूज, दही मट्ठा का प्रयोग कर अपने शरीर को तरल बनाऐ रख सकते हैं जिससे रक्त शर्करा में उतार-चढाव की समस्या से बच सकते हैं।महीने के अन्त या जून के शुरूआती दिनों में गर्मी और बढते तापमान के साथ लू का चलना अपने चरम पर होता है। बाहर निकल कर काम करने वाले व्यक्तियों को लू लगने के मौके ज्यादा होते हैं। लू और बढते तापमान से डीहाइर्डेशन, चक्कर आना, बुखार, बार -बार मुंह सूखना आदि समस्याओं का प्रबल होना स्वाभाविक है। असहनीय गर्मी में बच्चों‌ बुजुर्गों, बीमार ब्यक्तियों मोटापे से पीड़ित, सांस के बीमारी से पीड़ित लोगों को बिशेष सावधानियां बरतनी चाहिए। इन बीमार ब्यक्तियों को बढते तापमान से लू लगने की सम्भावनाये बढ जाती है। उच्च रक्तचाप, मधुमेह के मरीज को लू और हाई डिग्री सेल्सियस तापमान से हीट स्ट्रोक्स की सम्भावनायें बढ़ जाती हैं। उन्होंने इस समय बढ़ती गर्मी को लेकर सरकारों द्वारा जारी दिशा निर्देश पर भी ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया व बताया कि सावधानी ही सुरक्षा का सबसे बड़ा हथियार व इलाज है और किसी भी आकस्मिक परिस्थितियों में कुशल चिकित्सक से सलाह लेना आवश्यक है।

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