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एक के बाद एक इंजीनियरों की चिट्ठी से खुलने लगी हैं जल जीवन मिशन की काली करतूतें

एक्सईएन की लिमिट 40 लाख की तो कैसे करे करोड़ों के अनुबंध
अनुबंध के लिए दबाव बना रही हैदराबाद की गायत्री रैम के प्रा0 लि0
पेयजल मिशन ने नहीं बनाई कोई गाइडलाइन
जल निगम के इंजीनियर हो रहे हलकान

संजय श्रीवास्तव
लखनऊ,नवसत्ता:पहले निर्दोष जौहरी उसके बाद आकाश जैन और अब आया है एक्सईएन ए के श्रीवास्तव का लेटर। एसई को भेजे पत्र में ए के श्रीवास्तव ने बिना किसी ऊपर के आदेश के लिमिट से ज्यादा के करार पर निर्देश चाहा है।
वैसे तो ये बड़ी सामान्य और छोटी सी बात मालूम होती है लेकिन जल जीवन मिशन पर लगातार लगने वाले आरोपों को देखा जाए तो इस चिट्ठी के भी बड़े मायने हैं और जो मिशन के कामकाज के गैरकानूनी तौर तरीकों को सवालों के घेरे में खड़ा करता है।

फतेहपुर के एक्सईएन श्रीवास्तव ने प्रयागराज मंडर के एसई यानि अधीक्षण अभियंता को लिखित पत्र भेजकर लिखित निर्देश की अपेक्षा जताई है कि जो काम ग्रामीण पेयजल मिशन के लिए कराए जा रहे हैं उनके लिए कंपनियां जो करार करना चाहती हैं उसमें जिला स्तर की कमेटी और खासतौर पर एक्सईएन को मात्र 40 लाख तक के कामों के करार बनाने की अनुमति है।
उसके ऊपर 1 करोड़ तक के काम का करार अधीक्षण अभियंता यानि एसई को है और उसके ऊपर 5 करोड़ तक का करार करने का अधिकार मुख्य अभियंता को है।

श्रीवास्तव ने पत्र में साफ किया है कि जब उनकी लिमिट महज 40 लाख तक की ही है तो जो कंपनियां करोड़ों के काम का करार जिला स्तर पर उनसे कराना चाहती हैं वो कैसे संभव होगा। और यदि कंपनियों के दबाव में 40 लाख से ऊपर के करार कर भी लिए गए तो आगे चलकर ये निष्क्रिय ना मान लिए जाएं, जिसके लिए कौन जिम्मेदार होगा।

श्रीवास्तव ने अपनी लिमिट के साथ ही उच्चस्थ अधिकारियों की लिमिट का हवाला देकर ये बताने की कोशिश की है कि मैसर्स गायत्री रैम के प्राइवेट लिमिटेड जो फतेहपुर में ग्रामीण पेयजल योजना का काम करने जा रही है वो चाहती है कि 1 करोड़ से ऊपर के एस्टीमेट का करार भी एक्सईएन के हाथों ही हो जाए जो कि नियमों के मुताबिक कतई संभव नहीं है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इंजीनियरों की इन चिट्ठियों से विभाग में हड़कंप मचा हुआ है और संयुक्त प्रबंध निदेशक जल निगम की तरफ से कामों को लेकर एक्सईएन और कंपनियों के बीच बगैर किसी लिमिट के करार कराने के आदेश दिए जा सकते हैं।

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