Navsatta
Doctor's Day Specialखास खबर

डॉक्टर्स डे विशेष:जानिए अपने डॉक्टर के अनसुने किस्से,मिलिए जयसिंहपुर सीएचसी के मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर गिरीश चंद्र से

मनोज कुमार श्रीवास्तव

अचानक तकरीबन 2 बजे रात में वही युवक जो ऑटो में थे कई जूनियर और सीनियर साथियों के साथ ढूंढते ढूंढते मेरे कमरे तक पहुंच गए।बिना कुछ पूछे उन्होंने और कई अन्य सीनियर ने जम कर पीटा।इतने से भी दिल नहीं भरा तो हमें मुर्गा बना दिया।मेडिकल कालेज में रैगिंग के किस्से सुने थे और उस दिन खुद मेरे साथ हो रहा था।लेकिन उस घटना को हम लोगों ने सकारात्मक लिया और तब ही असल में मेडिकल की पढ़ाई के दौरान डिसिप्लिन का सही ज्ञान हुआ।वह हमारे सीनियर डॉक्टर तारिक अली थे जो आज कोलकाता में मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट हैं…..

सुल्तानपुर,नवसत्ता: डॉक्टर्स डे से पहले हमारी इस विशेष सीरीज़ में आइये आपको मिलवाते हैं डॉक्टर गिरीश चंद्र से।सुल्तानपुर में जयसिंहपुर सीएचसी के मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर गिरीश अपने अनसुने किस्से सुनाते हुए बताते हैं,मेरा जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था।मेरे माता पिता,मै और मेरे दो छोटे भाइयों के साथ,किराए के दो रूम में रहते थे।मेरे पिताजी सिलाई का काम करते थे।इसी पेशे से होने वाली मामूली आमदनी के ज़रिए पिताजी मुझे पढ़ाने की कोशिश कर रहे थे। मैं मध्यम क्लास का स्टूडेंट था।मैंने हाईस्कूल प्रथम श्रेणी और इंटरमीडिएट द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण किया।दरअसल मेरी गरीबी ने ही मुझे डॉक्टर बनने पर मजबूर किया।मैं डॉक्टर बनकर समाज की सेवा के साथ माता पिता की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिये संकल्पित हो गया। पढ़ाई के घंटे बढ़ा दिए।हालांकि मेरी ग़रीबी ज़िन्दगी के हर मोड़ पर मुझे चेतावनी दे रही थी।कई बार मन में विचार आता,मेडिकल जैसी महँगी पढ़ाई बिना पैसों के न हो पाएगी।परिवार की आर्थिक स्थिति और ज़बरदस्त महंगाई के चलते डॉक्टर बनना मेरे लिए एक सपना जैसा ही था। बावजूद इसके गरीबी से लड़ते रहे और अंततः मेरा चयन एमबीबीएस के लिए हो गया। मुझे गोरखपुर का बीआरडी मेडिकल कॉलेज मिला। 2008 में मेरा प्रवेश हुआ और 2013 में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी हुई।इस प्रोफेशन में आने का सारा श्रेय मैं अपने मम्मी पापा और अपने सभी शुभचिंतकों को देता हूँ।
पढ़ाई के दौरान का एक दिलचस्प किस्सा शेयर करते हुए डाक्टर गिरीश बताते हैं,एमबीबीएस का पहला साल था।अपने एक सहपाठी के साथ बाज़ार से हॉस्टल लौट रहा था।जिस ऑटो पर मैं और मेरा सहपाठी था उसी पर एक और युवक भी सवार हुए।युवक ने जाने क्या सोंच कर हमसे हमारा नाम पूछा।मेरे साथी ने कहा,पहले तुम अपना नाम बताओ।आखिरकार न उन्होंने अपना नाम बताया और टशन में न हम लोगों ने ही अपना नाम बताया।हॉस्टल गेट पर वह भी हम लोगों के साथ उतरे। हम थोड़ा आशंकित हुए।उन्होंने ऑटो वाले को अपने समेत हम लोगों का किराया दिया।जाते-जाते उन्होंने एक बार फिर पूछा,तुम लोग किस इयर के हो।अब तक हम लोग समझ चुके थे कि कुछ गड़बड़ है।लेहाज़ा दोनो ने एक साथ ही जल्दी से बताया फर्स्ट इयर।उन्होंने बिना चेहरे पर कोई भाव लाये इतना कहा,मैं फाइनल इयर में हूँ।इतना कह कर वह अपने रूम की ओर बढ़ गए।हम लोग भी अपने रूम में चले गए। काफी देर तक कुछ नहीं हुआ तो आशंका के बादल छंट गए। हम लोग इत्मीनान में हो गए।अचानक तकरीबन 2 बजे रात में वही युवक जो ऑटो में थे कई जूनियर और सीनियर साथियों के साथ ढूंढते ढूंढते मेरे कमरे तक पहुंच गए।बिना कुछ पूछे उन्होंने और कई अन्य सीनियर ने जम कर पीटा।इतने से भी दिल नहीं भरा तो हमें मुर्गा बना दिया।मेडिकल कालेज में रैगिंग के किस्से सुने थे और उस दिन खुद मेरे साथ हो रहा था।लेकिन उस घटना को हम लोगों ने सकारात्मक लिया और तब ही असल में मेडिकल की पढ़ाई के दौरान डिसिप्लिन का सही ज्ञान हुआ।वह हमारे सीनियर डॉक्टर तारिक अली थे जो आज कोलकाता में मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट हैं।
अपनी प्रोफेशनल लाइफ के किस्से शेयर करते हुए डॉक्टर गिरीश ने बताया,मेडिकल की पढ़ाई पूरी कर प्रोफेशन में आया तो एक साल दिल्ली गवर्नमेंट हॉस्पिटल में काम किया। उसके बाद मैंने टांडा मेडिकल कॉलेज अंबेडकर नगर के मेडिसिन विभाग में दो साल अनवरत काम किया।वहीं से मेरा चयन चिकित्सा अधिकारी के पद पर जनपद सुल्तानपुर के सीएचसी कूरेभार में हो गया।मेडिकल कॉलेज की खूबसूरत दुनिया से बाहर,सीएचसी कूरेभार में मैं काफी परेशान होने लगा।मैंने मन ही मन नौकरी छोड़ देने का निश्चय भी कर लिया था। हालांकि उस दौरान वहां ही बने मेरे एक मित्र ने मुझे ऐसा ऐसा समझाया कि नौकरी छोड़ने का विचार त्याग दिया।चिकित्सा अधिकारी के पद पर रहते हुए समाज के लिए जो भी मैं कर पा रहा हूँ उससे अत्यंत आत्म संतुष्टि है।समाज को एक अच्छी चिकित्सा सुविधा देना ही मेरी आत्म संतुष्टि है।इसको मैं जीवन पर्यंत इमानदारी और मेहनत से करता रहूंगा।
अंत में भावी पीढ़ी को संदेश देते हुए डॉक्टर गिरीश कहते हैं,मैं संघर्ष कर रहे लोगों से केवल इतना कहना चाहता हूँ,यदि सोच खूबसूरत हो और नियत अच्छी हो तो हर मुकाम हासिल किया जा सकता है।

संबंधित पोस्ट

2 अक्टूबर को योगी सरकार देगी ‘स्वच्छता ही सेवा’ अवार्ड

navsatta

कटरा बाजार सीएचसी में जन्म प्रमाण पत्र के नाम पर हो रही अवैध वसूली

navsatta

इनकम टैक्स के रडार पर यूपी के घूसखोर अफसर, एक साथ 22 ठिकानों पर छापेमारी

navsatta

Leave a Comment