सैय्यद हुसैन अख्तर
वाराणसी,नवसत्ता:लावारिस,बेसहारा या फिर विक्षिप्त और यहां तक कि कोरोना मरीज के वारिस काशी के वर्तमान कबीर हैं।कोरोना काल में जब पॉज़िटिव मरीज की मौत पर अपने भी साथ छोड़ दे रहे हैं तब यही काशी के कबीर उनका अंतिम संस्कार करते हैं। यह काशी के पानी का ही असर होगा जो हर ज़माने में यहां कबीर जनम लेते हैं।आज जिन कबीर का हम ज़िक्र कर रहे हैं उनका नाम अमन कबीर है।पुश्तैनी घर दारानगर है,वर्तमान में कुनिया इलाके के बाशिंदे हैं। पिता का साया सिर से उठ चुका है।एक छोटा भाई अंकित यादव,बहन और मां के साथ इसी कुनिया इलाके में रहते हैं।घर में दो ई रिक्शा हैं जिनमें से एक छोटा भाई अंकित खुद चलाता है और दूसरा किराए पर उठाकर घर की जीविका चलती है।

अमन कबीर के फ़ोन की घंटी बजी और वह घर से निकल गए।कब लौटेंगे पता नहीं।अमन कबीर की उम्र 26 साल है और 14 साल की उम्र से अब तक उन्हें याद नहीं कि कितने बेसहारा,लावारिस और विक्षिप्त लोगों का इलाज कराया और कितनी लावारिस लाशों का इन्होंने अंतिम संस्कार किया।कहते हैं इलाज के लिए कितनों को अस्पताल ले गए यह संख्या बता पाना मुश्किल है लेकिन अंतिम संस्कार तकरीबन डेढ़ सौ लोगों का किया है।अमन कबीर कहते हैं इन लोगों में हर धर्म के शामिल रहे हैं और अंतिम संस्कार उनके मज़हब के मुताबिक ही कराया।मुसलमान ईसाई या हिन्दू,अमन के लिए मायने नहीं रखता।कई साल पहले अमन यादव से अमन कबीर बनने की कहानी भी इसी में छिपी है।

काशी के किसी समाजसेवी ने कहा अमन तुम अब जाति बंधन से ऊपर हो चुके हो। यह कबीर की धरती है इसलिए तुम अब अमन यादव नहीं अमन कबीर हो।वह दिन और आज,अमन कबीर ही उनकी पहचान है।कोरोना काल में अब तक दर्जनों मरीज अस्पताल में भर्ती कराने के साथ ही तीन कोरोना पॉज़िटिव का अंतिम संस्कार भी अमन ने हाल ही में किया है।आखिरी वाला अंतिम संस्कार उन बुजुर्ग का किया जिनकी बेटी और पत्नी मुम्बई में हैं।कोरोना से मौत हुई तो खुद मां बेटी लाख कोशिशों के बाद भी पहुंच न सकीं।किसी से अमन कबीर का नंबर हासिल हुआ और मदद मांगी।अमन कबीर बिना देर किए अपने एक नौजवान साथी के साथ घर पहुंचे।हज़ार हज़ार रुपए में दो कांधा देने वाले को लिया और पूरे विधान के साथ अंतिम संस्कार किया।

अमन कबीर बताते हैं कि सेवा भाव उनमें बचपन से था।स्कूल के दिनों में पढ़ाई से ज़्यादा बेसहारा लोगों की मदद में दिल लगता था जिसके चलते पिता की डांट और मार भी खूब खाई।मार्ग दुर्घटना में घायलों को जब लोग नज़रंदाज़ कर देते हैं तब अमन कबीर उन्हें उठाकर अस्पताल ले जाने में देर नहीं करते।
अमन कबीर के कार्यों की सराहना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी की है।अमन बताते है कि महाराज ने पूछा था,क्या मदद चाहते हो,मैंने कहा महाराज जी बस आपका आशीर्वाद चाहिए।
वाराणसी में लंबे समय तक ईटीवी के ब्यूरो चीफ रहे वरिष्ठ पत्रकार शरद दीक्षित बताते हैं कि अमन कबीर काशी में ज़ात मज़हब से ऊपर उठकर हर वक़्त बेसहारा लोगों की मदद के लिए तैयार रहते हैं।वह कहते हैं इस कोरोना काल मे अमन कबीर रीयल हीरो की तरह सामने आये हैं।
अमन कबीर अपने इस कार्य का कोई चार्ज नहीं लेते।हां एक रुपये की मुहिम ज़रूर चलाते हैं।कोई मदद करना ही चाहे तो उनके इस कार्य में सहयोग के लिए एक रुपये की मदद कर सकता है।इस एक एक रुपये की सहयोग राशि से ही अमन कबीर काशी में किसी भी बेसहारा का सहारा बन कर सामने आते हैं।