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क्षेत्रीय

बढ़ते प्रदूषण के कारण गोकना घाट पर विद्युत शवदाह गृह बनवाने की मांग

राकेश कुमार

 

ऊंचाहार, रायबरेली, नवसत्ता : क्षेत्र के ऐतिहासिक गंगा घाट गोकना का यहां अलग ही महत्व है। मान्यता है कि गोकर्ण ऋषि की तपस्थली गोकना घाट पर स्नान से लोगों के सभी पाप धुल जाते हैं और तर्पण से पितरों को मोक्ष मिलता है। इसी से स्नान के साथ क्षेत्र के अलावा दूर दूर के लोग यहां अपने स्वजनों का अंतिम संस्कार भी करते हैं। कई गरीब परिवार शवदाह की बजाय शव को गंगा में दफन भी करते हैं। जिससे मोक्ष दायिनी मां गंगा प्रदूषित हो रही है। इसको लेकर अरसे से गोकना में विद्युत शव दाह गृह की मांग अरसे से हो रही है। सरकार भी गंगा की साफ सफाई में करोड़ों रुपए व्यय कर रही है। इसके बावजूद गंगा निर्मल की बजाय मैली हो रही है।

मां गंगा गोकर्ण जनकल्याण सेवा समिति ने एनजीटी अधिनियम 2010 के अंतर्गत पर्यावरण संरक्षण के लिए गोकना घाट पर विद्युत शवदाह गृह शीघ्र बनवाने की मांग की है। क्योंकि गंगा में सामान्य दिनों में रोजाना 10-12 शवों का अंतिम संस्कार अकेले गोकना घाट पर किए जाते हैं। कभी कभार संख्या बढ़ जाती है। पिछले दिनों से गोकना घाट पर दाह संस्कार के अलावा सैकड़ों लाशों को गंगा में दफन करने के मामले सामने आ चुके हैं। जिससे गंगा के प्रदूषित होने के साथ क्षेत्र का वातावरण भी प्रदूषित हुआ। गोकना घाट पर विद्युत शवदाह गृह बनने से लावारिस लाशों की भी अंतिम संस्कार में आसानी हो जाएगी क्योंकि लकड़ी की समस्या भी बढ़ रही है। लकड़ी से शव दाह संस्कार महंगा होने से निर्धन परिवार स्वजनों को शव दफनाने को मजबूर होते हैं। लोगों का मानना है कि मुख्य घाटों पर अगर विद्युत शवदाह गृह होता तो गंगा में लाशें तैरती ना दिखती।

कोरोना महामारी के दरम्यान संक्रमित शवों का दाह संस्कार आसानी से हो जाता। स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से ऊंचाहार के गोकना घाट पर विद्युत शवदाह गृह बनवाने की मांग की है। इसके पहले एनटीपीसी परियोजना कई बार गोकना में विद्युत शवदाह गृह बनवाने की बात कह चुकी है। जो धरातल पर नहीं उतर सकी है।

मां गंगा गोकर्ण जन कल्याण सेवा समिति के सचिव पंडित जितेन्द्र द्विवेदी ने बताया कि वर्ष 2019 एनटीपीसी परियोजना के समूह महाप्रबंधक ने दक्षिण वाहिनी गोकना श्मसान घाट पर विद्युत शव दाह गृह बनवाने के लिए लगभग दो करोड़ पैतीस लाख रुपए भू प्रबन्धन समिति और तहसील प्रशासन से संपर्क कर आवंटित किए थे। जिसमें जमीन भी प्रस्तावित भी हो गई थी। जिसे वर्ष 2021 में बन जाना था।

 

उधर, सूत्रों के मुताबिक शवदाह गृह का निर्माण दो साल पहले गोकना के समीप स्थित गोला घाट पर कार्य शुरू किया गया था।जलधारा के प्रवाह को रोकने के लिए अस्थायी बंधा बन रहा था। तभी पण्डों ने रोजीरोटी छिनने की आशंका से विरोध किया और निर्माण रुक गया। प्रशासन भी असहाय बन गया। बाद में ठेकेदार सामान समेट कर लौट गया। तब से लोग इसकी बाट जोह रहे हैं। तब एनटीपीसी परियोजना के वरिष्ठ प्रबन्धक ए एन सिंह और पूर्व उपजिलाधिकारी केशव नाथ गुप्ता के प्रयास से विद्युत शवदाह गृह की योजना संभव हुई थी। लेकिन विरोध से ठंडे बस्ते में चली गई। अब कोरोना काल में अनगिनत मौतों व शवों के गंगा में दफन की घटनाएं सामने आने के बाद फिर से गोकना में विद्युत शव दाह गृह की मांग तेजी से उठने लगी है। समय बताएगा कि भविष्य में क्या होगा? इसके न बनने से जहां लोगों को परेशानी होती है। वहीं गंगा में प्रदूषण भी बढ़ रहा है।

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